ब्रिटिश अखबार डेली मेल में छपे एक लेख की वजह से यूरोपिय राजनीति में भूचाल आ गया है। कुछ ब्रिटिश खुफिया एजेंट्स के हवाले से अखबार में लिखा गया है कि ब्रिटेन के नागरिक अगले 72 घंटों के लिए जरूरी सामानों वाला एक ‘सर्वाइवल किट’ तैयार कर लें। ऐसा इसलिए क्योंकि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने ब्रिटेन के खिलाफ एक बड़ी साजिश रची है।
क्या है पुतिन की साजिश?
सुरक्षा सलाहकारों ने चेतावनी दी है कि रूस द्वारा ब्रिटेन की ऊर्जा पाइपलाइनों को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची गई है। इस साजिश की आशंका के मद्देनजर कहा गया है कि ब्रिटेन के नागरिकों को अगले 72 घंटों के लिए जरूरी सामानों वाला एक ‘सर्वाइवल किट’ तैयार कर लेना चाहिए। ‘सर्वाइवल किट’ में पानी, शीघ्र खराब न होने वाला भोजन, दवाइयां, बैटरी से चलने वाला रेडियो, टॉर्च, पहचान दस्तावेज और स्विस आर्मी चाकू शामिल करने की बात कही गई है। साजिश के बारे में बताया गया है कि पुतिन ने नार्वे से ब्रिटिश समुद्र के भीतर से आने वाली एलएनजी की पाइपलाइंस को नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई है।
ब्रिटेन में ‘मास ब्लैकआउट’ की समस्या खड़ी हो सकती है
इस पाइपलाइन पर ब्रिटेन की आधी आबादी अपनी गैस की सप्लाई के लिए निर्भर है। ऐसे में अगर खुफिया एजेंट्स की बात सच होती है और ऐसा हो जाता है तो ब्रिटेन में ‘मास ब्लैकआउट’ की समस्या खड़ी हो सकती है, क्योंकि ब्रिटेन जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए शून्य कार्बन उत्सर्जन टारगेट को पूरा करने की कोशिश कर रहा है। इस वजह से ब्रिटेन में कोयले से चलने वाले बिजलीघर बंद हो रहे हैं और देश ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए विदेशों से गैस और बिजली की आपूर्ति पर तेजी से निर्भर हो गया है। ब्रिटेन की लगभग 40 प्रतिशत गैस आपूर्ति नॉर्वे से आयात की जाती है, जिसमें से अधिकांश 700 मील लंबी सिंगल लैंगेल्ड पाइपलाइन के माध्यम से आती है। इस बात की चिंता इसलिए बढ़ गई है कि क्योंकि खुफिया एजेंटेस को रूस की ओर से किसी तोड़फोड़ अभियान की योजना बनाने की भनक लगी है। हाल के महीनों में ब्रिटेन के एक जासूसी जहाज ‘यंतर’ को उत्तरी सागर में ब्रिटेन की समुद्री सीमा के नीचे इंफ्रास्ट्रक्चर का मैपिंग करते हुए पाया गया था।
ब्रिटेन ने रूस पर लगाया था गंभीर आरोप
ब्रिटेन ने इससे पहले रूस पर रूस-युक्रेन युद्ध संघर्षविराम के प्रति उदासीनता दिखाने और हमलों को जारी रखने का आरोप लगाया था। ब्रिटेन और फ्रांस मानते हैं कि पुतिन की नजर न केवल यूक्रेन बल्कि पूर्वी यूरोपीय देशों पर है और वो इसीलिए युद्ध को रोकना नहीं चाहते हैं। बता दें कि फरवरी महीने में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुछ यूरोपीय देशों पर अमेरिका के साथ रूस के संबंधों में सुधार की प्रक्रिया को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया था और चेतावनी दी थी कि इस तरह की कोशिश कर रहे देशों को उसका नतीजा भी भुगतना होगा।
पुतिन ने ब्रिटेन और फ्रांस को दी थी वॉर्निंग
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था, ‘हम जानते हैं कि रूस और अमेरिका के अच्छे रिश्तों से हर व्यक्ति खुश नहीं हो सकता है। ऐसे लोग विश्व में अस्थिरता की स्थिति को बनाए रखना चाहते हैं और वे रूस-अमेरिका के बीच उस बातचीत को पटरी से उतार देना चाहते हैं जो कुछ हफ्ते पहले शुरू हुई है। हम इन कुप्रयासों को विफल करेंगे और भविष्य में भी उन देशों के नाम अपने माइंड में रखेंगे।’ माना जा रहा है कि पुतिन ने यह बात ब्रिटेन और फ्रांस को लेकर कही थी। क्योंकि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने यूक्रेन में ब्रिटिश सेना तैनात करने की बात कही थी तो फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने भी यूक्रेन ने विदेशी सेनाओं की तैनाती की जरूरत बताई थी।
पूर्वी यूरोप में नाटो सेना की तैनाती शुरू
वहीं, नाटो से अमेरिका द्वारा खुद को धीरे-धीरे दूर किए जाने को यूरोप के देश पुतिन और ट्रंप का मिला जुला खेल मान रहे हैं और नाटो को सक्रिय करने के लिए खुद इसकी सैन्य जरूरतों को पूरा करने का मन बना चुके हैं। इसके तहत पूर्वी यूरोप में नाटो सेना की तैनाती शुरू हो गई है। हालात ये है कि पुतिन के खिलाफ जो युद्ध अब तक जेलेंस्की अकेले लड़ रहे थे उसमें अब पुतिन के मुख्य प्रतिद्वंदी के तौर पर जेलेंस्की के साथ ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर भी आ गए हैं। घटनाक्रम पर यूरोप के पक्ष में अमेरिका के नहीं खड़े होने को अजीब मना जा रहा है।