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Chhath Puja 2023: छठ पूजा क्यों मनाई जाती है? जानिए शुभ मुहूर्त, इतिहास और पौराणिक महत्व

Chhath Puja 2023: छठ पूजा का शुभ चार दिवसीय त्योहार बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। आइए छठ के इस चार दिवसीय त्योहार की तिथि, इतिहास, महत्व और उत्सव के बारे में जानते हैं।

Edited By : Dipesh Thakur | Updated: Nov 15, 2023 13:51
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Chhath Puja 2023
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Chhath Puja 2023: छठ पूजा का चार दिवसीय त्योहार अब करीब है। ऐसे में छठ व्रती भी इस त्योहार को लेकर तैयारियां शुरू कर दिए हैं। छठ पूजा जिसे सूर्य षष्ठी, छठ, छठी, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है, भगवान सूर्य को समर्पित है। छठ के दौरान महिलाएं कठोर व्रत रखती हैं और भगवान सूर्य और छठी मैया से अपने परिवार और बच्चों की खुशहाली, समृद्धि और प्रगति के लिए प्रार्थना करती हैं। वे भगवान सूर्य और छठी मैया को अर्घ्य भी देते हैं। यह त्योहार भारत और नेपाल में बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए बेहद खास होता है। आइए जानते हैं कि छठ पूजा क्यों मनाई जाती है और चार दिवसीय छठ पर्व का इतिहास और महत्व क्या है?

छठ पूजा 2023 तिथि और शुभ मुहूर्त

छठ पूजा दिवाली के छह दिन बाद या कार्तिक माह के छठे दिन मनाई जाती है। भक्त दिवाली के एक दिन बाद से ही छठ की तैयारी शुरू कर देते हैं। नहाय खाय के दिन व्रती महिलाएं केवल सात्विक भोजन (प्याज या लहसुन के बिना) ग्रहण करते हैं। साल 2023 में छठ पूजा 19 नवंबर को पड़ेगी। इसकी शुरुआत 17 नवंबर को नहाय खाय के साथ होगी, इसके बाद 18 नवंबर को खरना, 19 नवंबर को छठ पूजा और उषा अर्घ्य होगा। प्रत्येक दिन, छठी का पालन करने वाले लोग कठोर रीति-रिवाजों का पालन करते हैं।

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द्रिक पंचांग के अनुसार छठ पूजा पर सूर्योदय सुबह 06:48 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 06:00 बजे होगा। षष्ठी तिथि 18 नवंबर, 2023 को सुबह 09:18 बजे शुरू होगी और 19 अक्टूबर को सुबह 07:27 बजे समाप्त होगी।

छठ पूजा का इतिहास 

छठ पूजा की उत्पत्ति से जुड़ी कई किंवदंतियां हैं, जिनमें से कुछ का उल्लेख ऋग्वेद में भी मिलता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, द्रौपदी और पांडव अपने राज्य को पुनः प्राप्त करने और अपने मुद्दों को हल करने के लिए छठ पूजा व्रत का पालन किथा। एक अन्य किंवदंती कहती है कि कर्ण, जो भगवान सूर्य और कुंती के पुत्र थे, छठ पूजा करते थे। उन्होंने महाभारत काल के दौरान अंग देश, आधुनिक बिहार के भागलपुर पर शासन किया था।

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छठ पूजा के दौरान भक्त अर्घ्य देते हैं और भगवान सूर्य और छठी मैया से उनका आशीर्वाद प्राप्त करने और अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों की समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। भगवान सूर्य को अर्घ्य देते समय, भक्त ऋग्वेद ग्रंथों के मंत्रों का भी जाप करते हैं। यह भी कहा जाता है कि वैदिक युग के ऋषि सूर्य की किरणों से ऊर्जा प्राप्त करने के लिए खुद को सीधी धूप में रखकर छठ पूजा करते थे।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा के दौरान महिलाएं भगवान सूर्य और छठी मैया का आशीर्वाद पाने के लिए 36 घंटे का व्रत रखती हैं। छठ के पहले दिन को नहाय खाय कहा जाता है – भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं, छठ मनाने वाली महिलाएं एक ही भोजन करती हैं, और भक्त भगवान सूर्य के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना कहा जाता है – इन दिनों के दौरान महिलाएं कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। और चौथे दिन (उषा अर्घ्य) महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं और फिर अपना 36 घंटे का व्रत तोड़ती हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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Written By

Dipesh Thakur

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Dipesh Thakur

First published on: Nov 05, 2023 02:06 PM

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