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क्या आपने देखा है जीरो रुपये का नोट? जानिए कब, क्यों और कैसे हुई इसकी शुरुआत

Zero Rupee Note: हमारे देश में जीरो रुपये का नोट भी है। हालांकि, इसकी छपाई आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक नहीं बल्कि तमिलनाडु का एक एनजीओ करता है। इस रिपोर्ट में जानिए जीरो रुपये का नोट क्या है, कब इसे लाया गया और इसे लाने की जरूरत क्यों आन पड़ी।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Apr 15, 2024 17:26
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Zero Rupee Note
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Zero Rupee Note : अगर कोई आपके हाथ में जीरो रुपये का नोट थमा दे आप इसे मजाक ही समझेंगे और नकली नोट समझकर रख लेंगे। हम सभी के लिए जो नोट मायने रखते हैं वो 10, 20, 50, 100, 500 या 2000 रुपये के हैं। लेकिन, अगर हम आपसे कहें कि हमारे देश में जीरो रुपये का नोट भी है और इसका एक बड़ा उद्देश्य भी है तो आप क्या सोचेंगे? किसी को भी यह जानकर हैरत होगी लेकिन ये सच है।

जीरो रुपये का नोट ऐसा बैंकनोट है जिसे रिश्वतखोरी और राजनीतिक भ्रष्टाचार की समस्या से लड़ने के लिए जारी किया जाता है। दिखने में यह पुराने 50 रुपये के नोट जैसा होता है। इस नोट की छपाई भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) नहीं बल्कि एक एनजीओ करता है जिसका नाम 5th Pillar (पांचवां स्तंभ) है। ये नोट हर महीने बांटे जाते हैं। तमिलनाडु के इस एनजीओ ने इन खास नोट की शुरुआत साल 2007 में की थी।

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आखिर क्यों बनाया गया ये खास नोट?

ये नोट खास तौर पर भारतीय नागरिकों के लिए रिश्वतखोरी से बचने के लिए बनाए गए थे। इन्हें लाने का उद्देश्य यह था कि अगर कानूनी रूप से कोई सेवा मुफ्त है और उसके लिए आपसे रिश्वत की मांग की जा रही है तो इसका विरोध इन जीरो रुपये के नोट देकर जताएं। 5th Pillar ने अपने एक बयान में कहा था कि यह नोट हमारे देश के आम लोगों के लिए भ्रष्टाचार को बिना किसी डर के न कहने का एक एक तरीका है।

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देखने में कैसा और लिखा क्या होता है?

बता दें कि दिखने में यह नोट बिल्कुल पुराने 50 रुपये की तरह होता है। लेकिन इस पर इसकी कीमत जीरो रुपये लिखी हुई है। इसके अलावा इस पर भ्रष्टाचार विरोधी स्लोगन्स भी लिखे होते हैं। इनमें ‘हर स्तर से भ्रष्टाचार का खात्मा’ और मैं रिश्वत न लेने का और न देने का वादा करता हूं। जैसे स्लोगन हैं। बता दें कि हिंदी, तेलुगु, कन्नड़ और मलयालम जैसी भाषाओं में लाखों की संख्या में जीरो रुपये के नोट बांटे जा चुके हैं।

क्या कहना है एनजीओ के अध्यक्ष का?

एनजीओ के वॉलंटियर बस अड्डों, रेलवे स्टेशनों, बाजारों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के खिलाफ जागरूकता फैलाते हुए ये नोट बांटते हैं। एनजीओ के अध्यक्ष विजय आनंद का कहना है कि लोगों ने इनका इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है और इसके असर भी देखने को मिल रहे हैं। इसे लाने का उद्देश्य यह है लोगों के अंदर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार को न कहने का साहस पैदा हो सके।

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Edited By

Gaurav Pandey

First published on: Apr 15, 2024 05:26 PM

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