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बुढ़ापा होगा बीते जमाने की बात… लोग खुद तय करेंगे धरती पर जीने की उम्र! क्या संभव हो सकता है ये चमत्कार?

मेडिकल सेक्टर में एआई के इस्तेमाल को लेकर 2025 एक ऐसे साल की तरह देखा जा सकता है–जहां बहुत उम्मीद भी है और खतरा भी…दोनों साथ-साथ चल रहे हैं. ये बात भी साफ हो चुकी है कि जेनरेटिव एआई डॉक्टर की जगह नहीं लेगा बल्कि उनके मददगार की भूमिका में रहेगा .

Author Written By: Anurradha Prasad Updated: Dec 27, 2025 22:40

वक्त किसी के लिए नहीं रुकता, अपनी रफ्तार से आगे बढ़ता रहता है. ये इंसान के ऊपर है कि वक्त का किस तरह इस्तेमाल करता है . साल 2025 को अलविदा करने का वक्त आ गया है और नए साल के इस्तकबाल के लिए पूरी दुनिया तैयार है. लेकिन, जरा हिसाब लगाइए कि 2025 को किस तरह से याद किया जाएगा? ये आपको क्या खास देकर जा रहा है ? किसी भी इंसान की सबसे प्यारी चीज होती है – उसकी जिंदगी . हर इंसान लंबी, तंदुरुस्त और खुशहाल जिंदगी की ख्वाहिश रखता है. यही, हर इंसान की सबसे बड़ी दौलत, सबसे बड़ी पूंजी है . ऐसे में हेल्थकेयर इंडस्ट्री के लिए साल 2025 एक मील का पत्थर रहा. ये साल मेडिकल साइंस में इलाज की सोच, मरीज-डॉक्टर के रिश्ते और बीमारी की पहचान के तौर-तरीकों में बड़ा बदलाव लेकर आया. बीमारियों के इलाज में जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से प्रिवेंटिव केयर, पर्सनलाइज ट्रीटमेंट और डिजिटल सॉल्यूशन पर रहा. इतना ही नहीं एआई की मदद से इंसान की जिंदगी के दिन लंबे करने की कोशिश भी तेजी से चल रही है . अमेरिका के एक जाने-माने Immunologist, Biomedical engineer & Scientist हैं प्रोफेसर Derya Unutmaz….एक इंटरव्यू में इन्होंने दावा किया कि अगर 10 वर्षों तक आप नहीं मरते हैं तो अगले 5 साल और जिएंगे . अगर आप 15 वर्षों तक और जीते हैं, तो अगले 50 वर्ष और जिएंगे . तब तक बुढ़ापे की समस्या का समाधान हो चुका होगा. मतलब, साल 2025 एक बड़ी उम्मीद दे कर जा रहा है कि मेडिकल साइंस इतना तरक्की कर लेगा कि इंसान के शरीर में बुढ़ापे की प्रक्रिया को धीमा किया जा सकेगा…जिससे लोगों की उम्र लंबी होगी. कुछ ऐसा ही प्रयोग जोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल भी कर रहे हैं–जिन्होंने Temple डिवाइस लॉन्च किया है. जो रियल टाइम ब्रेन ब्लड फ्लो मॉनिटर करने का दावा करता है . कुछ इसी तरह अमेरिकी टेक टायकून ब्रायन जॉनसन खुद को अमर करने के लिए सालाना 18 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं..टेस्ला के मालिक एलन मस्क भी इसी रास्ते पर हैं. दावा किया जा रहा है कि वो दिन दूर नहीं जब लोग खुद तय करेंगे कि उन्हें इस धरती पर कितने साल जीना है? क्या ये संभव है?

