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ईरान ने किया अंटार्कटिका पर दावा! क्या और गहरा होगा वैश्विक संकट?

Iran Claims Antarctica: ईरान का कहना है कि साउथ पोल में उसके पास प्रॉपर्टी राइट्स हैं जहां वह नौसेना बेस बनाने की तैयारी कर रहा है।

Antarctica (Representative Image/Pixabay)
Iran Claims Antarctica : ईरान ने दावा किया है कि अंटार्कटिका उसका है। यहां के नौसेना प्रमुख कमांडर रियर एडमिरल शहरम ईरानी ने सितंबर में ही कहा था कि दक्षिणी ध्रुव में तेहरान के पास प्रॉपर्टी अधिकार हैं। ईरानी के अनुसार उनकी योजना वहां अपने देश का झंडा फहराने की और सैन्य व वैज्ञानिक कार्यों को अंजाम देने की है। ईरान का यह भी कहना है कि वह दक्षिणी ध्रुव पर एक नौसेना बेस बनाने की तैयारी भी कर है। इस बीच सवाल यह उठ रहा है कि आखिर तेहरान अंटार्कटिका पर अपना दावा क्यों कर रहा है और इससे वैश्विक संकट पर क्या असर पड़ेगा?

पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है अंटार्कटिका

अंटार्कटिका दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा महाद्वीप है और सबसे दक्षिण में स्थित है। समय के साथ कई देशों ने अंटार्कटिका के लिए अभियान चलाए हैं और क्षेत्रीय दावे भी किए हैं। लेकिन, 1 दिसंबर 1959 को दर्जन भर देशों ने अंटार्कटिक संधि पर हस्ताक्षर किए थे। महाद्वीप में विवादों को रोकने के लिए बनाई गई इस संधि को लेकर वाशिंगटन में एक सम्मेलन हुआ था। उल्लेखनीय है कि इस अंटार्कटिक संधि पर दस्तखत करने वाले देशों में अर्जेंटाइना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, ब्रिटेन, चिली, फ्रांस, जापान, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और सोवियत यूनियन (अब रूस) शामिल थे। हालांकि, इस संधि में क्षेत्रीय संप्रभुता के दावों को लेकर कोई बात नहीं की गई थी लेकिन, इसमें देशों पर अंटार्कटिका में सैन्य बेस का निर्माण, हथियारों के परीक्षण और रेडियोएक्टिव वेस्ट को डिस्पोज करने पर रोक लगाई गई थी। इस संधि की एक खास बात यह थी कि इसमें इसके समाप्त होने की कोई तारीख तय नहीं की गई थी। इसके स्थान पर 30 साल में इसकी संभावित समीक्षा के लिए कहा गया था। साल 1991 में देशों ने संधि में एक प्रोटोकॉल पर दस्तखत किए थे। इसमें प्रोटोकॉल के तहत पांच दशक के लिए अंटार्कटिका में मिनरल और ऑयल एक्सप्लोरेशन पर प्रतिबंध लगाया गया था।

अंटार्कटिका को लेकर ईरान क्या कह रहा

रिपोर्ट्स के अनुसार ईरान की नौसेना के प्रमुख कमांडर रियर एडमिरल शहरम ईरानी का कहना है कि उनकी योजना अंटार्कटिका में ईरान का ध्वज लहराने की है। इसके लिए पहले एक रिसर्च टीम भेजी जाएगी। पर्यावरण से जुड़े अध्ययन के लिए एक ग्रुप को भेजने की कोशिश की जा रही है। बता दें कि ईरान ने पिछले साल सितंबर में यह भी कहा था कि उसकी योजना अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में अपनी नौसेना की मौजूदगी बढ़ाने की तैयारी भी कर रहा है। उसने कहा था कि यह कदम अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने और इसकी पहुंच को अंटार्कटिका जैसी दूरस्थ जगहों तक ले जाने की कोशिशों के तौर पर उठाया जा रहा है।

इस मामले पर एक्सपर्ट्स का क्या कहना है

ईरान के इस दावे को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह चिंता का विषय है। उनके अनुसार अंटार्कटिक को लेकर ईरान की भविष्य की योजनाएं न केवल कई बहुपक्षीय कन्वेशंस का उल्लंघन करेंगी बल्कि उसके आक्रामकता वाले रुख को भी जारी रखने का काम करेंगी। विशेषज्ञों की मानें तो हर बार जब तेहरान अपना विस्तार करता है तो इससे नियम आधारित व्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। अंटार्कटिका भले ही तुरंत खतरा न दिख रहा हो लेकिन अगर पश्चिम का रिएक्शन वैसा ही रहा जब ईरान ने न्यूक्लियर वेपन इंस्पेर्टर्स को बाहर कर दिया था, तो आने वाले समय में वैश्विक संकट को बढ़ा सकता है। ये भी पढ़ें: यूट्यूब की पूर्व CEO के बेटे की कैसे हुई मौत? ये भी पढ़ें: पाकिस्तान चुनाव में धांधली का बड़ा खुलासा ये भी पढ़ें: सेना से खदेड़ा गया अफसर बनेगा राष्ट्रपति! ये भी पढ़ें: पुतिन के धुर विरोधी एलेक्सी नवलनी कौन थे


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