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भारत के 206 लड़ाके, जो इजरायल के साथ हमास के आतंकियों से कर रहे हैं युद्ध

206 indian Kukis Fighting with Israel Against Hamas: हमास के खिलाफ इजरायल ने अपना हमला तेज कर दिया है। इस युद्ध में एक खबर भारत से जुड़ी है। भारतीय मूल के 206 से लड़ाके हमास के खिलाफ इजरायल की ओर से युद्ध कर रहे हैं।

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Oct 14, 2023 10:33
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206 indian Kukis Fighting with Israel Against Hamas: हमास के खिलाफ इजरायल ने अपना हमला तेज कर दिया है। गाजा पट्टी पर इजरायल की ओर से लगातार बमबारी की जा रही है। इस बीच एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसनें सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। खबर भारत से जुड़ी है। मणिपुर और मिजोरम के (भारतीय मूल) निवासी कुकी समुदाय के 206 से लड़ाके हमास के खिलाफ इजरायल के साथ युद्ध कर रहे हैं।

टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल में हमास की ओर से की गई वीभत्स हमलों के खिलाफ इजरायल ने अपनी हमलावर प्रतिक्रिया शुरू कर दी है। इसी क्रम में इजरायल ने वहां रहने वाले 206 कुकी समुदाय के लोगों को भी लड़ाई में भाग लेने की अहम जिम्मेदारी दी है। बताया गया है कि ये सभी कुकी इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) में सेवा करते हैं।

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5000 कुकी रहते हैं इजरायल में

रिपोर्ट के अनुसार, इजराइल की ओर से जुटाए गए 3,60,000 योद्धाओं में से 206 कुकी योद्धा की जड़ें मणिपुर और मिजोरम में हैं। बताया गया है कि कुकी समुदाय के करीब 5,000 लोग इजरायल में हैं। ये लोग यहां प्रवासी के तौर पर रहते हैं। इन्हें तेल अवीव ने ‘खोई हुई यहूदी जनजाति’ के रूप में मान्यता दी है।

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सामने आया है कि जब हमास के आतंकवादियों ने इजरायल में प्रवेश किया और फिर हमला किया तो यह छोटा सा समुदाय सीधे उनके निशाने पर था, क्योंकि अधिकांश कुकी गाजा के नजदीक एक शहर स्देरोट में रहते हैं। इनमें से कुछ ने ज्यादा हिंसा का सामना किया। हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन एक परिवार का घर जलकर खाक हो गया।

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इजरायल से ये है कनैक्शन

बेनी मेनाशे, इस समुदाय का हिब्रू नाम है, जिसका अनुवाद मनश्शे के बच्चों के रूप में होता है। प्रति शावेई इज़राइल, एक गैर सरकारी संगठन जो “खोई हुई जनजाति” यहूदी समुदायों को इजराइल में प्रवास करने में मदद करता है, मेनाशे जोसेफ का पहला बेटा था, जो यहूदी धर्म में पहले पैगंबर के रूप में प्रतिष्ठित था।

यहां रहने वाले शावेई बताते हैं कि बेनी मेनाशे इजरायल की 10 खोई हुई जनजातियों में से एक के वंशज होने का दावा करते हैं। उन्हें 27 शताब्दियों से भी पहले असीरियन साम्राज्य की ओर से निर्वासन में भेजा गया था। उनके पूर्वज सदियों तक बर्मा (म्यांमार), बांग्लादेश की सीमा के साथ और अब पूर्वोत्तर भारत में बसने से पहले मध्य एशिया और सुदूर पूर्व में घूमते रहे थे।

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मणिपुर और मिजोरम से आए थे

बेनी मेनाशे काउंसिल, भारत के अध्यक्ष लालम हैंगशिंग ने मीडिया को बताया कि भारत में उनके समुदाय के लगभग 5,000, मणिपुर में 4,000 और मिजोरम में 1,000 लोग हैं। हैंगशिंग ने कहा कि मणिपुर जातीय हिंसा ने इस समुदाय के कई कुकी को विस्थापित कर दिया है।

हैंगशिंग ने कहा कि इन 5000 कुकियों का इजरायल प्रवास करीब 30 वर्षों में धीरे-धीरे हुआ है, लेकिन उन्होंने अच्छी तरह से सभी को सेंट्रलाइज्ड किया है। उन्होंने कहा कि हमारे दर्जनों लड़के आईडीएफ में नियमित सैनिक हैं। हालांकि इजरायली सशस्त्र बलों की ओर से ओर से इनकी सटीक संख्या नहीं बताई गई है।

‘आईडीएफ में शामिल होना खुशी की बात’

हैंगशिंग ने कहा कि कुछ दिन पहले मुझे हमारे समुदाय के 206 लड़कों की एक सूची मिली, जिन्हें ड्यूटी के लिए बुलाया गया है। ये पहले से ही आईडीएफ में शामिल हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आईडीएफ के कई लड़कों को इससे काफी खुशी मिली है। हालांकि कुछ महीने पहले इजरायल मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदाय के लोगों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हुई थीं। इनमें कई लोगों की जान गई थी। हालात अभी तक काबू में नहीं हैं।

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Edited By

Naresh Chaudhary

First published on: Oct 14, 2023 10:33 AM

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