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Ram Katha : कौन था कबंध? जिसका श्रीराम और लक्ष्मण ने किया उद्धार

Ram Katha Shri Ram Lakshman Kabandha Interesting Story : रामचरित मानस में श्रीराम और राक्षसों के युद्ध की बहुत सी कहानियों का वर्णन है, लेकिन रामचरित मानस के अनुसार श्रीराम ने एक ऐसे राक्षस का भी वध किया था, जिसने कभी राम को कोई हानि नहीं पहुंचाई।

राम कथा
Ram Katha Shri Ram Lakshman Kabandha Interesting Story: राम सिया राम...रामचरित मानस के अनुसार भगवान श्रीराम ने वनवास काल में अनेक राक्षसों का संहार किया था। श्रीराम ने जिन राक्षसों का वध किया था, उनमें से कई राक्षसों के नाम हमने सुने होंगे तो कई राक्षस ऐसे भी होंगे जिनके नाम से शायद ही हम लोग परिचत हों। राम सिया राम...की कड़ी में आज एक ऐसे ही राक्षस के बारे में दिलचस्प कहानी बताने जा रहे हैं, जो एक स्थान पर स्थिर रहता था और चल-फिर नहीं सकता था। उसने स्वयं भगवान श्रीराम से उनके हाथों अपनी मृत्यु मांगी थी। तो आइए पढ़ें एक ऐसी ही रोचक स्टोरी... ये भी पढ़ें :  श्रीराम ने शत्रुघ्न को क्यों बनाया मथुरा का राजा पौराणिक धर्मग्रंथ श्रीरामचरित मानस के अनुसार भगवान श्रीराम सीता हरण के बाद पक्षीराज जटायु का अंतिम संस्कार करके दण्डकारण्य के अंतरिक भागों में जानकी जी की खोज कर रहे थे। सीता जी की खोज में वे पहाड़ों और नदियों को पार करते हुए एक वित्रित्र स्थान पर पहुंचते हैं। वहां जाकर श्रीराम अपने छोटे भ्राता लक्ष्मण के साथ कुछ आश्चर्य चकित होकर वन को निहारते हैं कि तभी दो विशाल भुजाएं श्रीराम और लक्ष्मण को अपनी ओर खींचने लगती हैं। परंतु श्रीराम और लक्ष्मण कुछ नहीं समझ पाते हैं। इस दौरान लक्ष्मण अपनी तलवार के वार से उन भुजाओं को काटते हुए वहां पहुंचते हैं, जहां धड़ में घुसी हुई गर्दन और मस्तक में स्थित एक आंख वाला एक विशालकाय राक्षस मौजूद था। भगवान श्रीराम और लक्ष्मण कुछ समझ पाते तो उस राक्षस ने पूछा कि क्या आप प्रभु श्रीराम और लक्ष्मण हैं। राक्षस के इस प्रकार पूछने पर श्रीराम और लक्ष्मण और भी आश्चर्यचकित होकर उसे निहारते हैं। साथ ही अपना परिचय देते हैं कि हां हम दोनों भाई राम और लक्ष्मण ही हैं और राक्षस से पूछते हैं कि वह हमें कैसे जानता है, हम लोग तो इस वन में पहली बार ही आए हैं। ये भी पढ़ें : भगवान श्रीराम के राजतिलक में लक्ष्मण जी क्यों नहीं हुए थे शामिल वह विशालकाय राक्षस श्रीराम को अपने बारे में बताता है और कहता है कि हे प्रभु राम मेरा नाम कबंध राक्षस हैं और मैं काफी समय से आपके ही आने का इंतजार कर रहा था। साथ ही कहता है कि हे भगवान आप मेरा उद्धार कीजिए और मुझे इस विशाल शरीर से मुक्ति दिलाइए। श्रीराम और लक्ष्मण वन से लकड़ियां एकत्रित करते हैं और चिता बनाकर उस राक्षस को जिंदा ही भस्म कर देते हैं। कबंध राक्षस अपनी देह त्याग देव लोक को प्राप्त होता है और उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। साथ ही राक्षस कबंध श्रीराम को शबरी से मिलने तक का मार्ग भी श्रीराम को बताता है। डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धर्मग्रंथों पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।


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