disease x alert: दुनियाभर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ आशंकित महामारी एक्स को देखते हुए चिंता में है। महामारी एक्स को लेकर कहा जा रहा है कि यह कोरोना से काफी घातक है। डब्ल्यूएचओ की ओर से कहा गया है कि आशंका है कि यह कभी भी दस्तक दे सकती है। इस बीमारी से निपटने के लिए तेजी से टीके विकसित करने की जरूरत है। इसके विनाशकारी प्रभाव कोरोना से कहीं अधिक हैं।
इसलिए कोई गारंटी नहीं है कि कोविड की तरह जल्दी इसका कोई तोड़ निकल पाएगा। कोविड भी एकदम से आया था। दुनिया इसके लिए जरा सी भी तैयार नहीं थी। कोविड काल में मई से दिसंबर के बीच यूके के वैक्सीन टास्कफोर्स के अध्यक्ष रहे केट बिंघम की ओर से काफी बातें इस संबंध में कही गई हैं। वे कोविड को बड़ी, लेकिन अब रेगुलर बीमारी मान रहे हैं।
…जब फ्लू ने ली थी 50 मिलियन लोगों की जान
1918 में दुनियाभर में फ्लू महामारी फैली थी। जिसके कारण लगभग 50 मिलियन लोग मारे गए थे। जो फर्स्ट वर्ल्ड वॉर से दोगुने हैं। आज दुनिया के लिए कई वायरस चिंता बने हुए हैं। जो कोई एक नहीं, काफी अधिक मात्रा में हैं। हालांकि सभी मानव जाति के लिए खतरा नहीं हैं। लेकिन ये धरती पर दूसरे जीवों के मुकाबले अधिक हैं।
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वैज्ञानिक अभी 25 वायरस के बारे में ही पूरी तरह जान पाए हैं। हर वायरस फैमिली में इनके अलग-अलग स्वरूप हैं, जो महामारी फैलाने में मददगार बन सकते हैं। केट ने कहा कि धरती पर दस लाख तक वायरस हो सकते हैं। लाखों लोगों को मारने के साथ ही ये आसानी से एक से दूसरी प्रजाति में मिल सकते हैं।
…कोरोना से लोग ठीक तो हो रहे थे
कोविड को लेकर एक बात सही रही थी। बेशक इस महामारी ने 20 मिलियन से अधिक लोगों की जान ली। लेकिन इस बीमारी से ग्रस्त अधिकांश लोग ठीक होने में भी कामयाब रहे। एक्स वायरस इबोला और खसरे जितना घातक है। जिनमें मौत की दर 67 फीसदी तक रहती है। महामारी फैलने के 3 मुख्य कारण हैं।
वनों की कटाई, तेजी से बढ़ती आबादी औ वैश्वीकरण। जिसके कारण वायरस अधिक फैले हैं। इनसे निपटने के लिए धरातल पर काम करने की जरूरत है। इससे निपटने के लिए हमें खर्च की सीमाओं को देखने की जरूरत नहीं है। कोविड फैला तो लगभग दुनियाभर में 16 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान दुनिया को उठाना पड़ा था।