Pakistan Army Set To Start Farming in South Waziristan: पाकिस्तान की सेना अब बंदूक छोड़ खेती-किसानी करेगी। आप सोच रहेंगे ये काम तो सामान्य लोगों से भी लिया जा सकता है। लेकिन ये बिलकुल सच है। द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तानी सेना दक्षिण वजीरिस्तान के जरमलम इलाके में 41,000 एकड़ भूमि पर खेती शुरू करने के लिए तैयार है। शुरुआत में सेना 1,000 एकड़ भूमि पर खेती करेगी और फिर क्षेत्र की कृषि उत्पादकता बढ़ाने और खाद्य आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए 41,000 एकड़ भूमि तक विस्तार करेगी।
खैबर पख्तूनख्वा में सेना को मिली जमीन
पेशावर कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सरदार हसन अजहर हयात ने बताया कि सेना खैबर पख्तूनख्वा में कृषि खेती को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। सेना ने वर्षों से बंजर पड़ी 41,000 एकड़ जमीन पर खेती की योजना तैयार की है। उनका मानना है कि खैबर पख्तूख्वा में खनिज, जल विद्युत, कृषि और पर्यटन में निवेश का एक बड़ा अवसर है जो राज्य के संसाधनों को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है। इस दिशा में सेना ने काम भी किया है। जिसके सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। यदि निवेश बढ़ा तो रोजगार भी बढ़ेगा।
Pak Army set to launch its farming plan for 41,000 acres of barren land in S Waziristan
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— The News (@thenews_intl) November 3, 2023
अनाज की कमी को दूर करेगी सेना
दरअसल, पंजाब सरकार ने व्यवसायिक खेती परियोजना को बढ़ावा देने के लिए सेना को 45 हजार एकड़ से अधिक भूमि आवंटित की है। सेना ने भूमि आवंटन के बाद खेती करने का फैसला लिया है। इसका उद्देश्य फसल की पैदावार को बढ़ाकर खाद्यान्न की कमी को दूर करना है। सरकार की मंशा को पूरा करने के लिए सेना मैनेजमेंट का काम संभालेगी। हालांकि जमीन का मालिकाना हक राज्य सरकार के पास ही रहेगा। सेना को व्यवसायिक खेती से प्राप्त होने वाले राजस्व में कोई लाभ या हिस्सा नहीं मिलेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, सेना को भक्कर, खुशाब और साहीवाल जिलों में पंजाब सरकार की तरफ से 45,267 एकड़ जमीन दी गई है। इसी भूमि पर खेती शुरू की जाएगी।
जून में भूमि आवंटन को हाईकोर्ट ने बताया था अवैध
जून में लाहौर हाईकोर्ट ने भूमि पट्टे पर देने के सरकार के फैसले को अवैध घोषित कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा कि पंजाब की अंतरिम सरकार के पास कॉर्पोरेट कृषि खेती के लिए 10 लाख एकड़ राज्य भूमि को पाकिस्तानी सेना को हस्तांतरित करने का संवैधानिक आदेश नहीं है। लेकिन जुलाई में हाईकोर्ट की दो सदस्यीय पीठ ने उसी अदालत के आदेश को निलंबित कर दिया।
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