भूकंप के झटकों से एक बार फिर धरती कांप गई। इतने जोरदार झटके लगे कि लोगों में दहशत और डर का माहौल बना हुआ है। भूकंप के ताजा झटके अफगानिस्तान में लगे। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (NCS) ने भूकंप आने की पुष्टि की और बताया कि शुक्रवार अलसुबह करीब एक बजे भूकंप आया और इसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4.9 मापी गई। इस भूकंप का केंद्र 160 किलोमीटर की गहराई में मिला। हालांकि इस भूकंप से किसी तरह के जान मान के नुकसान की खबर नहीं है।
लेकिन यूनाइटेड नेशन्स ऑफिस फॉर द को-ओर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स (UNOCHA) के अनुसार, अफगानिस्तान मौसमी बाढ़, भूस्खलन और भूकंप समेत कई प्राकृतिक आपदाओं के मद्देनजर अत्यधिक संवेदनशील देश है। इसलिए NCS ने अफगानिस्तान की सरकार को अलर्ट किया है कि वे अपने लोगों को सतर्क कर दें, क्योंकि भविष्य में ऐसे और भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है।
पिछले हफ्ते गत 13 मार्च को भी अफगानिस्तान में भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 मापी गई थी। इस भूकंप का केंद्र 10 किलोमीटर की गहराई में मिला था, जिसके बाद इससे ज्यादा तीव्रता का झटका लगा और अब और ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप आ सकता है।
EQ of M: 4.9, On: 21/03/2025 01:00:57 IST, Lat: 36.48 N, Long: 71.45 E, Depth: 160 Km, Location: Afghanistan.
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उथले भूकंप ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, जब भूकंप आते हैं तो उनकी तीव्रता महत्वपूर्ण होती है, लेकिन उनकी गहराई भी महत्वपूर्ण होती है। उथले भूकंप, गहरे भूकंपों की तुलना में अधिक खतरनाक होते हैं, क्योंकि पृथ्वी की सतह के करीब आने पर वे ज्यादा ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं, जिससे जमीन अधिक हिलती है। इसलिए इनसे ज्यादा माल हानि और जनहानि होती है, जबकि गहरे भूकंपों की ऊर्जा सतह पर आने पर कम हो जाती है। UNOCHA के अनुसार, दुर्भाग्य से अफ़गानिस्तान उथले भूकंपों का केंद्र है, क्योंकि अफगानिस्तान भारतीय और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेटों के बीच स्थित है, जिसमें से प्लेट्स की एक रेखा सीधे हेरात से होकर गुजरती है।
इसलिए इस क्षेत्र की टेक्टोनिक प्लेटें अक्सर एक दूसरे से टकराने की बजाय खिसक जाती हैं। इसलिए अफगानिस्तान में लगातार भूकंप आते हैं और इन लगातार आने वाले भूकंपों से गरीब तबके के लोग ज्यादा नुकसान झेलते हैं, क्योंकि उनके घर कच्चे होते हैं। यह लोग पहले से ही दशकों के संघर्ष और अविकसितता से जूझ रहे हैं। उनके पास एक साथ आने वाले कई झटकों से निपटने के लिए बहुत कम संसाधन हैं। रेड क्रॉस के अनुसार, अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंपों का इतिहास रहा है और हिंदू कुश पर्वत श्रृंखला काफी संवेदशनशील एरिया है, जहां हर साल भूकंप आते हैं।