नई दिल्ली: देश भर जन्माष्टमी धुमधाम से मनाया जा रहा है। ग्वालियर में जन्माष्टमी पर सिंधिया कालीन गोपाल मदिंर में राधा-कृष्ण को 100 करोड़ के गहने पहनाकर सजाया गया है। आज सुबह से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी है। रात के 12 बजे भक्त भगवान की दर्शन करेंगे। सिंधिया रिसायत कालीन 101 साल पुराने मंदिर में राधा कृष्ण की अदभुत प्रतिमाएं हैं। यहाँ जन्माष्टमी पर भगवान राधा-कृष्ण को 100 करोड़ रुपए से ज्यादा कीमत के हीरा, पन्ना, माणिक, पुखराज और सोने से सजाया गया है।
राधाकृष्ण को जो जेवरात पहनाए गए है ये रियासत कालीन जेवरात है,यह हीरे-रत्न जड़ित है, इनकी एंटिक कीमत लगभग 100 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। हीरे मोती पन्ने जैसे बेश कीमती रत्नों से सुसज्जित भगवान के मुकुट और अन्य आभूषण है। साल में सिर्फ जन्माष्टमी पर इन जेवरातों को पहनाकर राधा-कृष्ण का श्रंगार किया जाता है और 24 घंटे तक ये जेवर पहनकर भक्तों को दर्शन देते हैं। नगर निगम के महापौर, कमिश्नर और पुजारियों ने गहनों से श्रृंगार कर पूजा की। फिर राधा कृष्ण की महाआरती हुई।
दरअसल, 1921 में ग्वालियर रियासत के तत्कालीन शासक माधवराव प्रथम ने करवाई थी उन्होंने भगवान् की पूजा के लिए चांदी के बर्तन और पहनाने के लिए रत्तन जडित सोने के आभूषण बनवाये थे। इनमें राधा कृष्ण के लिए 55 पन्नो और सात लड़ी का हार, सोने की बासुरी, सोने की नथ, जंजीर और चांदी के पूजा के बर्तन है।
जन्माष्टमी पर इन रत्नों जड़़ित जेवरातों से राधा कृष्ण को श्रृंगारित किया जाता है, 24 घंटे तक राधा-कृष्ण इन जेवरातों से श्रंगारित रहेंगें, इस स्वरुप को देखने के लिए भक्तों को सालभर इंतजार रहता है, यही वजह है कि भक्तों का का दर्शन के लिए तांता लगता है। भक्त मानते है कि 100 करोड़ के गहनों से सजे राधा-कृष्ण के दर्शऩ का सालभर इंतजार रहता है और यहा मांगी गई मन्नत पूरी होती है।