Panchak 2025: पंचक एक ज्योतिषीय योग है, जो चंद्रमा के पांच विशेष नक्षत्रों धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती में गोचर के दौरान बनता है। ये नक्षत्र कुंभ और मीन राशियों में आते हैं। चंद्रमा को इन नक्षत्रों को पार करने में लगभग पांच दिन लगते हैं, इसलिए इस अवधि को ‘पंचक’ कहा जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, पंचक हर 27 दिनों में आते हैं और इस समय को अशुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान किए गए कुछ कार्यों का प्रभाव पांच गुना बढ़ सकता है, जिससे नुकसान की आशंका रहती है।
16 जून 2025 सोमवार की दोपहर 1 बजकर 10 मिनट से पंचर शुरू हो रहा है, यह पंचक 20 जून की रात 9 बजकर 45 पर समाप्त होंगे। जून में राज पंचक लग रहे हैं। यह अन्य पंचकों की तुलना में कम अशुभ होता है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना जरूरी है। दरअसल पंचक कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें दिन के अनुसार बांटा गया है।
कितने प्रकार के होते हैं पंचक?
पंचक को सप्ताह के दिनों के अनुसार 6 प्रकार में बांटा गया है। आइए जानते हैं कि दिन के अनुसार पंचक कौन-कौन से होते हैं?
रोग पंचक रोग पंचक (रविवार): इस दौरान स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं। बीमारियों का खतरा रहता है, इसलिए स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
राज पंचक (सोमवार): सोमवार के दिन शुरू होने वाला पंचक राज पंचक होता है। यह कुछ हद तक शुभ माना जाता है। संपत्ति खरीदने या सरकारी कार्यों को इस दिन किया जा सकता है। हालांकि, मांगलिक कार्य इस दौरान भी वर्जित रहते हैं।
अग्नि पंचक (मंगलवार): मंगलवार को शुरू होने वाले पंचकों को अग्नि पंचक कहते हैं। इस पंचक में आग से संबंधित कार्यों, जैसे रसोई निर्माण या अग्नि से जुड़े यज्ञ से बचना चाहिए, क्योंकि दुर्घटना का खतरा रहता है।
जल पंचक (बुधवार): जल पंचक बुधवार के दिन से शुरू होते हैं। इस दौरान जल से संबंधित कार्य, जैसे नदी में स्नान, बड़े जलाशयों की यात्रा या बोरवेल खनन आदि कार्य जोखिम भरे हो सकते हैं। इस दौरान बाढ़ या जल-जनित रोगों का खतरा रहता है।
चोर पंचक (गुरुवार और शुक्रवार): गुरुवार और शुक्रवार को शुरू होने वाले पंचक को चोर पंचक कहते हैं। इस दौरान चोरी, धन हानि या विश्वासघात की संभावना बढ़ जाती है। इस दौरान व्यापार, निवेश और बड़े लेनदेन में सावधानी बरतें।
मृत्यु पंचक (शनिवार): शनिवार के दिन शुरू होने वाला यह पंचक सबसे अशुभ माना जाता है। इस दौरान मृत्यु तुल्य कष्ट या गंभीर समस्याएं हो सकती हैं और सभी शुभ कार्य पूरी तरह वर्जित हैं।
पंचक का महत्व
हिंदू धर्म में पंचक को इसलिए महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह जीवन के विभिन्न पहलुओं जैसे स्वास्थ्य, धन और परिवार पर प्रभाव डाल सकता है। गरुड़ पुराण और अन्य ज्योतिष ग्रंथों में पंचक के दौरान सावधानी बरतने को कहा जाता है। इस अवधि में किए गए कार्यों का प्रभाव लंबे समय तक रह सकता है।
पंचक के दौरान वर्जित हैं ये कार्य
पंचक के दौरान कुछ कार्यों को करने की मनाही होती है। आइए जानते हैं कि इस दौरान किन कार्यों को नहीं करना चाहिए?
- पंचक के दौरान विवाह, सगाई, मुंह दिखाई, मुंडन, गृह प्रवेश, और नामकरण जैसे शुभ कार्य वर्जित हैं। ऐसा माना जाता है कि इन कार्यों का शुभ फल नहीं मिलता और बाधाएं आती हैं।
- दक्षिण दिशा को यम और पितरों की दिशा माना जाता है। पंचक में इस दिशा की यात्रा करने से दुर्घटना या हानि का भय रहता है। यदि यात्रा जरूरी हो तो हनुमान चालीसा का पाठ करें और कुछ कदम उत्तर दिशा में चलकर यात्रा शुरू करें।
- पंचक में घर की छत ढालना, लेंटर डालना या नींव रखना अशुभ है। इससे घर में क्लेश, धन हानि या नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश हो सकता है।
- धनिष्ठा नक्षत्र में घास, लकड़ी, तेल या अन्य ज्वलनशील सामग्री इकट्ठा करने से आग लगने का खतरा रहता है।
- पंचक में चारपाई, पलंग या बिस्तर बनवाना या खरीदना वर्जित है। इससे परिवार में संकट आ सकता है।
- यदि पंचक में किसी की मृत्यु हो, तो दाह संस्कार से पहले विशेष अनुष्ठान करना जरूरी है। गरुड़ पुराण के अनुसार शव के साथ आटे या कुश के पांच पुतले बनाकर उनका भी दाह संस्कार करें, ताकि पंचक दोष का प्रभाव कम हो।
- चोर पंचक में धन के बड़े लेन-देन, नए व्यापार की शुरुआत या निवेश से बचें, क्योंकि धन हानि या चोरी की आशंका रहती है।
राज पंचक में किए जा सकते हैं ये काम
राज पंचक में कुछ कार्यों को करने शुभ माना जाता है। आइए जानते हैं कि इस दौरान किन कामों को किया जा सकता है?
धनिष्ठा और शतभिषा नक्षत्र में यात्रा करना शुभ माना जाता है। रेवती नक्षत्र में व्यापारिक सौदे या विवाद निपटारा करना लाभकारी हो सकता है। गणपति मूर्ति विसर्जन, हनुमान जी की पूजा इस दौरान करने से शुभ फल प्राप्त होता है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।