Navratri: हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक व मांगलिक कार्य में दीपक जलाने की परंपरा रही है। विशेष कर पूजा व अन्य अनुष्ठानों में तो अखंड दीपक जलाया जाता है। यह दीपक अनुष्ठान पूरा होने तक जलता है। जो लोग नवरात्रि में पूजा अनुष्ठान करते हैं, वे भी अखंड दीपक जलाते हैं। यह लगातार नौ दिन तक जलता रहता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित रामदास के अनुसार अखंड दीपक जलाने के लिए भी शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं। यदि इन नियमों का ध्यान नहीं रखा जाए तो लाभ के स्थान पर नुकसान भी हो सकता है। जानिए क्या हैं ये नियम और किस तरह अपना प्रभाव दिखाते हैं।
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ये हैं पूजा में अखंड दीपक जलाने के नियम (Navratri Puja Vidhi)
दीपक को हमेशा गणेशजी को नमस्कार करने के बाद ही जलाया जाता है। आप जब भी पूजा हेतु अखंड दीपक जलाएं तो मन ही मन भगवान गणपति सहित अपने इष्टदेव व गुरुजनों को नमन करें तथा बड़ों का आशीर्वाद लें। इसके बाद ही दीपक जलाना चाहिए।
अखंड दीपक में कपास या मौली की बाती बनाई जाती है। इसे एक दीपक में रख कर जलाया जाता है। परन्तु इस दीपक को कभी भी भूमि पर नहीं रखा जाता। वरन दीपक को किसी चौकी पर गेहूं या चावल की ढेरी बनाकर उस पर रखा जाता है। दीपक के चारों ओर आकर्षक रंगोली भी बनाई जा सकती है।
एक बार दीपक जलाने के बाद उसकी बाती नहीं बदली जाती है। इसलिए पहले ही पर्याप्त लंबी बाती बनाएं और गहरा दीपक लें। इस दीपक को पूजा स्थान पर आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण दिशा) में रखना चाहिए। दीपक हवा से न बुझ जाएं, इसके लिए उसे ढंक देना चाहिए।
अखंड दीपक लगातार जलता रहे, इसके लिए आपको समय-समय पर उसे देखते रहना चाहिए। जैसे ही उसमें देसी घी कम होने लगे, तुरंत ही थोड़ा सा और डाल दें। अनुष्ठान पूरा होने के बाद दीपक को फूंक मारकर न बुझाएं बल्कि उसे स्वत: ही शांत होने दें।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।