Delhi Election Candidates Criminal Background: दिल्ली विधानसभा के लिए चुनाव प्रचार अंतिम चरण में है। 3 फरवरी को शाम 5 बजे चुनाव प्रचार अभियान पर विराम लग जाएगा। इसके बाद 5 फरवरी को वोटिंग होगी। इस बार सत्तारुढ़ आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखी जा रही है। आम आदमी पार्टी चुनाव में जीत की हैट्रिक लगाने की फिराक में है तो भाजपा 27 साल बाद सत्ता पर कब्जा करना चाहती है। इस बीच यहां हम आपको बता रहे हैं कि इस चुनाव में कितने उम्मीदवार आपराधिक छवि वाले हैं।
आपराधिक छवि वालों को टिकट देने में AAP सबसे आगे
चुनाव के लिए दाखिल नामांकन पत्रों से पता चलता है कि आपराधिक छवि के नेताओं को टिकट देने के मामले में AAP अन्य राष्ट्रीय पार्टियों से आगे निकल गई है। अन्य राज्यों की तरह राजधानी दिल्ली में भी आपराधिक छवि वाले प्रत्याशियों की भरमार है। हर प्रमुख दलों ने आपराधिक छवि के नेताओं को खुलकर टिकट दिया है। दिल्ली चुनाव में AAP ने BJP और कांग्रेस की तुलना में आपराधिक छवि के नेताओं पर सबसे अधिक भरोसा जताया है। पार्टी ने सबसे अधिक 44 सीटों पर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे नेताओं को मैदान में उतारा है। आम आदमी पार्टी ने अपने कुल 70 प्रत्याशियों में से 63 फीसदी टिकट आपराधिक छवि के नेताओं को ही दिया है। जबकि कांग्रेस ने 70 सीटों पर 41 फीसदी यानी 29 प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इस मामले में भाजपा तीसरे नंबर पर है और उसने ऐसे 20 उम्मीदवारों (29 फीसदी) को टिकट दिया है।
गंभीर आपराधिक वाले प्रत्याशियों में भी AAP अव्वल
आपराधिक छवि के नेताओं में कई नेता ऐसे भी हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले चल रहे हैं। इस मामले में भी आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस को पीछे छोड़ दिया है। दोनों विपक्षी दलों के गंभीर आपराधिक छवि वाले नेताओं के कुल योग से भी कहीं ज्यादा टिकट आम आदमी पार्टी ने दिए हैं। भाजपा ने गंभीर आपराधिक मामलों का सामना कर रहे 9 उम्मीदवारों यानी 13 फीसदी को दिल्ली चुनाव में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने 13 (19 फीसदी) ऐसे प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इस तरह से इन दोनों दलों के गंभीर आपराधिक केसों वाले प्रत्याशियों की संयुक्त संख्या 22 होती है, लेकिन आम आदमी पार्टी ने इनसे कहीं ज्यादा 41 फीसदी यानी 29 ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है।
यह है दलगत स्थिति
यदि दलगत स्थिति को देखा जाए तो 19 प्रतिशत आपराधिक मामलों वाले उम्मीदवारों में 33 प्रतिशत राष्ट्रीय पार्टी के, 13 प्रतिशत राज्य पार्टी के, 8 प्रतिशत पंजीकृत अन्य पार्टी के और 10 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवार हैं। गंभीर आपराधिक मामलों की बात करें तो इसमें 18 प्रतिशत राष्ट्रीय पार्टी के, 10 प्रतिशत राज्य पार्टी के, 6 प्रतिशत पंजीकृत अन्य पार्टी के और 8 प्रतिशत निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं।
राजनीतिक दलों ने दिए चौंकाने वाले तर्क
दिल्ली के चुनावी मैदान में आपराधिक बैकग्राउंड के उम्मीदवारों को उतारने के पीछे राजनीतिक दलों का तर्क चौंकाने वाला है। दरअसल, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की एक ताजा रिपोर्ट ने चुनाव में अपराधी उम्मीदवारों को खड़ा करने के राजनीतिक दलों के तर्कों का खुलासा किया है। रिपोर्ट बताती है कि राजनीतिक दल ‘मजबूत प्रशासनिक क्षमता’, ‘जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता’ जैसे कारणों से आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को चुनते हैं।
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई दलों ने अनुभवहीनता या जनता से न जुड़ पाने के कारण वैकल्पिक उम्मीदवारों को नकार दिया। यह अध्ययन 1,286 उम्मीदवारों के फॉर्म सी-7 के विश्लेषण पर आधारित है, जिसमें उम्मीदवारों को अपने आपराधिक रिकॉर्ड का खुलासा करना होता है।
चुनावी सुधारों की आवश्यकता
चुनावों में आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती बनती जा रही है। सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग लगातार पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा हैं, लेकिन राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को टिकट देना यह दर्शाता है कि सत्ता पाने की होड़ में नैतिकता से समझौता किया जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि राजनीतिक दलों को स्वेच्छा से ऐसे उम्मीदवारों को टिकट देने से बचना चाहिए।