PM Modi Trinidad And Tobago Visit: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज अफ्रीकी देश घाना से रवाना होकर कैरेबियन देश त्रिनिदाद और टोबैगो पहुंचेंगे। वे कैरेबियन देश की प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर के निमंत्रण पर 3 से 4 जुलाई 2025 को त्रिनिदाद और टोबैगो की आधिकारिक यात्रा पर हैं। बतौर प्रधानमंत्री उनकी कैरेबियन देश की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री मोदी 2 दिवसीय दौरे पर त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति महामहिम क्रिस्टीन कार्ला कंगालू और प्रधानमंत्री महामहिम कमला प्रसाद बिसेसर से मुलाकात करेंगे। यह दोनों नेता भारतीय मूल के हैं। प्रधानमंत्री मोदी कैरेबियन देश की संसद के जॉइंट सेशन को संबोधित करेंगे। भारत के साथ त्रिनिदाद और टोबैगो के संबंधों को और मजबूत करने पर चर्चा करेंगे। आइए जानते हैं कि त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा भारत के लिए कितनी अहम है?
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दोनों देशों के बीच 180 साल पुराने संबंध
त्रिनिदाद और टोबैगो के बीच भारत के संबंध 19वीं सदी से हैं। दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध हैं, जिनकी जड़ें काफी गहरी हैं। प्रधानमंत्री मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की बतौर प्रधानमंत्री पहली यात्रा है। 1999 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की कैरेबियन देश के साथ द्विपक्षीय वार्ता करने के लिए पहली यात्रा है। नवंबर 2024 में प्रधानमंत्री मोदी कैरेबियन देश गुयाना की यात्रा पर गए थे। अब 8 महीने बाद वे एक और कैरेबियन देश त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पर जा रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार, कैरेबियन देशों में भारतीय मूल के करीब 45 प्रतिशत लोग रहते हैं। त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय अप्रवासियों को बसे करीब 180 साल हो चुके हैं। त्रिनिदाद और टोबैगो के साथ भारत द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। डिजिटलाइजेशन, फिनटेक और क्लाइमेट चेंज जैसे सेक्टर्स में दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग की संभावनाएं उभर रही हैं। इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) और क्रिकेट ट्रेनिंग एकेडमी की स्थापना दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को और मजबूती प्रदान कर सकती है।
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कैसे हैं दोनों देशों के संबंध?
भारत और त्रिनिदाद और टोबैगो के संबंध 30 मई 1845 को बने थे, जब समुद्री जहाज ‘फतेल रजाक’ में 225 भारतीय गिरमिटिया मजदूर त्रिनिदाद गए थे। 1845 से 1917 तक 134183 भारतीय मजदूर त्रिनिदाद गए। यह मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार जिल से थे। उस समय चीनी और कोको के बागानों में काम करने के लिए इन मजदूरों को ले जाया गया था। आज भारतीय मूल के करीब 37% लोग त्रिनिदाद और टोबैगो में रहते हैं। दोनों देशों में औपचारिक राजनयिक संबंध 31 अगस्त 1962 को बने, जब त्रिनिदाद और टोबैगो को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली। उस समय भारत ने त्रिनिदाद और टोबैगो की स्वतंत्रता का समर्थन किया था। आजादी मिलने के बाद 1962 में भी भारत ने पोर्ट ऑफ स्पेन में अपना उच्चायोग स्थापित कर दिया था।
त्रिनिदाद और टोबैगो भी भारत की तरह संयुक्त राष्ट्र संघ, राष्ट्रमंडल राष्ट्र, जी-77 और गुटनिरपेक्ष आंदोलन का सदस्य रहा है। साल 2010 से नियम लागू हुआ था कि भारतीय नागरिक बिना वीजा के त्रिनिदाद और टोबैगो के टूर पर जा सकते हैं। बिना वीजा के 90 दिन की यात्रा कर सकते है। भारत सरकार अब भारतीय मूल के त्रिनिदाद और टोबैगो वासियों को भारत की विदेशी नागरिकता देने की पहल भी कर चुकी है। त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रधानमंत्रियों बासदेव पांडे साल 1997 में, कमला प्रसाद-बिसेसर 2012 में और कीथ रोवले 2024 में भारत की यात्रा कर चुके हैं। भारत के विदेश राज्य मंत्री पाबित्रा मार्घेरिता साल 2024 में और विदेश मंत्री एस. जयशंकर साल 2023 में त्रिनिदाद का दौरा कर चुके हैं।
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त्रिनिदाद और टोबैगो के प्रधानमंत्री बासदेव पांडे को साल 2005 में, प्रधानमंत्री कमला प्रसाद-बिसेसर साल 2012 में और राष्ट्रपति क्रिस्टीन कार्ला कांगलू को साल 2025 में भारत ने प्रवासी भारतीय सम्मान देकर सम्मानित किया था। साल 2023-24 में भारत ने त्रिनिदाद और टोबैगो को 109.06 मिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात किया था। 259.90 मिलियन अमेरिकी डॉलर का आयात किया था। भारत कैरेबियन देश को वाहन, दवाइयां और कपड़े निर्यात करता है। भारत एनर्जी से जुड़े उत्पादों का आयात करता है। त्रिनिदाद और टोबैगो में भारतीय आगमन दिवस हर साल 30 मई को मनाया जाता है। दीवाली, होली और अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसे इवेंट भी वहां सेलिब्रेट किए जाते हैं। साल 2025 में त्रिनिदाद और टोबैगो में नेल्सन द्वीप पर 180वां भारतीय आगमन दिवस मनाया गया था।