Chhath Puja 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, आज यानी 17 नवंबर से छठ का पर्व नहाए खाये के साथ शुरू हो गया है। छठ पर्व के दूसरे दिन खरना कहा जाता है। खरना के दिन प्रसाद के रूप में गुड़ से खीर बनाई जाती है। ऐसे में गुड़ की खीर मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग किया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है छठ प्रसाद बनाने में मिट्टी के चूल्हे का प्रयोग क्यों किया जाता है। अगर नहीं तो आज इस खबर में जानेंगे मिट्टी के चूल्हा क्यों प्रयोग किया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, छठ पर्व की शुरुआत कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को होती है। साथ ही इसका समापन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ का व्रत लगातार 36 घंटे का रखा जाता है। इसमें पानी का भी सेवन नहीं किया जाता है।
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खरना के दिन क्यों बनता है गुड़ की खीर
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, छठ के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन प्रसाद में गुड़ की खीर बनाई जाती है। ऐसे में गुड़ की खीर हाथ से बने मिट्टी के चूल्हे पर बनाई जाती है। साथ ही जलावन में आम की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। खीर में चावल, गुड़ और दूध का प्रयोग किया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चावल और दूध को चंद्रमा का प्रतीक और गुड़ को सूर्य देव का प्रतीक माना जाता है।
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मिट्टी के चूल्हे पर क्यों बनता है खरना का प्रसाद ?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठ पूजा में प्रसाद मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है। मान्यता है कि जिस चूल्हे पर पहले से खाना बना हुआ होता है उसका प्रयोग छठ का प्रसाद बनाने में नहीं किया जाता है। क्योंकि छठ पर्व में शुद्धता का बहुत ही अधिक ध्यान रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मिट्टी से बने चूल्हे पर प्रसाद बनाने की मान्यता है कि मिट्टी के चूल्हे को पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि मिट्टी के चूल्हे बनाने के लिए स्पेशल मिट्टी का प्रयोग किया जाता है, जिसका प्रयोग सिर्फ छठ प्रसाद बनाने के लिए ही किया जाता है। अगर आप मिट्टी के चूल्हे बनाने में असफल होते हैं, तो आप ईंट से भी बने चूल्हे पर प्रसाद बना सकते हैं।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।