Chapchar Kut 2024: हिंदू धर्म में व्रत और पूजा पाठ का जितना महत्व है। उतना ही इसमें हर एक त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। साल 2024 के दूसरे माह यानी फरवरी आखिरकार खत्म हो गया है, जिसके बाद कल से मार्च का महीना शुरू होगा। इस बार मार्च में कई त्योहार पड़ रहे हैं। जहां मार्च के पहले दिन मिजोरम का सबसे बड़ा त्योहार चापचर कुट पड़ रहा है, तो वहीं हिंदू लोगों का प्रमुख पर्व महाशिवरात्रि भी पड़ रही है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस लिए जो लोग इस दिन महादेव की आराधना करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है। इसके अलावा उनके घर-परिवार में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। मार्च में महाशिवरात्रि के अलावा बिहार दिवस, होली और गुड फ्राइडे आदि त्योहार भी है। वहीं इस माह रमजान के पाक माह की शुरुआत भी हो रही है।
आज हम आपको इस आर्टिकल में चापचर कुट त्योहार के बारे में बताएंगे। इसके अलावा ये भी बताएंगे कि चापचर कुट त्योहार क्यों मनाया जाता है।
ये भी पढ़ें- March Bank Holidays: मार्च में एक या दो दिन नहीं, कुल 18 दिन बंद रहेंगे बैंक! यहां देखिए पूरी लिस्ट
कब मनाया जाता है चापचर कुट त्योहार?
बता दें कि चापचर कुट त्योहार मिजोरम के लोगों का बहुत बड़ा त्योहार है। इसे मिजोरम में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल मिजोरम में चापचर कुट का त्योहार मार्च की पहली तारीख यानी 1 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। चापचर कुट को वसंत उत्सव की तरह मनाया जाता है, जिसे आमतौर पर झूम की खेती के पूरा होने के बाद मनाया जाता है। इसके अलावा चापचर कुट पर्व को मिजोरम में सर्वाधिक लोकप्रिय वसंतोत्सव के तौर पर भी मानया जाता है। मिजोरम में लोग इस पर्व को बहुत ही श्रद्धा भाव से मनाते हैं। इस खास दिन वह उल्लास के साथ डांस करते हैं।
Chapchar kut 2020 celebration at Aizawl. The main festival of Mizoram. pic.twitter.com/uSsyLf2cLI
— S b k singh (@sbksinghips) March 6, 2020
बांस की लकड़ी के साथ करते हैं नृत्य
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चपचार कुट का उत्सव सबसे पहले 1450 ईस्वी से 1600 ईस्वी के बीच शुरू हुआ था। इस पर्व में मिजोरम के लोग सबसे पहले बांस के पेड़ों को काटते हैं और फिर उन्हें सूखने के लिए छोड़ देते हैं। ताकी झूम खेती के लिए उन्हें जलाया जा सकें।
इस खास दिन लोग रंग-बिरंगे अपने पारंपरिक ड्रेस पहनते हैं। हालांकि इस त्योहार में डीजे का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। बल्कि लोग बांसुरी, ढोल और घंटियों की धुन पर गाना गाकर पारंपरिक नृत्य करते हैं। इसके अलावा इस चपचार कुट पर्व में विशेष तौर पर चेराओ नामक नृत्य किया जाता है। जो वहां के लोगों का पारंपरिक नृत्य भी है। इस नृत्य को आम तौर पर 6 से 8 लोग साथ में करते हैं। इसमें पुरुष गाने की लय पर बांस की लकड़ी को थपथपाते हैं। वहीं महिलाएं बांस की लकड़ी के साथ नृत्य करती हैं। इस नृत्य की खास बात ये है कि यहां इस पर्व में शामिल होने के लिए आम जन से लेकर आदिवासी महिला और पुरुष आते हैं। यह त्योहार 1 मार्च से शुरू होता है, जो पूरे मिजोरम में मनाया जाता है और कई दिनों तक चलता है।
ये भी पढ़ें- Vastu Tips: नहाने के पानी में मिलाएं ये चीजें, धन संपत्ति में होगी वृद्धि