हमारे देश में लोग खुद से उम्र में छोटे लोगों को आयुष्मान भव: का आशीर्वाद देते हैं . भगवान से लंबी जिंदगी के लिए प्रार्थना करते है. अगर भगवान साक्षात प्रकट होते तो ज्यादातर धन कुबेर और ताकतवर लोग अपने लिए अमर होने का वरदान मांग लेते . लेकिन, जेनरेटिव एआई की मदद से इंसान की उम्र डबल करने का प्रयोग जरूर चल रहा है. आधुनिक मेडिकल साइंस में तेजी से उस दिशा में काम कर रहा है– जिसमें लोगों की उम्र को बढ़ाया जा सके. इंसान अपनी मृत्यु का समय खुद तय करे . इस कड़ी में सबसे पहले बात जोमैटो के CEO दीपिंदर गोयल की … इन्होंने हाल में एक बहुत अलग तरह के हेल्थ टेक डिवाइस Temple के बारे में जानकारी साझा की . उस छोटे गोल्डन चिप को माथे या कान के पास लगाया जा सकता है . दीपिंदर गोयल का दावा है कि इस हेल्थ टेक डिवाइस की मदद से दिमाग में जाने वाले ब्लड फ्लो की रियल टाइम मॉनिटरिंग की जा सकती है. अब सवाल उठता है कि इससे होगा क्या? दीपिंदर गोयल का दावा है कि इससे दिमाग की सेहत और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को समझने में मदद मिलेगी ?

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जोमैटो के संस्थापक दीपिंदर गोयल ने कुछ हफ्ते पहले अपनी ये तस्वीर दुनिया के सामने साझा की … उनके माथे पर दाहिनी ओर लगी – ये छोटी गोल्डन चमकदार चीज एक हाईटेक हेल्थ गैजेट है – जिसे टेम्पल डिवाइस नाम दिया गया है . ये मामूली सा दिखने वाला डिवाइस किसी इंसान के दिमाग में ब्लड फ्लो को लगातार मॉनिटर करने का दावा करता है . दीपिंदर गोयल के मुताबिक वो इसे साल भर से इस्तेमाल कर रहे हैं . साथ ही टेपल डिवाइस की मदद से दिमागी सेहत और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया समझने में सहूलियत होती है .

दीपिंदर गोयल दलील देते है कि टेपल डिवाइस उनके रिसर्च प्रोजेक्ट का हिस्सा है . वो पिछले दो साल से रिसर्च कर रह है, जिससे उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमा करने का फार्मूला निकाला जा सके . इसके लिए वो Gravity Aging Hypothesis की बात करते हैं . इसके मुताबिक, गुरुत्वाकर्षण हमारे दिमाग तक लगातार पहुंचने वाले ब्लड फ्लो को प्रभावित करता है. गोयल की दलील है कि जब हम सीधा बैठे या खड़े रहते हैं-तब दिमाग में पहुंचने वाला ब्लड फ्लो थोड़ा कम हो सकता है . लंबे समय तक कम ब्लड फ्लो उम्र बढ़ने, सोचने-समझने की क्षमता कम करने और जल्दी थकान जैसी समस्याओं की वजह बन सकता है. दलील दी जा रही है कि दिमाग में ब्लड फ्लो बढ़ाने के लिए सिर नीचे और शरीर ऊपर किया जा सकता है . डॉक्टरों का कहना है कि भारतीय परंपरा में पहले से दिमाग में ब्लड फ्लो बढ़ाने के लिए शीर्षासन जैसे प्रयोग हैं .

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Temple डिवाइस में लगे सेंसर पूरे दिन ब्लड-फ्लो पर निगरानी का दावा करते हैं, जिसे इंसान अपनी सहूलियत के मुताबिक नजर रख सकता है. इंसान की कौन सी आदत दिमाग को कमजोर या मजबूत करती है…बीमारियों के इलाज के लिए टेंपल डिवाइस द्वारा मॉनिटर किए गए डाटा डॉक्टरों के दिखा सकता है . डॉक्टर ये विश्लेषण कर सकते हैं कि किन हालातों में मरीज का ब्लड फ्लो बढ़ता है और किन हालातों में घटता है …इससे गंभीर बीमारियों के पर्सनलाइज इलाज में भी मदद मिल सकती है. लेकिन, अभी तक ये साफ नहीं है कि टेंपल डिवाइस में किस तकनीक का इस्तेमाल किया गया है. सामान्य लोगों के इस्तेमाल तक आने की प्रक्रिया में टेपल डिवाइस अभी कितना कदम आगे बढ़ पाया है .

