Paush Putrada Ekadashi Saphala Ekadashi January 2024: सनातन धर्म की व्रत परंपरा में ‘एकादशी’ का विशेष धार्मिक महत्व है। मान्यता के अनुसार, एकादशी-व्रत सृष्टि के पालनहार भगवान विष्ण से जुड़ा है। इस व्रत में के दौरान भगवान विष्णु की पूजा का खास विधान है। जनवरी 2024 में दो एकादशी पड़ने वाली हैं। पहली एकादशी पौष (पूस) कृष्ण पक्ष की सफला एकादशी है। जबकि दूसरी पौष पुत्रदा एकादशी है। यहां जानिए, पौष पुत्रदा एकादशी और सफला एकादशी के लिए शुभ मुहूर्त, पारण समय, खास उपाय और क्या करें क्या नहीं।
पौष सफला एकादशी 2024
जनवरी 2024 की पहली एकादशी (पौष सफला एकादशी) 7 तारीख को है। दृक पंचांग के अनुसार, एकादशी तिथि की शुरुआत जनवरी को देर रात 12 बजकर 41 मिनट से होगी। जबकि इस तिथि की समाप्ति 8 जनवरी को देर रात 12 बजकर 46 मिनट पर होगी। वहीं पौष सफला एकादशी व्रत का पारण 8 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 9 बजकर 20 मिनट तक किया जा सकता है।
जनवरी 2024 की दूसरी एकादशी (पौष पुत्रदा एकादशी)
जनवरी में पौष पुत्रता एकादशी 21 जनवरी को पड़ेगी। एकादशी तिथि की शुरुआत 20 जनवरी को शाम 7 बजकर 26 मिनट से शुरू होगी। जबकि एकादशी तिथि की समाप्ति 21 जनवरी को शाम 7 बजकर 26 मिनट पर होगी। ऐसे में पौष पुत्रदा एकादशी का पारण 22 जनवरी को सुबह 7 बजकर 14 मिनट से 9 बजकर 21 मिनट के बीच किया जा सकता है।
एकादशी के दिन क्या करें
एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा का विधान है। ऐसे में इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। एकादशी के दिन अगर संभव हो तो पूजा के दौरान पीला कपड़ा पहनें। भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल से पूजा करें। ‘ओम् नमो भगवते वासुदेवाय’ इस मंत्र का जाप करना शुभ रहेगा। अगर इस दिन मंत्र का जाप करते हैं तो तुलसी की माला का इस्तेमाल करें। भगवान विष्णु को घर में बनी मिठाई और पंचामृत अर्पित करें। एकादशी के दिन विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करेंगे तो अच्छा रहेगा।
एकादशी के दिन क्या ना करें
पौष सफला एकादशी के दिन रविवार है। ऐसे में तुलसी में जल ना दें।
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भी रविवार का संयोग है। इसलिए, तुलसी माता को जल अर्पित करने से बचें।
एकादशी व्रत का नियम दशमी तिथि (एकादशी से एक दिन पहले) से शुरू हो जाता है। ऐसे में अगर एकादशी का व्रत रखते हैं तो दशमी से ही नमक ना खाएं।
एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए। मान्यतानुसार, इस दिन चावल का सेवन करने से मन अत्यधिक चंचल हो जाता है। एकादशी के दिन रोटी (चपाती) खाने की परंपरा है।
किसी भी एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते को पौधे से नहीं उतारना चाहिए।
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