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ज्योतिष

बॉस रहते हैं आपसे नाखुश तो इन ग्रहों को कर लें खुश, करियर में लग जाएगा जैकपॉट

Office Astro Tips: क्या आपको भी अधिकतर अपने बॉस की डांट सुननी पड़ती है। वे आपसे नाराज हो जाते है। अगर ऐसा है तो जरूरी नहीं है कि इसमें आपकी ही गलती हो। यह आपकी कुंडली में ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण भी हो सकता है। आइए जानते हैं कि इन समस्याओं के लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार हैं और बॉस से अच्छे संबंध रखने के लिए क्या उपाय करें?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Jul 9, 2025 22:27
Office Astro Tips
Credit- freepik

Office Astro Tips: क्या आपके बॉस अक्सर आपसे नाराज रहते हैं? क्या आपकी मेहनत को नजरअंदाज किया जाता है या छोटी-छोटी बातों पर ताने सुनने पड़ते हैं? वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कार्यक्षेत्र में बॉस के साथ तनाव और गलतफहमियां केवल आपकी कार्यशैली का परिणाम नहीं होती हैं, बल्कि ये आपकी कुंडली में कुछ ग्रहों की अशुभ स्थिति का संकेत भी हो सकती हैं। बह्त होरा पाराशर शास्त्र और मुहूर्त चिंतामणि जैसे प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति कार्यक्षेत्र में मतभेद, गलत कम्युनिकेशन और असफलता का कारण बनती है।

वैदिक ज्योतिष में कार्यक्षेत्र और बॉस के साथ संबंधों पर कुछ ग्रहों का विशेष प्रभाव पड़ता है। इन ग्रहों की अशुभ स्थिति या दशा के कारण बॉस के साथ तनाव, गलतफहमियां और कार्य में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। आइए जानते हैं कि इसके लिए कौन से ग्रह जिम्मेदार हैं और इनका प्रभाव कैसे कम किया जा सकता है?

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क्या कहते हैं शास्त्र?

प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों में भी ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण कार्यक्षेत्र में समस्याओं के बारे में बताया गया है। बृहत् पराशर होरा शास्त्र के अध्याय 24 में श्लोक 12-15 में कहा गया है कि ‘दशमे पापग्रहसंनादति वा नीचस्थितौ, कर्मक्षेत्रे विघ्नः संनादति’। इसका अर्थ है कि दशम भाव में पाप ग्रहों की युति या नीच स्थिति होने पर कार्यक्षेत्र में बाधाएं और असफलता उत्पन्न होती है। यह ग्रंथ विशेष रूप से शनि और राहु के दशम भाव में होने पर बॉस या उच्च अधिकारियों के साथ मतभेद को बताता है।

इसी तरह, मुहूर्त चिंतामणि के अध्याय 3 में श्लोक 8-10 में बुध और मंगल की अशुभ स्थिति के कारण संचार में त्रुटियों और कार्यक्षेत्र में तनाव का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि ‘बुधस्य पापदृष्ट्या संनादविप्लवः, कर्मस्थाने विवादः भवति। मतलब यह है कि बुध ग्रह पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने पर कार्यक्षेत्र में विवाद और कम्युनिकेशन में भटकाव होता है। वहीं, कुछ उपायों को करने से आपके करियर में जैकपॉट भी लग सकता है।

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शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव

शनि ग्रह को कार्यक्षेत्र में अनुशासन, मेहनत, और जिम्मेदारी का प्रतीक माना जाता है। अगर आपकी कुंडली में शनि नीच राशि जैसे मेष में हो या तीसरे, छठे, अथवा आठवें भाव में हो तो यह बॉस के साथ मतभेद और कार्य में देरी का कारण बन सकता है। शनि की अशुभ दृष्टि या साढ़े साती के प्रभाव से व्यक्ति को कार्यस्थल पर अपने उच्च अधिकारियों से असहयोग और आलोचना का सामना करना पड़ता है। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब शनि दशम भाव में हो या इस पर पापी ग्रहों की दृष्टि हो।

इससे छुटकारा पाने के लिए आप हर शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र शनि के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और कार्यक्षेत्र में स्थिरता लाता है। इसके अलावा, शनिवार को काले उड़द या काले जूते दान करें। यह शनि की शांति के लिए अत्यंत प्रभावी है। इसके साथ ही, कार्यस्थल पर धैर्य और विनम्रता बनाए रखें, क्योंकि शनि धैर्य की परीक्षा लेता है।

