UP Diwas 2025: उत्तर प्रदेश 24 जनवरी को अपना 76वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है। उत्तर प्रदेश आज देश की सियासत की दशा तय करता है, जो सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से समृद्ध राज्य है। भगवान राम और कृष्ण की धरती वाले राज्य में राम मंदिर और भगवान काशी विश्वनाथ की सबसे प्राचीन नगरी है। त्रिवेणी का अद्भुत संगम विश्वभर में मशहूर है। अंग्रेजी हुकूमत की यादें आज भी यूपी के कोने-कोने में दिख जाती हैं।
गुजरते वक्त के साथ यूपी ने अपने आपको काफी बदला है, आज ये प्रदेश निरंतर आधुनिकता के साथ तरक्की के पथ पर अग्रसर है। क्या आप उत्तर प्रदेश बनने की कहानी जानते हैं? यूपी ने 2018 से अपना स्थापना दिवस मनाना शुरू किया है। इससे पहले आयोजन नहीं होता था।
24 जनवरी 1950 के इंडिया के गवर्नर जनरल ने यूनाइटेड प्रोविंस आदेश 1950 (नाम बदलने को लेकर) पारित किया था। इसके बाद यूनाटेड प्रोविंस का नाम उत्तर प्रदेश हो गया। इतिहास में इस बात का जिक्र है कि 1834 तक यूपी बंगाल सूबे के अधीन आता था। उस समय तक भारत में 3 ही सूबे बंगाल, बंबई और मद्रास होते थे। बाद में आगरा के नाम से चौथा सूबा गठित किया गया था। सूबे का मुखिया उस समय गवर्नर होता था।
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1856 में अवध को मुख्य आयुक्त के अधीन कर दिया गया। सभी जिलों का विलय उत्तर पश्चिमी सूबे में कर दिया गया था। 1858 की शुरुआत में तत्कालीन लॉर्ड कैनिंग इलाहाबाद (वर्तमान में प्रयागराज) आकर बस गए थे, जिसके बाद उत्तर पश्चिमी नाम से सूबे का गठन किया गया। उस दौरान शासन को आगरा से इलाहाबाद ट्रांसफर किया गया था। 1877 में इसे उत्तरी पश्चिमी व अवध सूबे के तौर पर जाना जाने लगा। इसके बाद 1902 में पूरे प्रदेश को ‘यूनाइटेड प्रोविंस ऑफ आगरा एंड अवध’ नाम दिया गया।
1921 में पहली परिषद का गठन
1920 में विधान परिषद का पहला इलेक्शन हुआ था, जिसके बाद लखनऊ में पहली परिषद का गठन 1921 में हुआ था। उस समय गवर्नर, मंत्री और गवर्नर सचिवों को लखनऊ में रहने के आदेश हुए थे। इसके बाद तत्कालीन गवर्नर हरकोर्ट बटलर इलाहाबाद से लखनऊ शिफ्ट हुए थे। 1935 तक सभी ऑफिस लखनऊ शिफ्ट हो चुके थे, जिसके बाद लखनऊ को राजधानी बनाया गया। 1937 में इसका नाम यूनाइटेड प्रोविंस रखा गया। देश आजाद होने के बाद 24 जनवरी 1950 को इसका नाम उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
A breathtaking Drone Show to mark ‘UP Diwas’, Uttar Pradesh’s Foundation Day!
Don’t miss the spectacular drone show at Mahakumbh, Prayagraj on 24th January 2025. The skies will tell the story of Uttar Pradesh’s unparalleled heritage!#upday #updiwas #uttarpradeshtourism… pic.twitter.com/DCAW2mahK2— UP Tourism (@uptourismgov) January 21, 2025
इसके बाद किसी ने उत्तर प्रदेश का स्थापना दिवस मनाने को लेकर ध्यान नहीं दिया। पहली बार 24 जनवरी 1989 को महाराष्ट्र में रह रहे यूपी के कुछ लोगों ने स्थापना दिवस मनाने की शुरुआत की थी। महाराष्ट्र निवासी राम नाईक के राज्यपाल बनने पर इन लोगों ने यूपी के स्थापना दिवस को मनाने का प्रस्ताव उनको सौंपा था।
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राज्यपाल ने इसे तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार को भेजा था, लेकिन मंजूरी नहीं मिली थी। बाद में योगी आदित्यनाथ सीएम बने। नाईक ने उनको दोबारा प्रस्ताव भेजा, जिसे मंजूरी मिल गई। इसके बाद यूपी सरकार ने पहली बार 2018 में उत्तर प्रदेश के स्थापना दिवस को ‘उत्तर प्रदेश दिवस’ के तौर पर मनाया। इसके बाद से हर साल 24 जनवरी को यह दिवस मनाया जाता है।
यूपी ने दिए सबसे ज्यादा पीएम
आज यूपी ऐसा प्रदेश बन चुका है, जिसने देश को सबसे अधिक पीएम दिए हैं। कहा जाता है कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। जवाहर लाल नेहरू से लेकर लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह और राजीव गांधी, वीपी सिंह, चंद्रशेखर, अटल बिहारी वाजपेयी यूपी से सांसद बनकर पीएम बने थे। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यूपी की वाराणसी सीट से सांसद हैं।
यूपी में लोकसभा की 80 और विधानसभा की 403 सीटें हैं। यूपी में लंबे समय तक उत्तरांचल राज्य के गठन को लेकर आंदोलन चला था। 9 नवंबर 2000 को यूपी के पहाड़ी और गढ़वाल-कुमाऊं मंडल को अलग कर उत्तरांचल (अब उत्तराखंड) राज्य बनाया गया था। अवध, वेस्ट यूपी और बुंदेलखंड के गठन की मांग भी अब होती रहती है।