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पृथ्वी-ब्रह्मांड के अंत की कहीं ये शुरुआत तो नहीं! पढ़ें वैज्ञानिकों की नई रिसर्च

धरती और ब्रह्मांड के अंत को लेकर एक नई रिसर्च हुई है, जिसमें डार्क एनर्जी का जिक्र किया गया है। यह एनर्जी ही तारों और आकाशगंगाओं को प्रभावित कर रही है, जिससे ब्रह्मांड के अस्तित्व को खतरा पैदा हो सकता है। आइए जानते हैं कि नई रिसर्च क्या कह रही है?

Author Edited By : Khushbu Goyal Updated: Mar 21, 2025 12:08
Space Science Earth Universe End
धरती और ब्रह्मांड के अंत को लेकर भविष्यवाणियां हो चुकी हैं।

धरती और ब्रह्मांड का अंत कैसे होगा? इसे लेकर वैज्ञानिकों की रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। दरअसल वैज्ञानिकों ने डार्क एनर्जी पर रिसर्च की है, जिससे धरती और ब्रह्मांड के अंत को लेकर जानकारियां मिल सकती हैं। वैज्ञानिक पिछले काफी समय से यह मानते आ रहे हैं कि डार्क एनर्जी लगातार कमजोर पड़ रही है।

वैज्ञानिक इस डार्क एनर्जी नामक रहस्यमयी शक्ति के नेचर का पता लगाने में जुटे हैं, इसलिए धरती और ब्रह्मांड का भाग्य अधर में लटका हुआ है। यह डार्क एनर्जी बहुत बड़ी शक्ति है, जिससे ब्रह्मांड का लगभग 70% हिस्सा बनता है, लेकिन यह शक्ति ब्रह्मांड में मौजूद सभी तारों और आकाशगंगाओं को एक दूसरे से बहुत तेज़ गति से दूर धकेल रहा है।

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अब वैज्ञानिक यह समझने का प्रयास कर रहे हैं कि यह डार्क एनर्जी व्यवहार कैसे करती है? बुधवार को अमेरिकन फिजिकल सोसायटी की बैठक में रिसर्च पेपर पेश किया गया, जिसमें वैज्ञानिकों ने जानकारी दी कि ब्रह्मांड की डार्क एनर्जी कमजोर हो रही है, लेकिन वैज्ञानिक अभी भी निश्चित नहीं कर पाए हैं और वे अभी तक यह पता नहीं लगा पाए हैं कि ब्रह्मांड के लिए इस डार्क एनर्जी का क्या अर्थ है? यह अंत के लिए कैसे जिम्मेदार होगी?

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रिसर्च में 15 मिलियन आकाशगंगाओं का डेटा शामिल

रिसर्च के अनुसार, ब्रह्मांड के इतिहास में आकाशगंगाएं 11 अरब वर्ष पुरानी हैं, लेकिन यह आकाशगंगाए कैसे फैली और कैसे एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं? आकाशगंगाएं कैसे चलती हैं? इस पर सावधानीपूर्वक नजर रखने से वैज्ञानिकों को डार्क एनर्जी के बारे में जानने में मदद मिलती है, जो उन आकाशगंगाओं को इधर-उधर घुमाती हैं। डार्क एनर्जी स्पेक्ट्रोस्कोपिक इंस्ट्रूमेंट ने पिछले साल 6 मिलियन आकाशगंगाओं और क्वासरों के डेटा का पहला विश्लेषण जारी किया था। अब इसमें और डेटा जोड़ा गया है, जिससे यह संख्या लगभग 15 मिलियन हो गई है।

विस्फोटित सितारों, ब्रह्मांड में फैले प्रकाश और आकाशगंगाओं के आकार में विकृतियों पर रिसर्च के परिणाम पिछले साल हुई रिसर्च के उस परिणाम का समर्थन करते हैं, जिसमें यह कहा गया कि डार्क एनर्जी कम हो सकती है। पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के ब्रह्मांड विज्ञानी भुवनेश जैन इस शोध का हिस्सा नहीं थे, लेकिन उनका कहना है कि यह एक आश्चर्यजनक खोज है और यहां पहुंचकर जहां ब्रह्मांड विज्ञान के बारे अब तक की सोच को छोड़कर नए सिरे से शुरुआत करनी होगी। अभी इस विचार को पूरी तरह से खारिज नहीं कर सकते कि डार्क एनर्जी स्थिर शक्ति है।

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डार्क एनर्जी कम हुई तो ब्रह्मांड का विस्तार रुक जाएगा

NBC की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों की नई रिसर्च का मकसद साल 2026 के आखिर तक लगभग 50 मिलियन आकाशगंगाओं की मैपिंग करनी है। दुनियाभर के वैज्ञानिकों की नजर डार्क एनर्जी पर है, जो आने वाले वर्षों में अपनी रिसर्च का डेटा जारी कर सकते हैं। इनमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी का यूक्लिड मिशन और चिली में वेरा सी. रुबिन की वेधशाला के वैज्ञानिक शामिल हैं।

साउथ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के ब्रह्मांड विज्ञानी क्रिस पार्डो कहते हैं कि सभी रिसर्च के डेटा को मिलाकर देखा चाहते हैं, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि डार्क एनर्जी कमजोर हो रही है, क्योंकि कुछ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि अगर डार्क एनर्जी स्थिर है तो ब्रह्मांड का विस्तार सदैव होता रहेगा। यह और ज्यादा ठंडा और स्थिर होता जाएगा। यदि समय के साथ डार्क एनर्जी कम होती गई तो संभव है कि ब्रह्मांड एक दिन विस्तार करना बंद कर दे और फिर अंततः खुद पर ही गिर जाए, जिसे बिग क्रंच कहा जाता है। यह सबसे दुखद अंत होगा।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Mar 21, 2025 11:49 AM

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