जरा सोचिए…एक मोबाइल सिम के आकार का छोटा सा चिप किसी इंसान के दिमाग में चल रह हर केमिकल लोचा पर नजर रखेगा. इंसान अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर मॉनिटर कर सकेंगा कि उसके शरीर को कमजोर और बुड्ढा बनाने में खलनायक की भूमिका में कौन है? बुढापे की प्रक्रिया को धीमा करने के लिए किस तरह के पर्सनलाइज ट्रीटमेंट की जरूरत है . हालांकि, डॉक्टरों का ये भी दावा है कि दिमाग में ब्लड फ्लो बढ़ाना या घटाना आसान काम नहीं है. डॉक्टरों की दलील है कि बढ़ती उम्र के साथ दिमाग में ब्लड फ्लो बढ़ाना आसान नहीं होता है… इसमें कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं. इंसान के दिमाग में उसकी क्षमता के हिसाब से ब्लड फ्लो का Autoregulation होता है . दीपिंदर गोयल जो दावा कर रहे है- वो अभी शुरुआती दौर में है . मौत को मात देने का अजब-गजब प्रयोग अमेरिकी टेक टायकून ब्रायन जॉनसन भी कर रहे हैं. 48 साल के ब्रायन जॉनसन का दावा है कि वो 2039 तक इंसान अमर हो जाएंगे… कुछ दिनों पहले दावा किया कि उन्होंने अपने सीमन से माइक्रोप्लास्टिक की संख्या को कम कर दिया है . यहां तक की Youngblood Therapy के लिए अपने बेटे और पिता के साथ प्लाज्मा की अदला-बदली जैसा प्रयोग भी कर चुके हैं … जॉनसन अपनी एंटी-एजिंग लाइफ-स्टाइल पर सालाना 18 करोड़ रुपये खर्च कर रहे हैं .

टेक टायकून ब्रायन जॉनसन पूरी दुनिया में अपनी Anti Ageing Experiments के लिए जाने जाते हैं. कुछ महीने पहले ब्रायन जॉनसन ने दावा किया कि उन्होंने अपने सीमन में माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा 85 फीसदी कम कर दी है . वो भी बिना किसी सर्जरी की मदद के . हवा और पानी में घुले माइक्रो प्लास्टिक कणों को शरीर से अलग करना डॉक्टरों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण रहा है. लेकिन, जॉनसन ने इतना कड़ा हेल्थ रूटीन अपनाया, जिससे सीमन और ब्लड दोनों से ही माइक्रो- प्लास्टिक धीरे-धीरे कम होने लगे . इसे ड्राई सौन थेरेपी का नाम दिया गया .

48 साल के ब्रायन जॉनसन मौत को मात देने के लिए कई तरह के अजब-गजब प्रयोग करते रहे हैं..कुदरत के कायदे को चुनौती देने की लगातार कोशिश कर रहे हैं…वो इस सदी में मरना नहीं चाहते … ऐसे में खुद को जवान और जिंदा रखने के लिए अपने 17 साल के बेटे का प्लाज्मा भी शरीर में चढ़वा चुके हैं . लंबी उम्र के लिए ब्रायन जॉनसन अपना DNA तक बदलवाने का प्रयोग कर चुके हैं…उनकी सोच है कि जीन थेरेपी से उनकी कोशिकाओं की बढ़ती उम्र पर ब्रेक लग जाएगा और बुढ़ापा को मात दे सकेंगे . सेहत की लगातार मॉनिटरिंग के लिए डॉक्टरों की एक लंबी-चौड़ी टीम तैनात कर रखी है .

