Surya Mahadasha Effect: वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूरे ब्रह्मांड में कुल ग्रहों की संख्या 9 है। नौ ग्रहों की दशाओं का प्रभाव पृथ्वी पर मौजूद सभी प्राणियों पर कुछ न कुछ प्रभाव पड़ता है। इसमें कुछ लोगों को सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, तो वहीं कुछ राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ज्योतिषियों के अनुसार, किसी भी जातक की कुंडली में कौन से ग्रह किस स्थान में विराजमान है, ग्रह की महादशा शुभ है या अशुभ, उस आधार पर व्यक्ति को शुभ और अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
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वैदिक शास्त्र के अनुसार, सभी ग्रहों में सूर्य देव को राजा माना गया है। सूर्य देव को मान-सम्मान और प्रतिष्ठा के कारक माना गया है। मान्यता है कि सूर्य देव की महादशा 6 साल तक की होती है। माना जाता है कि जिस जातक की कुंडली में सूर्य देव की स्थिति उच्च होती है वैसे जातक समाज में मान-सम्मान के साथ किसी भी पद पर प्रशासनिक पद प्राप्त करते हैं। साथ ही उस जातक के अंदर में लोगों को नेतृत्व करने की छमता होती है। आज इस खबर में जानेंगे सूर्य देव की महादशा का जीवन में क्या प्रभाव पड़ता है।
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कुंडली में सूर्य की स्थिति शुभ होने पर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य देव की स्थिति उच्च होती है, तो जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि सूर्य की स्थिति ठीक होने से जातक के अंदर आत्मविश्वास भरा रहा है साथ ही उच्च फल भी प्रदान करते हैं। कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक रहने से बिगड़े कार्य भी बनने लगते हैं।
कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक न होने पर
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब किसी जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं होती है तो वैसे जातक के जीवन में नकारात्मक घटनाएं होने लगती हैं। जातक को अशुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दौरान व्यक्ति को हृदय और आंख से संबंधित रोग होने लगते हैं। साथ ही व्यक्ति मोटापे से परेशान होता है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।