Election Fact : लोकसभा चुनाव के तारीखों की घोषणा हो चुकी है। राजनीतिक दल मैदान में उतर चुके हैं और एक दूसरे पर प्रहार कर रहे हैं। जब चुनाव की बारी आती है तो इससे जुड़े कई शब्दों की चर्चा बार-बार होती है। आपने सुना होगा कि किसी नेता की जमानत जब्त हो गई लेकिन क्या आपको पता है कि जमानत जब्त ही नहीं होती बल्कि वापस भी होती है!
क्या होती है जमानत?
किसी भी चुनाव के वक्त उम्मीदवारों को चुनाव आयोग के पास एक निर्धारित राशि जमा करनी होती है ताकि उम्मीदवार चुनाव को गंभीरता से लें। इसे ही जमानत राशि कहते हैं। जमानत राशि लोकसभा चुनाव, विधानसभा चुनाव से लेकर राष्ट्रपति चुनाव में भी जमा की जाती है।
कब जब्त होती है जमानत?
ऐसे कई नेता है जो चुनाव के बाद जब नतीजे सामने आते हैं तो कहा जाता है कि उनकी जमानत जब्त हो गई। दरअसल चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए वोट अगर किसी उम्मीदवार को नहीं मिलते तो चुनाव आयोग के पास जमा किया गया पैसा वापस नहीं मिलता, इसे ही जमानत जब्त होना कहते हैं।
कब वापस होती है जमानत?
जब चुनाव लड़ रहा उम्मीदवार चुनाव आयोग द्वारा तय किए गए वोटों को हासिल कर लेता है, भले ही क्यों ना वो चुनाव हार गया हो, उसे यह जमानत राशि वापस कर दी जाती है। जीतने वाले उम्मीदवार को भी जमानत राशि वापस मिल जाती है। लोकसभा, विधानसभा में सामान्य वर्ग और एसटी-एसएसी उम्मीदवारों के लिए अलग-अलग जमानत राशि जमा करनी होती है। हालांकि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में एक ही जमानत राशि होती है।
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किस चुनाव में कितनी होती जमानत राशि?
सामान्य वर्ग के लोगों के लिए लोकसभा चुनाव में 25 हजार रुपए, विधानसभा चुनाव में 10 हजार रुपए जमानत राशि जमा करनी होती है लेकिन एसटी-एसएसी उम्मीदवारों को लोकसभा चुनाव में 12500 और विधानसभा चुनाव में 5000 रुपए जमा करने होते हैं। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव में यह राशि 15000 होती है।