Don’t Die जुनून के लिए ब्रायन जॉनसन ने अपनी खास दिनचर्या बना रखी है . इसे वो किसी कीमत पर टूटने नहीं देते…ये धरती पर लंबे समय तक जिंदा रहने के लिए एक टेक टाइकून का जुनून है . जिसमें वो रोजाना सुबह साढ़े चार बजे जग जाते हैं . उसके बाद 4-5 घंटे तक मौन रहते हैं. इस दौरान वो एक घंटा एक्सरसाइज करते हैं.वो दिन का अपना आखिरी खाना 11 बजे से पहले खा लेते हैं . नाश्ते में सब्जियां लेते हैं – जिसमें वर्जिन ऑलिव ऑयल और कोको के साथ ब्रोकली, फूलगोभी जैसी सब्जियां होती हैं. नमक या मसाले की जगह उनके भोजन में पोटेशियम क्लोराइड इस्तेमाल होता है . बिना किसी देरी के रात 8:30 बजे सोने के लिए चले जाते हैं .

ब्रायन जॉनसन लंबी उम्र के लिए दिनभर में दो हजार कैलोरी से भी कम भोजन लेते हैं..उनके Anti Ageing experiment में अच्छी नींद का बहुत अहम स्थान है . ऐसे में वो गहरी नींद के लिए पांच फॉर्मूला पर फोकस करते हैं –

  1. नींद को गंभीरता से लेना
  2. सोने से कम से कम दो घंटे पहले डिनर
  3. गहरी नींद के लिए सोने से पहले पढ़ने की आदत
  4. बेडरूम में तेज लाइट की जगह हल्की लाइटों का इस्तेमाल
  5. शांतिपूर्ण नींद के लिए माहौल

जॉनसन अपनी उम्र से छोटा दिखने के लिए चेहरे पर फैट भी इनजेक्ट करा चुके हैं- जिसे नाम दिया था प्रोजेक्ट बेबी फेस . जिसका साइड इफेक्ट ये रहा कि उनके चेहरे फूल गया…जिसे उन्होंने दुनिया के सामने साझा भी किया था . ब्रायन जॉनसन के डॉक्टरों की टीम के सामने सबसे बड़ा टारगेट ये है कि 48 साल के इस बिजनेस टायकून के शरीर के सभी अंगों को 18 साल के नौजवान लड़के जैसा बना दिया जाए. दावा किया जा रहा है कि डॉक्टरों की टीम में इसमें कुछ हद तक कामयाबी मिली है…लेकिन, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है .

ब्रायन जॉनसन धन-कुबेर हैं . वो हमेशा अपनी सेहत और उम्र के बारे में सोच सकते हैं . खुद को युवा रखने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सकते हैं. लेकिन, जॉनसन जैसी लाइफस्टाइल आम आदमी के लिए दूर की कौड़ी है. इसी तरह दुनिया के टॉप टेक टाइकूनों में शुमार…टेस्ला और न्यूरालिंक जैसी कंपनियों के मालिक एलन मस्क तकनीक की मदद से खुशहाल और लंबी जिंदगी की दलील देते हैं. मस्क की कंपनी न्यूरालिंक लकवा ग्रस्त लोगों के दिमाग में ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस चिप लगाती है…जिससे न्यूरोलॉजिकल बीमारियों से जूझ रहे मरीजों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाया जा सके. मस्क टेक सुप्रीमेसी वाली एक ऐसी दुनिया बनाना चाहते– जिसमें इंसानी दिमाग को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जोड़ा जा सके..जिससे इंसान की क्षमता का विस्तार किया जा सके . 2025 में ब्रेन और बॉडी की एजेंसी प्रक्रिया को रोकने के लिए मेडिकल साइंस तीन चीजें पर फोकस कर रहा है . एक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस . दूसरा, ब्रेन कंप्यूटर इंटरफेस और तीसरा जेनेटिक एडिटिंग . पिछले कुछ वर्षों में विज्ञान ने इतनी तरक्की कर ली है–जिसकी मदद से इंसान की जिंदगी के दिन लंबे किए जा रहे हैं . कई ऐसी थेरेपी आ चुकी है – जिससे इंसान के चेहरे से झुर्रियां गायब हो जाती हैं. ऐसी छोटी-छोटी मशीनें फिट की जा रही हैं–जो इंसान के शरीर को बुड्ढा बनाने वाली प्रक्रिया को कुछ समय के लिए टाल देती हैं .

