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भारत एक सोच

बैसरन घाटी में आतंकी हमले का भारत किस तरह लेगा बदला, पाकिस्तान के पास क्या बचा विकल्प?

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। इसे लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। आइए जानते हैं कि बैसरन घाटी में आतंकी हमले का भारत किस तरह लेगा बदला?

Author Anurradha Prasad Updated: Apr 26, 2025 22:15
Bharat Ek Soch
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पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमले के बाद कारगिल से कन्याकुमारी तक पूरा देश गुस्से में है। सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर कहां कमियां रह गईं, जिसका फायदा आतंकियों ने उठाया। बैसरन घाटी में आतंकी हमले के बाद LoC पर टेंशन साफ-साफ महसूस किया जा रहा है। यहां तक कि जंग की आहट महसूस की जा रही है। खबरें आ रही हैं कि पाकिस्तान के आर्मी चीफ असीम मुनीर समेत वहां के कई जनरलों ने गुपचुप तरीके से अपने Near & Dear यानी परिवार के सदस्यों को विदेश भेज दिया है। प्रधानमंत्री मोदी बिहार की धरती से ऐलान कर चुके हैं कि निर्दोष सैलानियों को खून बहाने वाले आतंकियों का अंजाम उनकी सोच से ज्यादा खौफनाक होगा।

भारत आतंकियों का इलाज किस तरह से करेगा? पाकिस्तान का क्या होगा? क्या मसला सिर्फ कूटनीतिक एक्शन तक सीमित रहेगा या फिर पाकिस्तान को उसके घर में घुसकर पीटा जाएगा? शिमला समझौते को सस्पेंड कर पाकिस्तान ने किस तरह अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार ली? आखिर पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल मुनीर को क्यों कहा जा रहा है पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड? रावलपिंड़ी में बैठे जनरल मुनीर को पहलगाम साजिश में किस तरह का फायदा दिखा होगा? जनरल मुनीर हटाए जाएंगे या पाकिस्तान में तख्तापलट करेंगे? भारत-पाकिस्तान के बीच टेंशन की स्थिति में दुनिया की तीन बड़ी ताकतें अमेरिका, चीन और रूस किसके साथ खड़ी होंगी? इस्लामिक वर्ल्ड के प्रभावशाली देशों ने भी पाकिस्तान से क्यों मुंह मोड़ा?

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पाकिस्तान के बड़े-बड़े मंत्री खुद अपने देश की खोल रहे पोल

अक्सर कहा जाता है कि मूर्ख दोस्त से अच्छा समझदार दुश्मन होता है। पाकिस्तान की पोल खुद वहां के बड़े-बड़े मंत्री ही खोल रहे हैं। शहबाज शरीफ सरकार में उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने कहा कि बैसरन घाटी में हमला करने वाले फ्रीडम फाइटर्स भी हो सकते हैं। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ कह रहे हैं कि पिछले तीन दशकों से उनका मुल्क आतंकियों को टेंनिंग दे रहा है। पूरी दुनिया के सामने शीशे की तरह साफ है कि पाकिस्तान ने किस तरह बैसरन घाटी में सैलानियों का खून बहाया, बैसरन घाटी में निर्दोष, निहत्थे सैलानियों का खून बहा, जो कश्मीर की खूबसूरती का दीदार करने गए थे। अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि बैसरन घाटी में आतंकी हमले से आगे क्या? इस बार भारत सर्जिकल स्ट्राइक करेगा या एयर स्ट्राइक, ये सोचकर पाकिस्तान के हाथ-पैर फूले हुए हैं? पाकिस्तान आर्मी और एयरफोर्स हाईअलर्ट पर है, LoC से रह-रह कर फायरिंग की ख़बरें भी आ रही हैं।

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जो शक्तिशाली है, उसका कोई दोष नहीं होता

