Bangladesh Political Crisis : गहरे राजनीतिक संकट का सामना कर रहे पड़ोसी देश बांग्लादेश में हालात अभी भी ठीक नहीं हैं। सोमवार को शेख हसीना की ओर से प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़ देने के बाद अब बांग्लादेश के सबसे बड़े संवैधानिक पदाधिकारी के रूप में राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ही बचे हैं। मंगलवार को शहाबुद्दीन ने संसद को भंद कर दिया और अंतरिम सरकार के गठन के साथ साथ चुनाव आयोजित करने का रास्ता साफ कर दिया। इस रिपोर्ट में जानते हैं बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन के बारे में कुछ खास बातें।
शहाबुद्दीन का जन्म साल 1949 में पूर्वी पाकिस्तान के पाबना में हुआ था। यही पूर्वी पाकिस्तान साल 1971 में अलग देश बना था जिसका नाम बांग्लादेश पड़ा। पाकिस्तान के शासन से आजादी की यह जंग जब शुरू हुई थी तब शहाबुद्दीन छात्र थे और इस आंदोलन में उन्होंने सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था। इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले शेख मुजीबुर्रहमान ने साल 1975 में शहाबुद्दीन को बांग्लादेश कृषक श्रमिक अवामी लीग का जिला संयुक्त सचिव बनाया था। यह संगठन किसानों और मजदूरों का राजनीतिक मोर्चा था। शेख हसीना, शेख मुजीबुर्रहमान की बेटी हैं।
#Bangladesh president Mohammed Shahabuddin announces the dissolution of the current parliament which was elected in the general elections held in January this year#BangladeshBleeding #BangladeshViolence pic.twitter.com/PagxN6ZPH4
— Content Boy (@ContentBoy01) August 5, 2024
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जेल में काटे तीन साल
साल 1975 में ही मुजीबुर्रहमान की हत्या हो गई थी। इसके बाद शहाबुद्दीन ने तीन साल जेल में बिताए ते। पूर्व जिला जज रहे शहाबुद्दीन उस जांच पैनल के अध्यक्ष भी रह चुके हैं जो विपक्ष में रहने के दौरान अवामी लीग के सदस्यों और समर्थकों के खिलाफ हिंसा के आरोपों को लेकर गठित किया गया था। पिछले साल अप्रैल में उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए चुना गया था। उल्लेखनीय है कि शेख हसीना के प्रधानमंत्री रहते हुए मोहम्मद शहाबुद्दीन को निर्विरोध बांग्लादेश का राष्ट्रपति बना दिया गया था। वह बांग्लादेश के 22वें राष्ट्रपति हैं। 24 अप्रैल 2023 को उन्होंने राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी।
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