देश में पिछले कुछ सालों में 3 सिलेंडर इंजन वाली कारों की डिमांड तेजी से बढ़ रही है। कार कंपनियां तेजी से नए इंजन विकसित कर रही हैं। मारुति सुजुकी और टाटा मोटर्स अपनी कारों में 4-सिलेंडर इंजन के साथ 3-सिलेंडर इंजन लगा रही हैं। यहां हम आपको 3-सिलेंडर इंजन के फायदे और कमियों के बारे में भी जानकारी दे रहे हैं। अगर आप एक 3 सिलेंडर इंजन वाली गाड़ी खरीदने जा रहे हैं तो इस रिपोर्ट पर गौर जरूर करें…
वाहन में 3 सिलेंडर इंजन के फायदे
- माइलेज में कमी नहीं
जिन कारों में 3 सिलेंडर इंजन होते हैं उनकी माइलेज भी बेहतर होती है। दरअसल जितने कम सिलेंडर होंगे, इंजन भी उतना ही हल्का होगा। अब ऐसे में कंपनी को कार के ओवरऑल वजन को सेविंग करने में काफी मदद मिलती है। इससे माइलेज बढ़ जाता है क्योंकि कम लोड के चक्कर में फ्यूल की भी खपत कम होती है।
- पावर का बढ़िया मिलना
3 सिलेंडर इंजन दूसरा फायदा ये भी है कि छोटे इंजन की परफॉरमेंस थोड़ी ज्यादा ही होती है। इतना ही नहीं टर्बो-चार्ज तकनीक की मदद से पावर को बढ़ाया जा सकता है। आजकल महंगी कारों में भी यही इंजन देखने को मिल रहे हैं। टर्बो-चार्ज्ड इंजन की ख़ास बात ये है कि इससे फन टू ड्राइव का मज़ा मिलता है। 3 सिलेंडर इंजन कम पावर और टॉर्क उत्पन्न करते हैं और खासकर हाई RPM पर।
- कीमत का कम होना
4 सिलेंडर इंजन कारों की तुलना में 3 सिलेंडर इंजन वाली कारों की कीमत कम होती है। क्योंकि मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट कम लगती है। इसके अलावा 3 सिलेंडर इंजन वाली कारों मेंटेनेंस भी कम आती है और सर्विस चार्ज भी कम लगता है जिसकी वजह से हर सर्विस पर आपके काफी पैसे बच जाते हैं।
वाहन में 3-सिलेंडर इंजन के नुकसान
3 सिलेंडर इंजन में 4 सिलेंडर इंजन की तुलना में ज्यादा शोर और वाइब्रेशन होता है जिसकी वजह से केबिन में शोर सुनाई देता है जब आप हाई स्पीड में ड्राइव करते हैं। कम रफ़्तार में उतना खास फर्क नहीं पड़ता।
- ड्राइव नहीं होती स्मूथ
4 सिलेंडर इंजन की तुलना में 3-सिलेंडर इंजन में आपको स्मूथ परफॉरमेंस नहीं मिलेगी क्योंकि इंजन में जितने कम सिलेंडर होंगे वाइब्रेशन उतनी ही ज्यादा होगी। 3-सिलेंडर इंजन में पावर कम मिलती है, और ज्यादा पावर बढ़ाने के लिए कंपनियां टर्बो चार्जर का इस्तेमाल करती हैं।
- बढ़ेगी डिमांड
आने वाले सालों में छोटे इंजन वाली कारों की डिमांड बढ़ेगी क्योंकि कीमत कम होगी और माइलेज बेहतर मिलेगी। इतना ही नहीं सर्विस का खर्च भी कम आएगा। हर साल इंश्योरेंस लेने पर भी पैसे की भी बचत होगी।
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