सोने का निखार लगातार बढ़ रहा है। आज यानी 1 अप्रैल को भी इसकी कीमतों में उछाल आया है। सोने के दाम 90 हजार प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच गए हैं। ऐसे में यह सवाल पूछा जाने लगा है कि आने वाले दिनों में सोना किस ऊंचाई तक पहुंच सकता है? बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के चलते वैश्विक स्तर पर मची उथल-पुथल से सोने में निवेश बढ़ा है और इस वजह से उसकी कीमतें चढ़ रही हैं।
आज क्या हैं दाम?
पिछले कुछ समय में ही सोने की कीमत काफी ज्यादा बढ़ गई है। गुड रिटर्न्स के अनुसार, 1 अप्रैल को 24 कैरेट वाले 10 ग्राम सोने के दाम 930 रुपये बढ़कर 92,840 रुपये पहुंच गए हैं। सोने के साथ-साथ चांदी की कीमत में भी तेजी आई है। 1 किलोग्राम चांदी अब 1,05,000 रुपये भाव पर मिल रही है। चांदी अपने इंडस्ट्रियल यूज के चलते महंगी हो रही है। बढ़ते इस्तेमाल के चलते इसके दाम आगे और भी बढ़ने की संभावना है। ऐसे में जिन लोगों ने पहले ही चांदी में निवेश कर दिया था, उनका पैसा तेजी से बढ़ सकता है।
कीमतें चढ़ने के संकेत
अमेरिकी मार्केट एक्सपर्ट जेम्स हायजिर्क का कहना है कि 2 अप्रैल से शुरू हो रहे रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते सोने की कीमतों में उछाल देखने को मिल सकता है। उनका कहना है कि टैरिफ से बाजार में अनिश्चितता उत्पन होगी और ऐसी स्थिति में सोने में निवेश बढ़ता है। गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिकी राष्ट्रपति की कुर्सी संभाली है, सोने में निवेश तेजी से बढ़ा है। इसकी वजह शेयर बाजार जैसे दूसरे बाजारों का सुस्त होना रहा है। क्रिप्टो बाजार भी इस दौरान उम्मीद अनुरूप रिटर्न नहीं दे पाया है।
अभी क्या है संभावना?
बैंक ऑफ अमेरिका ने कुछ वक्त पहले ग्लोबल फंड मेनेजर्स के बीच एक सर्वे कराया गया था, जिसमें उन्होंने कहा कि यदि ट्रेड वॉर बड़े पैमाने पर शुरू होती है, तो गोल्ड बेस्ट परफॉर्मिंग एसेट बन जाएगा। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रणनीतिकार लुईस स्ट्रीट का कहना है कि मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास पर टैरिफ के संभावित प्रभाव ने सोने की ताकत को बढ़ाया है। ऐसे में यदि रेसिप्रोकल टैरिफ के बाद ट्रेड वॉर शुरू होती है, तो सोने की कीमतों में रॉकेट की रफ्तार वाली तेजी भी देखने को मिल सकती है।
1 लाख पार कब तक?
हाल ही में आई आईसीआईसीआई बैंक ग्लोबल मार्केट्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और अमेरिकी टैरिफ नीतियों के कारण 2025 की दूसरी छमाही में सोना 96,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक पहुंच सकता है। इस हिसाब से देखें तो सोने कीमत 1 लाख के आंकड़े को भी छू सकती है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चढ़ती कीमतों से आभूषणों की मांग प्रभावित हुई है। इस वजह से सोने का आयात पिछले 11 महीनों के सबसे निचले स्तर 2.3 अरब डॉलर पर पहुंच गया है, जो मासिक आधार पर 14 प्रतिशत और वार्षिक आधार पर 63 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
कैसे प्रभावित होती हैं कीमतें?
देश में सोने की कीमतें केवल मांग और आपूर्ति से ही प्रभावित नहीं होतीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली गतिविधियों का भी इन पर असर पड़ता है। लंदन ओटीसी स्पॉट मार्केट और कॉमेक्स गोल्ड फ्यूचर्स मार्केट सहित प्रमुख वैश्विक बाजारों में होने वाली व्यापारिक गतिविधियों से भी सोने की कीमतें काफी हद तक प्रभावित होती हैं।
कौन तय करता है कीमत?
दुनियाभर में लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) द्वारा Gold की कीमत तय की जाती है। वो US डॉलर में सोने की कीमत प्रकाशित करता है, जो बैंकरों और बुलियन व्यापारियों के लिए वैश्विक बेंचमार्क के रूप में कार्य करती है। वहीं, अपने देश में, इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयात शुल्क और अन्य टैक्स को जोड़कर यह निर्धारित करता है कि रिटेल विक्रेताओं को सोना किस दर पर दिया जाएगा।
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