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पेरेंट्स की फाइट, नींद न आना, स्कूल में लगाया लेटर बॉक्स तो बच्चों ने शेयर की चौंकाने वाली प्रॉब्लम

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी में एक स्कूल ने बच्चों की मानसिक समस्याओं को समझने के लिए अनोखी पहल की। शिक्षकों द्वारा लगाए गए लेटरबॉक्स में छात्रों ने अपनी पर्सनल प्रॉब्लम को लिखा, जिससे कई चौंकाने वाले खुलासे हुए।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Mar 16, 2025 22:35

FANINDRA DEB INSTITUTION : पश्चिम बंगाल के एक स्कूल में अध्यापकों ने अनोखा प्रयास किया, जिसका असर देखने को मिला। दरअसल, टीचर्स के प्रयास से बच्चे अपनी समस्याओं को लिखकर लेटरबॉक्स में डालने लगे। बच्चों ने पत्रों में ऐसी-ऐसी बातें लिखीं, जिन्हें पढ़कर शिक्षक चौंक गए। मामला जलपाईगुड़ी के फणीन्द्र देब संस्थान का है।

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, शिक्षकों ने बताया कि यह लेटरबॉक्स प्रधानाध्यापक ज़हरुल इस्लाम और शिक्षक अरिंदम भट्टाचार्य के संयुक्त प्रयास की वजह से लगाया गया था। इसे स्कूल अधिकारियों द्वारा मानसिक स्वास्थ्य पहल के तहत फरवरी के मध्य में फणीन्द्र देब संस्थान (प्राथमिक अनुभाग) में स्थापित किया गया था। इस स्कूल में 900 छात्र पढ़ते हैं।

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लेटरबॉक्स में मिले 100 पत्र 

प्रधानाध्यापक जहरुल इस्लाम ने कहा कि होली से ठीक पहले, 12 मार्च को पहली बार लेटरबॉक्स खोला गया। उन्होंने बताया, “इसमें बंगाली में लिखे लगभग 100 नोट्स थे। बच्चों ने इन नोट्स में अपने दिल की बातें लिखी थीं, जिनमें कई निजी मुद्दों का खुलासा किया गया है। हम उनकी सभी चिंताओं को गोपनीय तरीके से सुलझाने की कोशिश करेंगे।”

बच्चों ने क्या-क्या लिखा?

चौंकाने वाली बात यह थी कि किसी भी पत्र में स्कूल की कोई शिकायत नहीं थी। अध्यापकों को आशंका थी कि बच्चे स्कूल, शिक्षकों या भोजन से जुड़ी शिकायतें करेंगे, लेकिन बच्चों ने मुख्य रूप से अपनी व्यक्तिगत परेशानियों पर बात की। एक शिक्षक ने बताया कि कुछ छात्रों ने खेल के लिए अधिक समय की इच्छा जताई। एक पत्र में लिखा था, “मैं सो नहीं पाता और मेरी मां इसके लिए मुझे डांटती हैं।” एक अन्य पत्र में बच्चे ने अपना दुःख व्यक्त करते हुए लिखा, “मेरे पिता असम में काम करते हैं और अपना पूरा समय काम में लगा देते हैं।”

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एक अन्य पत्र में बच्चे ने लिखा, “मेरे माता-पिता रोज़ लड़ते हैं, और मुझे घर वापस जाना पसंद नहीं है।” शिक्षक ने बताया कि अब स्कूल ऐसे बच्चों की मदद करने पर विचार कर रहा है। इस पहल के तहत, लेटरबॉक्स में बच्चों द्वारा लिखी गई बातों पर काम करने के लिए नोडल शिक्षक के नेतृत्व में छह-सात शिक्षकों की एक टीम बनाई गई है।

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Edited By

Avinash Tiwari

First published on: Mar 16, 2025 10:35 PM

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