कुछ डिफेंस एक्सपर्ट्स दलील दे रहे हैं कि जब पीओके हमारा है तो LoC को इतिहास बना देना चाहिए यानी इंडियन आर्मी LoC पार कर पीओके से पाकिस्तान को पीछे धकेल दे। अब सवाल उठता है कि क्या ये संभव है? रूस ने यूक्रेन पर हमला किया और उसके बड़े हिस्से पर कब्जा जमाए बैठा है, 2023 में हमास ने इजरायल पर हमला किया, उसके बाद इजरायल ने गाजा पट्टी को श्मशान में बदल दिया, हिजबुल्लाह को मिट्टी में मिलाने के नाम पर लेबनान पर हमला किया, कोई इजरायल का क्या बिगाड़ पाया। अमेरिका ने इराक और अफगानिस्तान में करीब दो दशक तक बम बरसाए, किसी ने अमेरिका का क्या बिगाड़ लिया? आज की तारीख में कूटनीति भी ‘समरथ को नहिं दोष गुसाईं’ वाले अंदाज में आगे बढ़ रही है। मतलब जो समर्थ यानी शक्तिशाली है, उसका कोई दोष नहीं होता है। ऐसे में पाकिस्तान ने शिमला समझौता सस्पेंड कर एक तरह से अपने ही पैर पर कुल्हाडी मार ली है।

पहले से मरा हुआ है शिमला समझौता

भारत-पाकिस्तान रिश्तों पर नजर रखने वाले कूटनीतिज्ञों की सोच है कि शिमला समझौता पहले से मरा हुआ है, क्योंकि पाकिस्तान अपनी तरफ से कई बार कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की कोशिश की है, ये अलग बात है कि उसे कोई फायदा नहीं हुआ। इतना ही नहीं, 1999 में कारगिल में घुसपैठियों को भेजकर पाकिस्तान LoC पार करने की लक्ष्मण रेखा तोड़ चुका है। ऐसे में पाकिस्तान के शिमला समझौता सस्पेंड करने के फैसले से भारत की रणनीति पर खास फर्क पड़ने की संभावना नहीं है। वहीं, भारत ने 65 साल पुराने सिंधु जल समझौते को सस्पेंड कर दिया है। पाकिस्तान इसे एक्ट ऑफ वॉर बता रहा है। जम्मू क्षेत्र में चिनाब नदी पर बने सलाल डैम के गेट को बंद कर दिया गया है।

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पाकिस्तान की लाइफलाइन हैं सिंधु, चेनाब, झेलम दरिया

भारत से बहने वाली सिंधु, चेनाब, झेलम दरिया एक तरह से पाकिस्तान की लाइफलाइन हैं। ऐसे में भारत ने सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी को पाकिस्तान जाने से रोक दिया तो इसी गर्मी में तबाही का ट्रेलर दिखना तय है। आज की तारीख में न्यूक्लियर पावर पाकिस्तान एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है, जिसमें अर्थव्यवस्था वेंटिलेटर पर है। इस्लामाबाद में बैठी शहबाज शरीफ सरकार और रावलपिंडी में बैठे जनरल असीम मुनीर के मुल्क को कोई एक रुपया कर्ज देने के लिए तैयार नहीं है। यहां तक कि सऊदी अरब, यूएई, इंडोनेशिया और मिस्र जैसे देश भारत के आतंकवाद के खिलाफ रुख को जायज मानते हैं। वहीं, टर्की और कतर जैसे देश तटस्थ दिख सकते हैं। अफगानिस्तान खुलकर पाकिस्तान के खिलाफ दिख सकता है। सऊदी अरब और ईरान भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की मंशा जता चुके हैं।

