UP Traffic Rules: ट्रैफिक व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अब UP (उत्तर प्रदेश) सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। अब राज्य में मोटर वाहन निरीक्षकों (MVI) को कुछ विशेष यातायात अपराधों पर ऑन-द-स्पॉट कंपाउंडिंग यानी मौके पर ही जुर्माना वसूलने का अधिकार मिल गया है। खास बात ये है कि ये अधिकार अब तक सिर्फ पुलिस और मजिस्ट्रेटों के पास थे, लेकिन लेटेस्ट अधिसूचना में MVI को भी इन राइट्स से लैस कर दिया गया है। दावा किया जा रहा है कि इससे UP में ट्रैफिक को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह अधिसूचना 22 अप्रैल 2025 को प्रमुख सचिव, परिवहन द्वारा जारी की गई। इसमें यह भी बताया गया है कि डिजिलॉकर और एम-परिवहन ऐप पर उपलब्ध इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेजों को वैध प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। कंपाउंडिंग की बात करें तो यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ट्रैफिक अपराधी मौके पर ही निर्धारित जुर्माना भरकर कोर्ट की कार्यवाही से बच सकता है।
कंपाउंडिंग के दायरे में आने वाले अपराध और चालान
- प्रदूषण प्रमाण पत्र (PUC) न दिखाने पर 500 से 1,500 रुपये का जुर्माना
- अवैध पार्किंग में पहली बार 500 रुपये और बार-बार उल्लंघन पर 1500 रुपये का जुर्माना
- ड्राइविंग के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 1000 रुपये पहली बार और 10000 दोबारा जुर्माना
- बिना हेलमेट पर 1000 रुपये का जुर्माना
- बिना सीटबेल्ट पर 1000 रुपये का जुर्माना
- ओवरलोडिंग पर 20,000 + 2,000 प्रति अतिरिक्त टन का जुर्माना
- बिना बीमा के वाहन चलाने पर 2,000 रुपये से लेकर 4,000 का जुर्माना
- बिना वैलिड लाइसेंस वाहन चलाने पर 5,000 का जुर्माना
- प्राधिकृत अधिकारी की बात न मानने पर 2,000 का जुर्माना
- पंजीकरण नंबर से छेड़छाड़ करने पर 5,000 से 10,000 का जुर्माना
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक वरिष्ठ अधिकारी के बताया कि , पहली बार मोटर वाहन निरीक्षकों को यह अधिकार दिया गया है, जबकि पहले सिर्फ पुलिस और मजिस्ट्रेट ही चालान कर सकते थे। यह कदम ट्रैफिक नियमों के बेहतर बनाने और ऑन-ग्राउंड नियंत्रण में अहम भूमिका निभाने में मदद करेगा। साथ ही, डिजिलॉकर दस्तावेजों को वैध मानना भी एक बड़ा कदम है।
यह भी पढ़ें: नई जनरेशन Citroen C5 Aircross हुई पेश, हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक के दम पर लुभाएगी