खुद की उम्र से कम का दिखने का जुनून दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है…अब ये जुनून बेहतर, खुशहाल और संतुलित जिंदगी के पारंपरिक तरीकों यानी योग, कसरत, संतुलित जीवन शैली से बहुत आगे बढ़ चुका है . जवां दिखने के लिए कॉस्मेटिक सर्जरी का सहारा लेने में संपन्न लोग हिचक नहीं दिखा रहे हैं..यहां तक की चेहरे की झुरियां हटाने का भी इलाज कराने वालों की कमी नहीं है .

हालांकि, कई बार कॉस्मेटिक सर्जरी और जवान दिखने के लिए दवाइयां जिंदगी पर भारी पड़ती भी दिखी हैं . इस साल जून के आखिर में बॉलीवुड हीरोइन शेफाली जरीवाला की मौत हो गई.. कहा गया कि 42 साल की शेफाली लंबे समय से एंटी-एजिंग दवाइयां, स्किन ग्लोइंग ट्रीटमेंट ले रही थी..पिछले साल तेलगू फिल्मों की जानी- मानी एक्ट्रेस आरती अग्रवाल की 31 साल की उम्र में मौत हो गईं..आरती ने लिपोसक्शन सर्जरी करा रखी थी. साल 2022 में जानी-मानी कन्नड़ टीवी एक्ट्रेस चेतना राज की 21 साल की उम्र में मौत हो गई … कहा गया कि प्लास्टिक सर्जरी कराते समय चेतना राज की जान गई . अब सिर्फ हीरो- हीरोइन या मॉडल ही अपनी उम्र और चेहरे को लेकर फिक्रमंद नहीं हैं … सामान्य लोग भी खुद को फिट और जैविक उम्र से कम का दिखाने के जुनून में कुदरत के नियमों को चुनौती देने में हिचक नहीं दिखा रहे हैं. जिसके पास पैसे की कमी नहीं है – वो कोल्ड प्लंज, इंफ्रारेड थेरेपी और हायपरबारिक ऑक्सीजन जैसी थेरेपी तक ले रहे हैं .

हाल के वर्षों में देश के भीतर कई ऐसे स्टार्टअप्स शुरू हुए-जो सालाना लाखों की फीस लेकर रुटीन हेल्थ टेस्टिंग, जेनोमिक टेस्टिंग और जरूरत के हिसाब से थेरेपी देते हैं . जवां दिखने से इतर शरीर के भीतर बीमारियों की जड़ पर चोट करने की दिशा में विज्ञान तेजी से आगे बढ़ रहा है . ब्रेन और बॉडी की एजिंग प्रक्रिया रोकने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और जेनेटिक एडिटिंग की मदद ली जा रही है .

AI की मदद से इंसानी DNA को पहले से ज्यादा मजबूत और टिकाऊ बनाने की कोशिश हो रही है…दरअसल, परिस्थितियों के मुताबिक जीन के व्यवहार में लगातार बदलाव होता रहता है.पहले DNA के व्यवहार पर लगातार और एक साथ नजर रखना संभव नहीं था… लेकिन, AI की मदद से जीन की गतिविधियों को लगातार ट्रैक किया जा सकता है … जिससे ये तय करने में आसानी होती है कि शरीर को किस समय किस तरह की दवा और इलाज की जरूरत है .

