Prayagraj News: मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) के बेटे विधायक अब्बास अंसारी (Abbas Ansari) को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 7 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। बता दें शनिवार को चार बड़े घटनाक्रम महज 24 घंटे में हो गए।
एक साथ हुईं ताबड़तोड़ कार्रवाई
जानकारी के मुताबिक ईडी ने मुख्तार अंसारी के बेटे और मऊ सदर से विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाई की। पिता पर दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में पहले अब्बास अंसारी से नौ घंटे की पूछताछ हुई। पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी होते ही उन्हें प्रयागराज की एक कोर्ट में पेश किया। जहां कोर्ट ने उन्हें 7 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया है।
Money laundering case | Mau Sadar MLA and Mukhtar Ansari's son Abbas Ansari sent to 7-day ED remand. #UttarPradesh pic.twitter.com/YJ4WvjhCJb
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) November 5, 2022
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ईडी कार्यालय पर हुई थी पूछताछ
बता दें कि ईडी ने इससे पहले 21 अक्टूबर को माफिया मुख्तार अंसारी की 1.48 करोड़ रुपये की सात संपत्तियों को कुर्क किया था। अब ईडी ने अब्बास से शुक्रवार (4 नवंबर) को ईडी कार्यालय प्रयागराज में नौ घंटे से ज्यादा समय तक पूछताछ की। इसके बाद उनकी गिरफ्तारी हुई। बताया गया है कि मुख्तार के खिलाफ दर्ज में मामले में ही उनसे पूछताछ की गई थी।
अब्बास पर और भी कई मुकदमे हैं
सूत्रों के मुताबिक ईडी पहले ही नवंबर 2021 में बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी से पूछताछ कर चुकी है। मुख्तार के भाई बसपा सांसद अफजल अंसारी और सिबगतुल्लाह अंसारी से भी ईडी ने मई 2022 में पूछताछ की थी। मऊ सदर से एसबीएसपी विधायक अब्बास अंसारी के खिलाफ और भी मामले दर्ज हैं। पुलिस ने उस वक्त भी मुकदमा दर्ज किया था, जब वह फरार थे। इसके अलावा यूपी विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भड़काऊ भाषण दिया था।
विवादित बयान मामले में किया था समर्पण
भड़काऊ भाषण मामले में अब्बास अंसारी ने 21 अक्टूबर को एक एमपी-एमएलए कोर्ट में आत्मसमर्पण किया था। जहां से उन्हें जमानत दे दी थी। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 16 अक्टूबर को विधायक अब्बास अंसारी को विधानसभा चुनाव के दौरान विवादित बयान देने के मामले में राहत दी थी।
कोर्ट ने विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) कोर्ट/अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीनियर डिवीजन), मऊ की ओर से पारित आदेश पर रोक लगा दी थी, क्योंकि राज्य सरकार इस मामले में हलफनामा दाखिल नहीं कर पाई थी।