China on Auto Investment in India: ऑटो इंडस्ट्री में इलेक्ट्रिक कारों की मांग तेजी से बढ़ रही है। जहां सभी कंपनियां इलेक्ट्रिक वाहन के क्षेत्र में निवेश करने के लिए आगे आ रही हैं, वहीं चीन ने अपने देश के कार निर्माताओं को बाहर निवेश ना करने की सलाह दी है। चीन का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़ी तकनीकी देश में ही रहनी चाहिए। हालांकि चीनी कंपनियां टैरिफ से बचने के लिए दुनिया भर में कार के कारखाने बना रही हैं।
चीन ने क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चीन सभी ऑटो मेकर्स को नॉक डाउन किट निर्यात करने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है। बीजिंग का कहना है कि सभी वाहनों के प्रमुख अंगों को चीन में ही बनाया जाए और फिर इसे दुनिया के अलग-अलग देशों में मौजूद कारखानों में लेकर जाकर असेंबल किया जाए। इससे चीनी कंपनियां टैरिफ से बच जाएंगी।
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भारत में निवेश न करें- चीन
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने जुलाई में एक दर्जन से ज्यादा ऑटो मेकर्स के साथ बैठक की थी। इस बैठक में वाणिज्य मंत्रालय ने साफ शब्दों में ऑटो मेकर्स को भारत में निवेश ना करने की सलाह दी थी। हालांकि इसकी वजह सामने नहीं आ सकी थी। मुमकिन है कि चीन ने ईवी इंडस्ट्री से जुड़े जोखिमों को रोकने के लिए यह फरमान सुनाया होगा। खबरों की मानें तो तुर्की में निवेश करने से पहले भी कार निर्माताओं को चीन के उद्योग और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से अनुमति लेना पड़ेगा। कार निर्माता तुर्की में मौजूद चीनी दूतावास में इसकी सूचना दे सकते हैं।
चीनी कंपनियों को लगेगा झटका
बता दें कि बीजिंग का यह फैसला ऐसे समय आया है, जब कई चीनी कंपनियां विदेशों में निवेश करने का खाका तैयार कर रही हैं। चीन की कंपनी BYD और चेरी ऑटोमोबाइल जैसी कंपनियां थाईलैंड, स्पेन और हंगरी में निवेश करने की तैयारी कर रही थीं। मगर अब चीन के नए फैसले से ऑटोमोबाइल सेक्टर में हड़कंम मच गया है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अभी तक इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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