2025 में गंभीर बीमारियों के इलाज का रास्ता नैनो बॉट्स के जरिए निकालने की कोशिश आगे बढ़ती दिखी … नैनो बॉट्स एक बहुत छोटे रोबोट की तरह हैं-जो किसी भी इंसान के शरीर के भीतर गंभीर बीमारियों को ठीक करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं . डॉक्टरों के एक वर्ग की सोच है कि जीन थेरेपी उम्र बढ़ने की रफ्तार को धीमा कर सकती है. इंसान के शरीर में कई ऐसे नैनो बॉट्स लगाए जा सकते हैं – जो शरीर के भीतर बढ़ती एंट्रोपी को रोक दें…इस प्रक्रिया के जरिए इंसान की औसत उम्र जरूर बढ़ाई जा सकती है .

लंबी उम्र को साथ-साथ स्वस्थ जीवन भी बहुत जरूरी है. ऐसे में ये समझना भी जरूरी है कि एक अरब चालीस करोड़ आबादी वाले भारत की बड़ी आबादी को सस्ता इलाज मुहैया कराने में AI किस तरह मददगार साबित हो सकता है? भारत के अस्पतालों में इलाज में किस तरह से एआई का इस्तेमाल हो रहा है ? क्या AI की मदद से गरीबों को सस्ता और आसानी से इलाज मिलेगा? क्या AI अस्पतालों के बाहर लगने वाली लंबी लाइन को कम कर देगा ? ऐसे बहुत से सवाल लोगों के जेहन में घूम रहे हैं . आज की तारीख में भारत की गिनती दुनिया की कैंसर कैपिटल के तौर पर होता है. कैंसर के मरीज तेजी से बढ़ रहे हैं. हाल में भारत में एक ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस फ्रेमवर्क तैयार किया गया है, जो कैंसर ट्यूमर के भीतर छिपे बायोलॉजिकल प्रोग्राम को एक साथ पढ़ सकता है …जिससे डॉक्टर आसानी से पता लगा सकेंगे कि एक ही स्टेज के दो मरीजों में किसका कैंसर ज्यादा खतरनाक है…मरीज को लिए कौन सा इलाज बेहतर रहेगा. इसी तरह डायबिटीज जैसी बीमारियों के इलाज में भी AI का बहुत प्रभावी तरीके से इस्तेमाल हो रहा है.

किसी इंसानी दिमाग की तुलना में AI लंबे-चौड़े, भारी-भरकम मेडिकल डाटा को सेकेंडों में समझ लेता है. एक्स-रे,CT स्कैन, और MRI जैसी रिपोर्ट को सेकेंडों में डिकोड करता है…जिससे डॉक्टर बीमारी के संकेतों को सेकेंडों में पकड़ लेते हैं. हमारे देश में कैंसर के मरीज सालाना ढाई फीसदी की रफ्तार से बढ़ रहे हैं.एक लाख लोगों की जांच के दौरान 100 में कैंसर की बीमारी मिल रही है . ऐसे में लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से बचाने के लिए एआई की मदद ली जा रही है .

इंसान का शरीर 30 लाख करोड़ से अधिक कोशिकाओं से बना है…सभी कोशिकाएं एक निश्चित पैटर्न से नियंत्रित होकर आगे बढ़ती हैं और अपनी उम्र पूरी कर नष्ट हो जाती हैं . इस प्रक्रिया में हेरफेर होता है तो इंसान के शरीर में कैंसर जैसी बीमारी घर बनाने लगती है…ऐसे में कोशिकाओं के व्यवहार में बदलाव की पहचान में AI से आसानी हो रही है..कैंसर 200 से अधिक तरह का होता है..जो शरीर के अलग-अलग अंगों पर अटैक करता है.शरीर में कैंसर की पहचान से उपचार तक में AI बहुत मददगार साबित हो रहा है .

