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अगस्त में लॉन्च होंगी बिना पेट्रोल, डीजल और इलेक्ट्रिक से चलने वाली कार, जेब पर नहीं पड़ेगा भार

Ethanol Cars: जल्द ही पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों से वाहन चालकों को राहत मिलने वाली है। जल्द ही बाजार में इथेनॉल से चलने वाले वाहन पेश किए जाएंगे। केंद्रीय सड़क ट्रांसपोर्टेशन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह कन्फर्म कर दिया है कि अगस्त 2023 से भारत में 100 फीसदी इथेनॉल से चलने वाले वाहन […]

Edited By : Amit Kasana | Updated: Jul 11, 2023 19:28
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Ethanol Cars: जल्द ही पेट्रोल-डीजल के बढ़े दामों से वाहन चालकों को राहत मिलने वाली है। जल्द ही बाजार में इथेनॉल से चलने वाले वाहन पेश किए जाएंगे। केंद्रीय सड़क ट्रांसपोर्टेशन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह कन्फर्म कर दिया है कि अगस्त 2023 से भारत में 100 फीसदी इथेनॉल से चलने वाले वाहन लॉन्च किए जाएंगे। अगस्त 2023 में लॉन्च होने वाले इन वाहनों का टार्गेट फ्यूल के बारे में हमारे सोचने के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाना और कार्बन एमिशन को कम करना है.

इथेनॉल क्या है

इथेनॉल एक तरह का अल्कोहल है जिसे पेट्रोल में मिलाकर गाड़ियों में फ्यूल की तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। एथेनॉल का उत्पादन यूं तो मुख्य रूप से गन्ने की फसल से होता है लेकिन शर्करा वाली कई अन्य फसलों से भी इसे तैयार किया जा सकता है।

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प्रदूषण में कमी

एथेनॉल के इस्तेमाल से 35 फीसदी कम कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। इतना ही नहीं यह कार्बन मोनोऑक्साइड उत्सर्जन और सल्फर डाइऑक्साइड को भी कम करता है। इसके अलावा एथेनॉल हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन को भी कम करता है। एथेनॉल में 35 फीसदी ऑक्सीजन होता है।

पेट्रोल से कितनी कीमत कम

जानकारी के अनुसार नवंबर 2022 में सरकार ने इथेनॉल की अलग-अलग वैरायटी और कीमतें तय की थीं। इसके मुताबिक सी हैवी मौलेसेस रूट से इथेनॉल की कीमत 49.41 रुपए/लीटर, बी हैवी मौलेसेस रूट से इथेनॉल की कीमत 60.73 रुपए प्रति लीटर और गन्ने के रस के सीरप रूट से इथेनॉल की कीमत 65.61 रुपए प्रति लीटर है। इससे पेट्रोल पर बाइक चलाने वाले लोगों की बचत होगी।

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यह भी जानें

इथेनॉल का प्रोडक्शन रीन्यूएबल प्लांट में किया जाता है, जो इसे एक सस्टेनेबल फ्यूल ऑप्शन बनाता है. बॉयो फ्यूल के विपरीत, जो लिमिटेड हैं और क्लाइमेट चेंज में कांट्रीब्यूट करते हैं. इथेनॉल का प्रोडक्शन तब तक लगातार किया जा सकता है जब तक इन क्राप्स की खेती होती रहेगी। कन्वेंशनल गैसोलीन की तुलना में इथेनॉल कम ग्रीनहाउस गैसों का एमिशन करता है. जब इसे फ्यूल के रूप में जलाया जाता है, तो यह कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) छोड़ता है, लेकिन उत्सर्जित CO2 फसलों द्वारा उनके विकास के दौरान एबजॉर्ब्ड क्वांटिटी के लगभग बराबर होती है, जो इसे कार्बन-न्यूट्रल ऑप्शन बनाती है.

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Amit Kasana

First published on: Jul 11, 2023 07:28 PM

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