World War II Period Bomb Defuses : द्वितीय विश्व युद्ध से जुड़े निशान आज भी मौजूद हैं। पिछले साल असम में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान का बम बरामद किया गया था। यह एक सक्रिय बम था और जांच में पुष्टि हुई कि ये द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान का है, जो फटा नहीं था। अब इस बम को निष्क्रिय किया गया। इसके लिए करीब साढ़े तीन किमी की दूरी को मानव रहित कर दिया गया था।
असम में साल 2024 में लखीमपुर जिले में मिले द्वितीय विश्व युद्ध के समय के 182 किलोग्राम के बम को 13 फरवरी को निष्क्रिय कर दिया गया। लखीमपुर के जिला आयुक्त प्रणब जीत काकोटी ने बताया कि यह बम वायुसेना को 27 सितंबर 2024 को झिली नदी के तट पर मिला था। जब यह मिला था तब यह एक सक्रिय बम था। मतलब यह फट सकता था। अब इस बम को डुलुंग रिजर्व फॉरेस्ट के अंदर वायुसेना के विशेषज्ञों द्वारा निष्क्रिय कर दिया गया।
डुलुंग रिजर्व फॉरेस्ट के अधिकारी मनोज कुमार गोस्वामी ने बताया कि बम को निष्क्रिय करने से पहले वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरती गईं। हमने उस स्थान के आसपास के लगभग 3.5 किलोमीटर क्षेत्र को साफ कर दिया जहां बम को निष्क्रिय किया गया था और इसे सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया है।
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इससे पहले पिछले साल 29 जून को पश्चिम बंगाल के झारग्राम जिले के भूलनपुर गांव में भी बम मिला था। यह बम भी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान का बताया गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने आधिकारिक तौर पर भारतीय वायु सेना से संपर्क किया और फिर इसके बाद बम को निष्क्रिय किया गया था। सुरक्षा उपाय के तौर पर विस्फोट से पहले इलाके के सभी घरों को खाली करा दिया गया था।
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तब एक अधिकारी ने बताया था कि यह पहली बार नहीं है कि द्वितीय विश्व युद्ध के समय के बम मिले हैं। 1990 के दशक में भी कुछ बम मिले थे। मणिपुर के इंफाल के मोरेह में एक बिजली उप-स्टेशन के निर्माण के लिए खुदाई के दौरान 87 बम के गोले मिले थे। तब कहा गया था कि ये सारे बम द्वितीय विश्व युद्ध के समय के हैं।