Champions Trophy 2025 Dubai : भारत और बांग्लादेश के बीच चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का मैच दुबई में खेला गया। मैच को भारत ने जीत लिया लेकिन इस मैच के दौरान कई बार कैच छूटे। रोहित शर्मा और हार्दिक पांड्या ने पहली पारी में जैकर और तौहीद ह्रदय के कैच को छोड़ा तो वहीं केएल राहुल का कैच जैकर अली ने छोड़ दिया। इससे दोनों देश के खिलाड़ी निराश हुए। क्रिकेट में कैच छूटना खेल का एक हिस्सा ही है लेकिन दुबई में कैच छूटना बहुत साधारण है, क्यों? जानें आखिर दुबई के स्टेडियम को ‘रिंग ऑफ फायर’ क्यों कहा जाता है।
दुबई इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम को पहले दुबई स्पोर्ट्स सिटी क्रिकेट स्टेडियम के नाम से जाना जाता था। इस स्टेडियम का छत गोलाकार में बना हुआ है और इस पर हर तरफ 350 फ्लडलाइट्स लगाए गए हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा ये होता है कि छाया ना के बराबर पड़ती है। इसके साथ ही लाइट के लिए बड़े और ऊंचे खंबे नहीं लगाने पड़ते। क्या है ‘रिंग ऑफ फायर’?
दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम का उपनाम ‘रिंग ऑफ फायर’
बहुत कम लोगों को पता होगा कि दुबई इंटरनेशनल स्टेडियम को ‘रिंग ऑफ फायर’ भी कहा जाता है। इस नाम के पीछे भी एक वजह है और वो वजह कुछ और नहीं बल्कि यहां पर लगीं फ्लडलाइट्स ही हैं। आमतौर पर स्टेडियम में लाइट को बड़े-बड़े पोल पर लगाया जाता है लेकिन दुबई में ऐसा नहीं है बल्कि दुबई के स्टेडियम के छत पर ही लाइट को लगाया गया है। स्टेडियम के चारों तरफ 350 से अधिक लाइट लगाए गए हैं।
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20 मैचों में छूटे 88 कैच
पिछले साल अक्टूबर में महिला टी20 विश्व कप के ज्यादातर टूर्नामेंट दुबई में हुए और 20 मैचों में 88 कैच छूटे। एक मैच में पाकिस्तान ने न्यूजीलैंड के खिलाफ आठ कैच छोड़े थे। IPL के दौरान भी कई कैच छूटे। इसके पीछे की वजह यहां लगाई गईं अनोखी लाइट्स को माना जाता है। इस स्टेडियम में लगी लाइटें फील्डर की आंखों में नीचे की ओर दिखाई देती हैं, जिससे गेंद की गति को समझ पाना मुश्किल हो जाता है और कैच छूटने की संभावना तब और अधिक हो जाती है जब मैच सफेद गेंद से हो रहा होता है।
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भारतीय टीम के सभी मैच दुबई में होने हैं, इसमें सेमीफाइनल और फाइनल जैसे मैच भी खेले जाने हैं। ऐसे में भारतीय टीम के खिलाड़ियों को इस लाइट के प्रति खुद को ढालना ही सबसे बेस्ट तरीका कहा जा रहा है।