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सिर्फ 7 दिन करें इस मंत्र का जप, किसी का भी भूत-भविष्य-वर्तमान देख सकेंगे

Panchanguli Devi: इन दिनों बागेश्वर धाम सरकार की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए बहुत से लोग उनके जैसी सिद्धि पाना चाहते हैं। इसके लिए तंत्र ग्रंथों में बहुत सी मंत्र साधनाएं तथा दिव्य प्रयोग भी दिए गए हैं। आप भी इन प्रयोगों के जरिए त्रिकालज्ञ बन सकते हैं। पंचांगुली साधना भी ऐसी ही एक साधना […]

Edited By : Sunil Sharma | Updated: Aug 23, 2023 12:52
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Panchanguli Devi: इन दिनों बागेश्वर धाम सरकार की बढ़ती लोकप्रियता को देखते हुए बहुत से लोग उनके जैसी सिद्धि पाना चाहते हैं। इसके लिए तंत्र ग्रंथों में बहुत सी मंत्र साधनाएं तथा दिव्य प्रयोग भी दिए गए हैं। आप भी इन प्रयोगों के जरिए त्रिकालज्ञ बन सकते हैं। पंचांगुली साधना भी ऐसी ही एक साधना है।

ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार पंचांगुली साधना सिद्ध करने वाले लोग किसी का चेहरा या हाथ देख कर उसका भूत, भविष्य और वर्तमान जान सकते हैं। इसके लिए उन्हें न तो किसी का सहारा लेना होता है और न ही किसी अन्य तरह की ट्रिक अपनानी होती है।

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क्या है पंचांगुली साधना (Panchanguli Devi Sadhna)

यह एक दैवीय साधना है जिसमें पंचांगुली देवी की आराधना की जाती है। इसके लिए दो तरह के मंत्र दिए गए हैं। एक वैदिक मंत्र हैं जिसका जप लगातार 108 दिनों तक रोजाना करना होता है। दूसरे मंत्र में केवल सात दिनों तक प्रतिदिन 108 बार जप करना होता है। इसमें अन्य कई नियम भी दिए गए हैं। एक बार इस मंत्र प्रयोग को पूरा कर लिया जाए तो व्यक्ति जिसका भी चाहे, उसका भूत, भविष्य और वर्तमान आसानी से जान सकता है। मंत्र निम्न प्रकार है

पंचांगुली मंत्र (Panchanguli Devi Mantra)

ॐ नमो पंचांगुली पंचांगुली परशरी परशरी माता मयंगल
वशीकरणी लोहमय दंडमणिनी चौसठ काम विहंडनी
रणमध्ये राउलमध्ये शत्रुमध्ये दीवानमध्ये भूतमध्ये प्रेतमध्ये
पिशाचमध्ये झोंटिंगमध्ये डाकिनीमध्ये शंखिनीमध्ये
यक्षिणीमध्ये दोषिणीमध्ये शेकनीमध्ये गुणीमध्ये गारुडीमध्ये
विनारीमध्ये दोषमध्ये दोषाशरणमध्ये दुष्टमध्ये घोर
कष्ट मुझ ऊपरे बुरो जो कोई करे करावे जड़े जड़ावे तत चिन्ते
चिन्तावे तस माथे श्री माता श्री पंचांगुली देवी तणो
वज्र निर्धार पड़े ॐ ठं ठं ठं स्वाहा।

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कैसे करें इस प्रयोग को

इस प्रयोग को किसी अनुभवी गुरु की देखरेख में ही करना चाहिए। अन्यथा इससे हानि भी हो सकती है। साधना काल में व्यक्ति को कई खतरनाक अनुभव भी होते हैं। यदि उनसे डर जाए तो साधना तो भंग होती ही है, साथ में व्यक्ति पागल भी हो सकता है। इसके अतिरिक्त कुछ नियम भी बताए गए हैं जो निम्न प्रकार हैं

  • साधना काल में पूर्णतया ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। भूल से भी किसी स्त्री का स्पर्श अथवा चिंतन नहीं होना चाहिए।
  • जहां तक संभव हो, साधक को खुद के हाथ से बना खाना या फलाहार ही करना चाहिए। भोजन एक समय ही करना चाहिए।
  • साधना काल के एक माह पूर्व से ही लहसुन, प्याज मांस, मदिरा, अंडे, शराब तथा अन्य सभी तामसिक भक्ष्य पदार्थ त्याग देने चाहिए।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

First published on: Mar 28, 2023 12:30 PM

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