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बैंकर से किसान तक की कमाल की यात्रा; अमित किशन ने यूं खड़ा किया 21 करोड़ रुपये का बिजनेस

Amith Kishan Business: आज की दुनिया में, अधिक से अधिक लोग दैनिक उपयोग के उद्देश्यों के लिए जैविक वस्तुओं का विकल्प चुनते हैं और ये जैविक उत्पाद अक्सर प्रकृति के करीब होने के कारण खास होते हैं। इस बीच पूर्व में बैंकर रहे अमित किशन ने जैविक खेती क्षेत्र में एक अवसर देखा जो अभी […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Jul 5, 2023 18:03
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Amith Kishan Business: आज की दुनिया में, अधिक से अधिक लोग दैनिक उपयोग के उद्देश्यों के लिए जैविक वस्तुओं का विकल्प चुनते हैं और ये जैविक उत्पाद अक्सर प्रकृति के करीब होने के कारण खास होते हैं। इस बीच पूर्व में बैंकर रहे अमित किशन ने जैविक खेती क्षेत्र में एक अवसर देखा जो अभी भी देश में काफी हद तक असंगठित है।

द बेटर इंडिया के अनुसार, ‘आंध्र प्रदेश में अमित किशन का खेत एक शांत जगह पर है जहां किसान केवल स्वदेशी बीज बोते हैं, बैल मिट्टी जोतते हैं, गायें प्रदूषण मुक्त खुले घास के मैदानों में चरती हैं और ग्रामीण महिलाएं धीमी लकड़ी की आग पर गरम मिट्टी के बर्तन में घी बनाने में व्यस्त हैं।’

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बैंकर से किसान तक अमित किशन की यात्रा

अमित ने आठ वर्षों की अवधि में बेंगलुरु में शीर्ष कॉर्पोरेट्स में काम किया, इसमें आईसीआईसीआई, बजाज, एक्सिस, एचडीएफसी और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) जैसे कई बैंक हैं। हालांकि, वह हमेशा घर के कार्य से जुड़ना चाहते थे और अपने दादा की तरह किसान बनना चाहते थे।

अमित द बेटर इंडिया को बताते हैं, ‘मेरे दादाजी इलाके के एक प्रसिद्ध किसान थे। एक बच्चे के रूप में, हम खेत में जाते थे और मिट्टी से खेलते थे जबकि वे खेत पर काम करता थे।’

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वहीं, अमित की जिंदगी में एक दिन दुखद घटना घटी, जहां उनका एक ग्राहक कैंसर के कारण चल बसा। तो उन्होंने कॉर्पोरेट जगत छोड़ने और अपने दादा के नक्शेकदम पर चलने का निर्णय लिया।

क्यों किया अलग बिजनेस?

उन्होंने कहा, ‘मेरे द्वारा एक व्यक्ति का बीमा हुआ था। 1.5 वर्ष की अवधि में कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई। मैंने परिवार के लिए दावा संबंधी सभी औपचारिकताएं पूरी कीं। इसे देखते हुए, मुझे समझ आया कि हमें अपने रहने के तरीके को सही करने की जरूरत है, और हम क्या खा रहे हैं क्योंकि हमारा भोजन मानक के अनुरूप नहीं है। मैं उसे ठीक करना चाहता था। हर चीज़ मुझे कुछ बेहतर करने के लिए प्रेरित कर रही थी।’

उन्होंने अपने भाई की मदद से 2019 में Hebbevu Farms की सह-स्थापना की। दोनों ने यह जानने की हर संभव कोशिश की कि उन पर सबसे ज्यादा क्या सूट करेगा।

उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता था कि क्या उगाना है और कब। जब पड़ोस के खेतों में किसान मिर्च उगाते थे, तो हम मूंगफली उगाते थे। हमें ख़रीफ़ और रबी सीज़न की समझ नहीं थी। तीन साल के शोध और विकास के बाद, उन्होंने 2019 में अपने भाई आश्रित के साथ Hebbevu Farms की सह-स्थापना की। उन्होंने आगे कहा, ‘हमने सब कुछ शून्य से शुरू किया। खेती की बारीकियों को समझने के लिए हम कई जैविक किसानों से मिले।’

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Written By

Nitin Arora

First published on: Jul 05, 2023 06:03 PM

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