CEO Ratan Tata Company Arun Mishra: कहते हैं मेहनत करने वालों को भगवान बरकत जरूर देते हैं। ऐसे ही एक मेहनतकश शख्स अरुण मिश्रा जो कभी रतन टाटा की कंपनी में काम करते थे, आज उस बड़ी कंपनी के सीईओ हैं, जिसका टर्नओवर एक लाख 30 हजार करोड़ है। अरुण मिश्रा आईआईटी, खड़गपुर से ग्रेजुएट हैं। अरुण मिश्रा हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) हैं। वह अगस्त 2020 से जिंक के दुनिया के दूसरे सबसे बड़े एकीकृत बिजनेस की देख-रेख कर रहे हैं। HZLभारतीय अरबपति अनिल अग्रवाल के स्वामित्व वाली वेदांता लिमिटेड की सहायक कंपनी है। कंपनी में वेदांता लिमिटेड की 64.9 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि सरकार की 29.5 फीसदी हिस्सेदारी है।
HZLका डिप्टी सीईओ के पद पर काम
अरुण मिश्रा को नवंबर 2019 में HZLका डिप्टी सीईओ बनाया गया और 1 अगस्त, 2020 को उनको फिर से डिप्टी सीईओ बना दिया गया। 29 सितंबर तक HZLका बाजार 1,30,000 करोड़ रुपए रहा और अब वहीं, कंपनी का शेयर शुक्रवार तक 308.40 रुपए था। हिंदुस्तान जिंक देश का सबसे बड़ा एकीकृत जिंक निर्माता है।
काफी पढ़े लिखे हैं अरुण मिश्रा
बता दें, मिश्रा के पास आईआईटी, खड़गपुर से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री है और न्यू साउथ वेल्स सिडनी विश्वविद्यालय से खनन और लाभकारी (बेनेफिशिएशन) में डिप्लोमा,सीईडीईपी, फ्रांस से सामान्य प्रबंधन (जनरल मैनेजमेंट) में दूसरा एक और डिप्लोमा लिया है।
कंपनी में करियर की शुरुआत
वहीं, मिश्रा टाटा स्टील के पूर्व कर्मचारी हैं। उन्होंने जुलाई 1988 में वेस्ट बोकारो कोल वॉशरी में मेंटेनेंस हेड (इलेक्ट्रिकल) के रूप में कंपनी में अपना करियर शुरू किया था। मिश्रा हिंदुस्तान जिंक में शामिल होने से पहले, श्री मिश्रा टाटा स्टील के उपाध्यक्ष – कच्चे माल के रूप में जुड़े थे। वह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिनरल इंजीनियर्स के उपाध्यक्ष भी हैं और उन्होंने राष्ट्रीय ख्याति के जर्नल में कई पत्र प्रकाशित किए हैं।
अरुण मिश्रा का निजी जीवन और शौक
अरुण मिश्रा के निजी जीवन की बात करें तो ममिता मिश्रा उनकी पत्नी है और उन दोनों की दो बेटियां हैं -स्तुति और श्रेष्ठा। मिश्रा को गाने गाने, गोल्फ और फुटबॉल खेलने का शौक भी है।