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Cow Dung Paint Business: गाय के गोबर से पेंट बनाकर कैसे करें कमाई, कमाल का बिजनेस प्लान

Cow Dung Paint Business: किसानों के लिए गाय के गोबर से पेंट बनाने का बिजनेस काफी चर्चा में आ रहा है। इससे ये अच्छी-खासी कमाई कर सकते हैं।

Edited By : News24 हिंदी | Updated: Oct 10, 2024 19:16
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Paint
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Cow Dung Paint Business: पिछले कुछ सालों में छोटे बिजनेस का चलन लेती से बढ़ रहा है। सरकार भी इस तरह के छोटे बिजनेस के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है। आज हम ऐसे ही एक बिजनेस के बारे में बताने जा रहे हैं, जिससे आप गाय के गोबर का इस्तेमाल करके कमाई कर सकते हैं। हम गाय के गोबर से बने पेंट की बात कर रहे हैं,जो आज के समय में एक ग्रोइंग बिजनेस है।
बता दें कि खादी इंडिया ने भी प्राकृतिक पेंट को लेकर लोगों को प्रेरित किया है। इसके अलावा खादी इंडिया भारत के सभी स्टोर्स में इन पेंट को बेच भी रहा है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में इस नेचुरल पेंट की मांग तेजी से बढ़ रही है। पुराने समय में भी घरों को लिपने के लिए गोबर का प्रयोग किया जाता था, जिससे घर अधिक सुरक्षित और बैक्टीरियल फ्री रहता था। वहां की महिलाओं का एक समूह इस बिजनेस में तेजी के आगे निकल रहा है। आइये जानते हैं कि पेंट कैसे बनता है और इससे कितनी कमाई की जा सकती है।

क्यों चर्चा में हैं नेचुरल पेंट?

इस पेंट में कई खूबियां हैं जो इसे पर्यावरण के लिए बेहतर बनाती है। साथ ही यह प्रीमियम क्वालिटी पेंट से 40 % तक सस्ता हो सकता है। यह एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल भी है, जो इसे अन्य पेंट की तुलना में बेहतर बनाता है। इस तकनीक से रीजनल स्तर पर रोजगार बढ़ रहा है। इसके अलावा ये पेंट वैज्ञानिक संस्थान और भारत सरकार द्वारा प्रमाणित है। गाय के गोबर से बना पेंट नेचुरल इन्सुलेटर की तरह काम करता है और गर्मी के दिनों में टेम्प्रेचर 5 डिग्री  कम रखता है। फिलहाल ये पेंट रायपुर के जरवे गौठान, दुर्ग के लिटिया गांव और कांकेर के सरधुवा गांव में बनाया जा रहा है और इसे लोकल मार्केट में बेचा भी जा रहा है।

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कैसे बनता है पेंट ?

एक्सपर्ट ने बताया कि इस पेंट को कैसे बनाया जा सकता है? उन्होंने बताया कि ये पेंट दो दिन पुराने गोबर से बनाया जाता है। इसे मिक्सिंग टैक में इसे तब मिलाया जाता है, जब तक गोबर पेस्ट में नहीं बदल जाता है। अब इसे पंप की मदद से टीडीआर मशीन में भेजा जाता है और बारीकी से पीसा जाता है। इसके बाद इसे ब्लीचिंग टैंक में भेजा जाता है और 100 डिग्री तक गर्म किया जाता है।  इसके अलावा इसमें  हाइड्रोजन पेरोक्साइड और कास्टिक सोडा मिलाया जाता है, जिससे गोबर का रंग बदल जाता है।

अब इस घोल को बेस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है और इसे हाई-स्पीड डिस्पर्सर मशीनों में पिगमेंट, एक्सटेंडर, बाइंडर और फिलर्स के साथ  3 से 4 घंटे तक मिलाया जाता है। ये प्रक्रिया पूरी होने पर आपको प्राकृतिक पेंट मिल जाता है। इस पेंट के एक लीटर की कीमत 225 रुपये है और इसे 1,2,4 और 10 लीटर के पैकेट में पैक किया जाता है। इसमें लगभग 4000 कलर ऑप्शन उपलब्ध है।

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News24 हिंदी

First published on: Oct 10, 2024 06:26 PM

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