राहु के कारण भी होती है समस्याएं

राहु भ्रम, गलत संचार और अनावश्यक कठिनाइयों का कारक है। अगर राहु आपकी कुंडली के दशम, लग्न, या सप्तम भाव में हो, तो यह बॉस के साथ गलतफहमियां और कम्युनिकेशन में त्रुटियों का कारण बन सकता है। मुहूर्त चिंतामणि में कहा गया है कि राहु की अशुभ स्थिति कार्यक्षेत्र में गलत निर्णय, अनुचित व्यवहार और बॉस के साथ तनाव को बढ़ावा देती है। राहु का प्रभाव व्यक्ति को बॉस के सामने गलत तरीके से प्रस्तुत करने और भ्रामक परिस्थितियां पैदा करने का कारण बनता है।

इसके लिए बुधवार को भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें और ‘ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंत्र भ्रामक परिस्थितियों को दूर करता है और संचार में स्पष्टता लाता है। इसके अलावा शनिवार को नारियल को बहते पानी में प्रवाहित करें। यह राहु के अशुभ प्रभाव को कम करता है। कार्यस्थल पर अपनी बात को स्पष्ट और संक्षेप में रखें ताकि गलतफहमियां न हों।

मंगल भी देता है समस्या

मंगल ग्रह साहस और ऊर्जा का प्रतीक है, लेकिन इसकी अशुभ स्थिति कार्यक्षेत्र में आक्रामकता और विवाद को जन्म दे सकती है। यदि मंगल कुंडली में नीच कर्क में हो या दशम भाव पर शनि या राहु की दृष्टि हो तो यह बॉस के साथ तीखी बहस और गलतफहमियों का कारण बन सकता है। जातक पारिजात के अनुसार मंगल की अशुभ स्थिति व्यक्ति को कार्यस्थल पर जल्दबाजी और क्रोधपूर्ण व्यवहार की ओर ले जाती है, जिससे बॉस की नाराजगी बढ़ती है।

इसके लिए मंगलवार को हनुमान मंदिर में लाल चंदन और लाल फूल अर्पित करें। ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। यह मंगल के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और कार्यक्षेत्र में शांति लाता है। मंगलवार को मसूर की दाल या लाल मूंगा ज्योतिषी की सलाह लेकर दान करें। कार्यस्थल पर क्रोध को नियंत्रित करें और बॉस के साथ संवाद में शांतिपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएं।

सूर्य का अशुभ प्रभाव

सूर्य आत्मविश्वास और नेतृत्व का प्रतीक है, लेकिन यदि यह कुंडली में सूर्य तुला राशि में हो या राहु-केतु के साथ युति में हो, तो यह अहंकार और बॉस के साथ टकराव का कारण बन सकता है। सूर्य की अशुभ स्थिति कार्यक्षेत्र में उच्च अधिकारियों के साथ मतभेद और असम्मान की स्थिति पैदा करती है। सूर्य का प्रभाव व्यक्ति को बॉस के सामने अति आत्मविश्वास या गर्वीले व्यवहार की ओर ले जा सकता है।

इससे मुक्ति के लिए प्रतिदिन सुबह सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं और ‘ॐ ह्रीं सूर्याय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करें। रविवार को गेहूं, गुड़, या लाल कपड़ा दान करें। कार्यस्थल पर विनम्रता और सहयोगात्मक रवैया अपनाएं, क्योंकि सूर्य का अशुभ प्रभाव अहंकार को बढ़ा सकता है।

कर सकते हैं ये आसान से उपाय

  • सोमवार को शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाएं और ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें। यह सभी ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को कम करता है और कार्यक्षेत्र में शांति लाता है।
  • अपने कार्यस्थल पर उत्तर दिशा में एक छोटा सा पानी का फव्वारा या नीले रंग का ग्लास रखें। यह सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है और तनाव को कम करता है।
  • बॉस के साथ संवाद में हमेशा स्पष्ट और सम्मानजनक रहें। नियमित रूप से ध्यान या योग करें ताकि मानसिक शांति बनी रहे।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: Jul 09, 2025 09:28 PM

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