भारत का समर्थन करना यूएस के लिए जरूरी 

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप जिस रास्ते आगे बढ़ रहे हैं, उससे दुनिया में एक ऐसी हलचल पैदा हुई है, जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ भारत के हर के एक्शन का समर्थन करना अमेरिका के लिए जरूरी हो गया है। इसी तरह मौजूदा हालात में चीन डोलड्रम की स्थिति में है- दरअसल, पाकिस्तान में चीन का मोटा निवेश है। ऐसे में रूस के राष्ट्रपति पुतिन का भारत के पक्ष में खड़ा दिखना तय माना जा है। हालांकि, बीजिंग और मास्को चाहेंगे कि भारत-पाकिस्तान में युद्ध की नौबत न आए, लेकिन ये जानना भी जरूरी है कि जनरल मुनीर ने पहलगाम में आतंकी हमले की साजिश क्यों रची? दरअसल, पाकिस्तानी आर्मी चीफ की भूमिका पर पिछले कुछ महीने से लगातार सवाल उठ रहे हैं। कभी बचोल विद्रोहियों से निपटने में पाकिस्तान आर्मी की नाकामी को लेकर, कभी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों को लेकर।

पहले से बलूच विद्रोही से त्रस्त हैं जनरल मुनीर

पिछले महीने पाकिस्तानी सेना के अफसरों ने जनरल मुनीर को एक चिट्ठी लिखी, The Guardians of Honor– Officers and Soldiers of the Pakistan Armed Forces की ओर से लिखी चिट्ठी की सब्जेक्ट लाइन थी- Ultimatum–Resign or Face the Reckoning…बलूच विद्रोही पहले से ही जनरल मुनीर की नाक में दम किए हुए थे। पिछले महीने ही जफर एक्सप्रेस को बलोच लिबरेशन आर्मी के लड़ाकों ने अगवा किया। ऐसे में भीतरखाने रावलपिंडी आर्मी हेडक्वार्टर में बैठने वाले जनरल मुनीर के जूनियर भी सवाल खड़ा करने लगे। ऐसे में चौतरफा घिरे जनरल मुनीर ने कलमा यानी इस्लाम, टू नेशन थ्योरी और कश्मीर का कार्ड आगे बढ़ा दिया, ठीक उसी तरह जैसे कभी जनरल जिया-उल-हक ने पाकिस्तान में किया था।

भारत ने पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद करने का लिया फैसला

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर अभी शहबाज शरीफ है। लेकिन, जनरल असीम मुनीर के सामने उनकी कितनी चलती है, ये तो वहीं बेहतर जानते होंगे। इन दिनों पाकिस्तान में एक तस्वीर की बड़ी चर्चा है। हाल में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाई, ये बैठक दिल्ली में हुई CCS यानी कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद हुई, जिसमें पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद करने का फैसला हुआ था। सामान्य तौर पर पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली किसी बैठक में दूसरी कुर्सी पर जनरल मुनीर बैठा करते थे, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक में तीसरे नंबर की कुर्सी पर आर्मी चीफ बैठे दिखे।

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शहबाज शरीफ के सामने क्या विकल्प बचा?

ऐसे सवाल उठता है कि ये महज इत्तेफाक था या पीएम शहबाज के सामने अब एक ही विकल्प बचा है अपने आर्मी चीफ यानी जनरल मुनीर का पर कतरना? लेकिन, क्या वो ऐसा कर पाएंगे, इसकी संभावना कम ही दिख रही है। अटकलें ये भी लगाई जा रही हैं कि भारत से खतरा और लोगों की नाराजगी खत्म करने के नाम पर जनरल मुनीर कहीं शहबाज शरीफ का तख्तापलट तो नहीं कर देंगे। हालांकि, इस काम में जनरल मुनीर के जूनियर कितना साथ देंगे, इस पर भी संशय बना हुआ है। ऐसे में चौतरफा घिरे पाकिस्तान पर एक ओर बलूचिस्तान के हाथ से निकलने का खतरा मंडरा रहा है, दूसरी ओर पीओके।

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Edited By

Anurradha Prasad

First published on: Apr 26, 2025 10:11 PM

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