Future of Farming : खेती करने के लिए उपजाऊ भूमि और पर्याप्त सूरज की रोशनी की जरूरत होती है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से पौधे अपना विकास करते हैं और फसल तैयार होती है। अब वैज्ञानिकों ने एक शोध किया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि अब खेती के लिए कृषि योग्य भूमि की जरूरत नहीं होगी। इसके साथ खेती अंधेरे में भी की जा सकेगी।
वैज्ञानिकों के एक समूह ने भविष्यवाणी की कि एक एक्सपेरिमेंटल टेक्नोलोजी अंधेरे में पौधे उगाने में सक्षम हो सकती है, जिससे कृषि योग्य भूमि की आवश्यकता 80 प्रतिशत से अधिक कम हो सकती है। इसके साथ ही खेती करने के तरीके में बड़ा बदलाव आ सकता है। वैज्ञानिक पत्रिका जूल में प्रकाशित एक रिसर्च में कहा गया है कि इलेक्ट्रो-एग्रीकल्चर नामक ये तकनीक प्रकाश संश्लेषण का एक विकल्प है, जो कृषि भूमि को मुक्त करने, मौसम के हिसाब से खेती की बाध्यता कम करने और खाने की चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने में मदद कर सकती है।
क्या बोले वैज्ञानिक?
इलेक्ट्रो-कृषि प्रकाश संश्लेषण को सौर ऊर्जा से चलने वाली रासायनिक प्रतिक्रिया से बदलने का प्रयास करती है जो कार्बन डाइऑक्साइड को एसीटेट नामक अणु में परिवर्तित करती है, जो पौधों को बिना सूर्य प्रकाश के भी बढ़ने और विकसित होने में मदद करेंगे। द टेलीग्राफ की खबर के मुताबिक, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, रिवरसाइड में रासायनिक और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर और टीम के सदस्य रॉबर्ट जिंकर्सन का कहना है कि अगर हमें अब सूरज की रोशनी में पौधे उगाने की जरूरत नहीं है, तो हम कहीं भी फसल उगा सकते हैं।
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बहुमंजिला इमारत के जरिए होगी खेती
हालांकि ये ऐसा प्लान है जो असलियत से काफी दूर हैं। इसमें फसल उगाने वाले खेत को बहुमंजिला इमारतों से बदलना शामिल है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि एक सामान्य इलेक्ट्रो-कृषि संरचना में तीन से सात मंजिलें होंगी, प्रत्येक मंजिल की ऊंचाई उगाई जाने वाली फसल पर निर्भर करेगी।
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रॉबर्ट जिंकर्सन ने कहा है कि हम अभी रिसर्च कर रहे हैं और पौधों को एसीटेट को कार्बन स्रोत के रूप में उपयोग करने के लिए प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि पौधे इस तरह से विकसित नहीं हुए हैं। हम आगे बढ़ रहे हैं। मशरूम, खमीर और शैवाल आज इस तरह उगाए जा सकते हैं, बाद में इसमें अन्य पौधे भी शामिल हो जाएंगे।