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भारत के महाराजाओं का हवाई सफर, शाही उड़ानों की दिलचस्प कहानी

20वीं सदी की शुरुआत में भारतीय महाराजाओं ने अपनी शाही शान-शौकत को नई ऊंचाइयों पर ले जाते हुए एविएशन में दिलचस्पी दिखाई। उन्होंने विमान खरीदे, हवाई पट्टियां बनवाईं और उड़ान के जुनून को बढ़ावा दिया। इन शासकों ने न केवल अपनी यात्राओं को आसान बनाया बल्कि भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के विकास में भी योगदान दिया। आइए जानते हैं...

Edited By : Ashutosh Ojha | Updated: Nov 28, 2024 17:44
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भारत के महाराजाओं का हवाई सफर हमेशा से ही शाही अंदाज और दिलचस्प कहानियों से भरा रहा है। जब हवाई जहाज नए थे, तब ये सिर्फ शाही परिवारों और रईसों के लिए ही होते थे। महाराजाओं के लिए ये उड़ानें न सिर्फ एक सफर थीं, बल्कि उनकी शान-शौकत का प्रदर्शन भी थीं। इन विमानों को खासतौर पर सजाया जाता था और इनकी सेवाएं भी बहुत शानदार होती थीं। आइए जानते हैं इन शाही उड़ानों की अनसुनी कहानियां।

भारत में पहला विमान किसने खरीदा

20वीं सदी की शुरुआत में जब आम लोग हवाई यात्रा के बारे में सोच भी नहीं सकते थे, भारतीय महाराजाओं ने हवाई यात्रा को एक खास सुविधा बना लिया था। ये शासक अपनी शाही जिंदगी के लिए तो फेमस थे ही, साथ ही उन्होंने एविएशन इंडस्ट्री में भी अहम भूमिका निभाई। 1910 में यूनाइटेड किंगडम से पहला विमान खरीदने वाले भारतीय बने पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह ने हवाई यात्रा को अपने राज्य में एक नई पहचान दी। उन्होंने पटियाला में एक हवाई पट्टी भी बनवाई, जिससे हवाई यात्रा को बढ़ावा मिला। कपूरथला के महाराजा जगतजीत सिंह और उदयपुर के महाराजा उम्मेद सिंह जैसे अन्य शासकों ने भी विमान खरीदने में रुचि दिखाई। उम्मेद सिंह को “फ्लाइंग महाराजा” के नाम से जाना जाता है, क्योंकि वे पहले भारतीय राजकुमार थे जिन्होंने फ्लाइंग लाइसेंस हासिल किया था।

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आजादी के बाद नेताओं ने इस्तेमाल किए महाराजाओं के विमान

भारत में एविएशन के प्रति महाराजाओं की रुचि एक बदलाव का हिस्सा थी, क्योंकि वे अपनी शाही जिंदगी को और शानदार बनाना चाहते थे। 1921 में दिल्ली में जब कई राज्यों के राजकुमारों का सम्मेलन हुआ, जिसमें मंडला के महाराजा ने विमान में उड़ान भरी। इसके बाद 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जब डकोटा DC-3 विमान भारत में बिकने के लिए आए, कई महाराजाओं ने इन्हें खरीदा और अपना हवाई जहाज सपना पूरा किया। जयचामाराजेंद्र वाडियार ने 1946 में एक डकोटा विमान खरीदी, जिसे “जादुई कालीन” कहा जाता था। यह विमान स्वतंत्रता के बाद भारत के नेताओं ने इस्तेमाल किया और देश के निर्माण में मदद की।

दरभंगा के महाराजा ने शुरू की एविएशन कंपनी

इन महाराजाओं का एविएशन इंडस्ट्री में योगदान सिर्फ उनकी शाही शान तक ही सीमित नहीं था। उन्होंने हवाई जहाजों को अपनी यात्रा का हिस्सा बनाया, लेकिन साथ ही उन्होंने एविएशन इंडस्ट्री के विकास में भी अहम भूमिका निभाई। दरभंगा के महाराजा कामेश्वर सिंह ने 1950 में अपनी एविएशन कंपनी “दरभंगा एविएशन” शुरू की और इसके तहत उन्होंने सैन्य विमानों को खरीदा। इस तरह भारतीय महाराजाओं का एविएशन इंडस्ट्री में योगदान आज भी याद किया जाता है।

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Written By

Ashutosh Ojha

First published on: Nov 28, 2024 05:43 PM

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