World Latest News: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शक्तिशाली एंटी मिसाइल सिस्टम ‘गोल्डन डोम’ का निर्माण करने की कसम खा चुके हैं। इस डोम को इजराइल के ‘आयरन डोम’ मिसाइल रक्षा सिस्टम के समान ताकतवर माना जाता है। ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिकी सेना भविष्य में सबसे शक्तिशाली बनी रहे। बुधवार को उन्होंने संयुक्त राज्य कांग्रेस की बैठक में कहा कि उनका पहला कदम हमारी मातृभूमि की रक्षा करना है। इसके लिए अत्याधुनिक मिसाइल शील्ड को फंड आवंटित किए जाने की जरूरत है। इस दौरान उन्होंने कई बातों को जिक्र किया, जो जांच में सही नहीं मिलीं।
रीगन जैसी रणनीति बना रहे ट्रंप
ट्रंप के अनुसार बैलिस्टिक मिसाइलों से यूएस को बचाने के लिए अत्याधुनिक मिसाइल शील्ड की जरूरत है। उन्होंने दावा किया कि 1981 से 1989 तक 40वें अमेरिकी राष्ट्रपति रहे रोनाल्ड रीगन भी ऐसी प्रणाली को विकसित करना चाहते थे, उस समय तकनीक का अभाव था। इजराइल समेत कई देशों के पास आयरन डोम सिस्टम है, अमेरिका के पास भी इसे होना चाहिए। ट्रंप ने कहा कि इस समय दुनिया के कई देशों के बीच तनाव चरम पर है, वे चाहते हैं कि उनके नागरिकों की सुरक्षा पहले के मुकाबले और कड़ी हो। सूत्रों के अनुसार ट्रंप की रणनीति को 1983 की एक घोषणा से जोड़कर देखा जा रहा है।
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ये रणनीति रूसी अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों को मार गिराने के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति रीगन ने बनाई थी। इस प्रणाली में मिसाइलों को लेजर हथियारों से ट्रैक किया गया था, जिनको अंतरिक्ष में सेट किया गया था। हालांकि 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद यह सिस्टम बंद कर दिया गया था। इस सिस्टम में कई तकनीकी चुनौतियों का सामना यूएस को करना पड़ा था। बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली को मिडकोर्स, टर्मिनल पर आने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों का पता लगाने, उन्हें ट्रैक करने और रोकने के लिए डिजाइन किया गया था। इसमें इंटरलॉकिंग के लिए अलग-अलग सिस्टम थे। टारगेट को हिट करने से पहले ही मिसाइल का पता लगाना और मार गिराना शामिल था।
Even the military generals couldn’t contain their excitement after President Trump called for the building of a “golden dome” over the United States. pic.twitter.com/5JCWarCW7M
— George (@BehizyTweets) March 5, 2025
जानें तकनीक के बारे में
ट्रंप का गोल्डन डोम स्पेस बेस्ड इन्फ्रारेड सिस्टम (SBIRS) है, मिसाइलों और हवाई खतरों का पता लगाता है। मिसाइल का पता लगाने के लिए यह SBIRS उपग्रहों पर और जमीन पर स्थित कई रडार की मदद लेता है। इनके बिना बैलिस्टिक मिसाइल का पता लगाना असंभव है। SBIRS यूएस को मिडकोर्स डिफेंस (GMD), अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) से रक्षा प्रदान करेगा। इसको GMD अलास्का और कैलिफोर्निया में स्थित ठिकानों पर तैनात ग्राउंड बेस्ड इंटरसेप्टर की मदद से ऑपरेट किया जाएगा। यह एक समुद्री और लैंड बेस्ड तकनीक है, जो कम से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को हिट करने में कारगर है। इसमें टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस (THAAD) तकनीक का उपयोग भी किया गया है, जो मोबाइल लैंड बेस्ड प्रणाली है।
हजारों करोड़ खर्च कर चुका यूएस
इसकी मदद से छोटी और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोका जाता है। इजराइल भी ऐसी तकनीक का प्रयोग करता है। पिछले साल दिसंबर में इसका इस्तेमाल इजराइल ने ईरान समर्थित विद्रोही समूह हूती द्वारा यमन से दागी गई एक बैलिस्टिक मिसाइल को मार गिराने में किया था। एक मानक THAAD बैटरी में 6 माउंटेड लॉन्चर शामिल होते हैं, जिनमें से प्रत्येक में 8 इंटरसेप्टर होते हैं। एक रडार भी होता है, जो 3000 किलोमीटर दूर तक के खतरों का पता लगा सकता है। 2020 तक एरो वेपन सिस्टम के लिए यूएस 3.7 बिलियन डॉलर (लगभग 32 हजार करोड़ रुपये) का फंड जारी कर चुका है।
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