AI की मदद से कैंसर ट्यूमर की पहचान के बाद अत्याधुनिक तकनीक से बहुत कम समय में इलाज हो रहा है. साइबर नाइफ तकनीक कैंसर सेल्स पर सर्जिकल स्ट्राइक कर उन्हें खत्म कर देता है… ऐसे में उम्मीद है कि आने वाले दिनों में कैंसर मरीजों के लिए पर्सनलाइज इलाज तय करने में AI बड़ी भूमिका निभा सकता है. इससे कैंसर का इलाज सस्ता होने की भी उम्मीद है.

हमारे देश में डायबिटीज मरीजों की संख्या करीब 10 करोड़ से अधिक है..किसी इंसान के शरीर में शुगर लेवल बढ़ने या घटने की कई वजह हो सकती है. एआई की मदद से आसानी से पता लगाया जा सकता है कि किसी खास मरीज में शुगर लेवल बढ़ने की असली वजह क्या है? ऐसे में हर मरीज के हिसाब से सटीक इलाज तय करने में सहूलियत हो रही है .

भारत में ब्लड प्रेशर के मरीजों की संख्या 21 करोड़ से अधिक है. बीपी एक ऐसी बीमारी है-जो बढ़ने पर एक साथ कई जानलेवा बीमारियों की वजह बनती है. मरीज के शरीर में बीपी बढ़ने की वजह से उपचार तक डॉक्टरों ने एआई की मदद लेना शुरू कर दिया है. आज की तारीख में ऐसी कई बीमारियां है – जिसे खत्म करने के लिए एआई की मदद ली जा रही है. साल 2025 में AI के बढ़ते इस्तेमाल ने अस्पतालों के अंदरुनी सिस्टम को आसान बना दिया है..रिमोट मॉनिटरिंग टूल्स की मदद से मरीज घर बैठे अपने हार्ट रेट, ब्लड शुगर और दूसरे हेल्थ पैरामीटर्स पर नजर रखने लगे हैं . किसी अलर्ट की स्थिति में डॉक्टर से तुरंत संपर्क कर जिंदगी पर खतरे को टाल रहे हैं. बेहतर सेहत,खुशहाल और लंबी जिंदगी की ओर बढ़ रहे हैं .

मेडिकल सेक्टर में एआई के इस्तेमाल को लेकर 2025 एक ऐसे साल की तरह देखा जा सकता है–जहां बहुत उम्मीद भी है और खतरा भी…दोनों साथ-साथ चल रहे हैं. ये बात भी साफ हो चुकी है कि जेनरेटिव एआई डॉक्टर की जगह नहीं लेगा बल्कि उनके मददगार की भूमिका में रहेगा . कैंसर, हार्मोनल डिसऑर्डर, ऑटोइम्यून डिजीज के इलाज में AI का इस्तेमाल गेम चेंजर साबित हो रहा है तो ब्लॉकचेन तकनीक से मेडिकल रिकॉर्ड सुरक्षित रखने का प्रयोग देखा गया . हमारे देश में हजारों साल से लंबी उम्र का राज कभी अनुशासित जीवन शैली में…कभी स्वच्छ आबोहवा में…कभी जड़ी-बूटियों में…कभी आधुनिक मेडिकल साइंस में खोजा जाता रहा है…2025 को इस तरह से भी देखा जाना चाहिए अब ज्यादातर लोग किसी एक इलाज पद्धति के सहारे आगे नहीं बढ़ रहे हैं . अच्छी सेहत के लिए सभी इलाज पद्धतियों में से जो कुछ अपने लिए बेहतर लग रहा है –उसका चुनाव कर रहे हैं. जिसमें एलोपैथी भी है…योग भी है… आयुर्वेद भी है…यूनानी भी है…होम्योपैथी भी है और जेनरेटिव AI की मदद भी है यानी लोग खुद को आयुष्मान बनाने के लिए इंटीग्रेटेड अप्रोच टू हेल्थ के साथ आगे बढ़ते दिख रहे हैं .

First published on: Dec 27, 2025 10:29 PM

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