Why car catch fire: देशभर में पारा बढ़ रहा है, ऐसे में गाड़ियों में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। मंगलवार को पानीपत में एक कार में आग लगने से कारोबारी की जान चली गई। घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने किसी तरह कार से तीन बच्चों और दो महिलाओं को बाहर निकाला था। एक रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रिक और सीएनजी की गाड़ियों में आग लगने का खतरा अधिक होता है।
क्यों लगती है आग?
वैसे तो कार में आग लगने के कई कारण हो सकते हैं। लेकिन पुलिस जांच में अमूमन यह सामने आता है कि कार में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की ज्यादा घटनाएं होती हैं। कार के अंदर हल्की सी स्पार्किंग भी आग का रूप ले लेती है। आग की घटनाओं से बचने के लिए हमें कार की मॉडिफिकेशन कराने से परहेज करना चाहिए। अक्सर आफ्टर मार्केट कार एसेसरीज लगवाते हुए मैकेनिक कार की वायरिंग में छेड़छाड़ कर देते हैं, जिससे शार्ट सर्किट होने का खतरा बना रहता है।
कार में आग लगने पर क्या करें?
ट्रैफिक पुलिस अक्सर सलाह देती है कि सेफ्टी के लिए कार में छोटा फायर एक्सटिंग्विशर रखा जा सकता है। इसके अलावा कार में आग लगने की सूरत में तुरंत उसका इंजन बंद करें। सड़क किनारे कार खड़ी कर उससे बाहर निकलें और कार से दूरी बना लें। कार में आग लगने पर अगर कार का लॉक या शीशा जाम हो जाए तो सीट बेल्ट के कुंडे से शीशे के किसी एक तरफ किनारे पर प्रहार करें, बीच में मारने की बजाए किनारे पर प्रेशर से मारने पर शीशा टूट जाता है।
कार की समय से सर्विस करवाएं
कार की मेंटेनेंस का ध्यान रखें, गाड़ी की सर्विस अधिकृत जगह से करवाएं। इंजन ऑयल, कार प्लग (खासकर सीएनजी कार में) को नियमित जांच करवाएं। आफ्टर मार्केट सीएनजी लगवाने पर मैकेनिक कई बार वायरिंग डायरेक्ट कर देते हैं, जिससे कार में शॉर्ट सर्किट से आग लगने का खतरा बढ़ जाता है