Who is Scott Bessent: अमेरिका की ओर से भारत को और ज्यादा टैरिफ लगाने की धमकी मिली है। राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी की भारत-अमेरिका के रिश्तों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करने के बाद अमेरिका के वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट ने रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर और ज्यादा टैरिफ लगाए जाने के संकेत दिए हैं, क्योंकि इससे यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के लिए रूस पर दबाव आएगा, लेकिन भारत को सीधे टैरिफ बढ़ाने की चेतावनी देने वाले स्कॉट बेसेन्ट कौन हैं?
❗ US threatens Putin with economic collapse
Treasury Secretary Scott Bessent stated that Washington, together with the EU, is ready to impose new sanctions and secondary tariffs on countries that purchase Russian oil.
According to him, this would crush Russia’s economy and… pic.twitter.com/Sxfk45qejL---विज्ञापन---— NEXTA (@nexta_tv) September 7, 2025
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कौन हैं वित्त मंत्री स्कॉट बेसेन्ट?
बता दें कि स्कॉट बेसेन्ट अमेरिका के इन्वेस्टर, इकोनॉमिक एक्सपर्ट और ट्रंप सरकार में वित्त मंत्री (ट्रेजरी सेक्रेटरी) हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के दूसरा कार्यकाल संभालते ही उन्हें वित्त मंत्री नियुक्त किया गया था। स्कॉट बेसेन्ट की जिम्मेदारी ट्रंप सरकार की आर्थिक नीतियों को लागू करना है, लेकिन आजकल वे भारत के विरोध में टैरिफ संबंधी टिप्पणियों के कारण सुर्खियों में हैं। विरोधी टिप्पणियों के साथ-साथ वे भारत और अमेरिका के संबंध बातचीत करके सुधारने की वकालत भी करते हैं।
1991 में की थी करियर की शुरुआत
येल कॉलेज से ग्रेजुएट स्कॉट बेसेन्ट ने अपने करियर की शुरुआत वर्ष 1991 में जॉर्ज सोरोस के हेज फंड, सोरोस फंड मैनेजमेंट (SFM) को जॉइन करके की थी। उन्हें लंदन ऑफिस का चीफ बनाया गया था, लेकिन साल 2015 में सोरोस फंड छोड़ दिया। उन्होंने स्क्वायर ग्रुप नामक ग्लोबल मैक्रो हेज फंड स्थापित किया। स्कॉट बेसेन्ट डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थक थे, लेकिन अब वे रिपब्लिकन के समर्थक हैं। बस्कॉट बेसेन्ट ने ही राष्ट्रपति ट्रंप को टैरिफ को 90 दिन के लिए टालने की सलाह दी थी।
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भारत पर क्या आरोप लगाया है?
बता दें कि स्कॉट बेसेन्ट ने भारत पर रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि रूस से तेल खरीदकर भारत युद्ध मशीन को फंड दे रहा है और इस फंडिंग से भारत के कई बिजनेसमैन मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन भारत और अमेरिका बातचीत करके आपसी मतभेद सुलझा सकते हैं, लेकिन अगर भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा और रूस ने यूक्रेन से शांति वार्ता नहीं की तो अमेरिका भारत पर और ज्यादा टैरिफ लगाने के लिए मजबूर हो सकता है।
टैरिफ से रूस पर ऐसे आएगा दबाव
स्कॉट बेसेन्ट का कहना है कि अगर रूस पर टैरिफ और प्रतिबंध कड़े हो जाएं, अगर रूस से तेल खरीदने वाले भारत समेत सभी देशों पर लगा टैरिफ बढ़ा दिया जाए तो रूस की अर्थव्यवस्था में गिरावट आएगी। आर्थिक पतन और नुकसान होता देखकर रूस के राष्ट्रपति पुतिन यूक्रेन से शांति वार्ता करने के लिए बाध्य हो जाएंगे। अगर अमेरिका और यूरोपीय देश मिलकर रूस पर प्रतिबंध लगाएंगे तो रूस की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है। रूस के सहयोगी देशों पर सेंकेंडरी टैरिफ लगाने से रूस की इकोनॉमी पर नेगेटिव असर पड़ेगा और पुतिन यह नहीं चाहेंगे।
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