---विज्ञापन---

अगर एकादशी के दिन भूल से खा लिए हों ‘पका-चावल’ तो न करें चिंता, जानें उपाय

Ekadashi Vrat: अक्सर लोग कहते हैं कि एकादशी के दिन पका हुआ चावल नहीं खाना चाहिए। मगर क्या आप जानते हैं कि एकादशी के दिन भात क्यों नहीं खाना चाहिए। चलिए जानते हैं।

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Dec 7, 2023 07:58
Share :
Ekadashi

Ekadashi Vrat History Importance Upay in Hindi: एकादशी तिथि का सनातन धर्म में बेहद खास महत्व है। दरअसल गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं “मैं तिथियों में एकादशी हूं।” ऐसे में इस बात से एकादशी की पवित्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है। एकादशी व्रत से जुड़ा एक नियम ये है कि इस दिन पका हुआ चावल (भात) नहीं खाना चाहिए। कहा जाता है कि ऐसा करने वालों को एकादशी व्रत-भंग का दोष लगता है। हालांकि शास्त्रों में इस दोष से मुक्ति पाने के लिए भी उपयुक्त उपाय बताए गए हैं। आइए अब इस आर्टिकल में जानते हैं कि अगर गलती से एकादशी के दिन भात का सेवन कर लिया है तो उससे लिए क्या उपाय करना उचित रहेगा।

एकादशी के दिन अगर खा लिए भात तो क्या करें?

वैसे तो एकादशी के दिन भात खाने से बचना चाहिए। दरअसल इसके पीछे धार्मिक वजह यह है कि मान की चंचलता को दूर करने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है, और इस दिन पका हुआ चावल (भात) खाने से मन और भी चंचल हो जाता है। कहा भी गया है- जैसा अन्न, वैसा मन। पके हुए चावल यानी भात में जल तत्व की प्रधानता होती है। ऐसे में जब एकादशी व्रत के दिन भात का सेवन किया जाता है तो मन-मस्तिष्क की चंचलता और भी अधिक बढ़ जाती है। इसलिए कहा जाता है कि एकदशी के दिन भात यानी पके हुए चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।

News24 Whatsapp Channel

अब आप सोच रहे होंगे कि अगर धोखा से एकादशी के दिन ऐसा हो जाए तो इसका शास्त्र सम्मत उपाय क्या है? दरअसल अगर कोई गलती से एकादशी के दिन चावल खा ले तो उसे इसको लेकर चिंतित न होकर उपाय कर लेना बेहतर होगा। कहा जाता है कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने से एकादशी के दिन चालव खाने का दोष खत्म हो जाता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि एकादशी के दिन ही यह उपाय करना चाहिए। पूरे जीवन काल में जब भी समय मिले जगन्नाथ मंदिर के दर्शन कर लेना चाहिए। इससे एकादशी व्रत-भंग का दोष समाप्त हो जाता है।

यह भी पढ़ें: उत्पन्ना एकादशी कब है 8 या 9 दिसंबर को? नोट करें शुभ मुहूर्त, पारण समय, विधि और मंत्र

कैसे हुई एकादशी की उत्पत्ति?

एकादशी तिथि की उत्पत्ति को लेकर शास्त्रों में कथा आई है कि एक बार मुर नामक असुर भगवान विष्णु का पीछा करते हुए बद्रीकाश्रम पहुंच गया। असुर, मुर ने जब यह देखा कि भगवान निद्रा में लीन हैं तो उसने मारने की चेष्टा की। जैसे ही असुर ने भगवान को मारने के विचार से आगे बढ़ा, विष्णु जी के शरीर से एक देवी का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने मुर नामक असुर का वध कर दिया। इस प्रकार एकादशी की उत्पत्ति हुई। मान्यता है कि जब ऐसा हुआ वह दिन मार्गशीर्ष कृष्ण एकादशी थी। सनातन-धार्मिक ग्रंथ गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है-“मैं मासों में मार्गशीर्ष (अगहन) हूं।”

डिस्क्लेमर:यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

HISTORY

Written By

Dipesh Thakur

First published on: Dec 07, 2023 07:39 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें