---विज्ञापन---

UP News: इलाहाबाद HC से सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को राहत; हिंदू देवी-देवताओं पर टिप्पणी के खिलाफ दायर याचिका खारिज

UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में वर्ष 2014 में उनके कथित बयान “शादियों के दौरान देवी गौरी या भगवान गणेश की पूजा नहीं की जानी चाहिए” के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराने की मांग […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: May 19, 2023 13:23
Share :
UP News, Swami Prasad Maurya, Allahabad High Court, Uttar Pradesh News

UP News: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है। इस याचिका में वर्ष 2014 में उनके कथित बयान “शादियों के दौरान देवी गौरी या भगवान गणेश की पूजा नहीं की जानी चाहिए” के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराने की मांग की गई थी।

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट की पीठ ने यह कहते हुए आदेश दिया कि शिकायत का संज्ञान लेने का आदेश और धारा 196 CrPC के तहत सरकार की अनिवार्य मंजूरी प्राप्त किए बिना धारा नहीं लिया जा सकता है। साथ ही 295A IPC के तहत आपराधिक मुकदमे के लिए मौर्य को समन जारी नहीं किया जा सकता है।

---विज्ञापन---

सितंबर 2014 का है कथित बयान

जानकारी के मुताबिक 22 सितंबर 2014 को स्वामी प्रसाद मौर्य का एक कथित बयान सामने आया था। इसमें हिंदू देवी-देवताओं के बारे में गलत तौर पर टिप्पणी का आरोप है। शिकायतकर्ता ने इस बयान को धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बयान करार दिया था। न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सुल्तानपुर की कोर्ट के नवंबर 2014 में पारित उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें मौर्य को आईपीसी की धारा 295ए के तहत आरोपों के लिए समन भेजा गया था।

शिकायतकर्ता ने लगाए थे ये आरोप

शिकायतकर्ता ने तर्क दिया था कि मौर्य ने जानबूझकर हिंदू धर्म का पालन करने वाले लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई थी। धारा 200 और 202 सीआरपीसी के तहत बयान दर्ज करने के बाद, ट्रायल कोर्ट ने मौर्य को धारा 295-ए आईपीसी (आपराधिक मामला) के तहत मुकदमे का सामना करने के लिए आदेश पारित किया।

कोर्ट में क्या रखा गया तर्क

राज्य सरकार के लिए एजीए जयंत सिंह तोमर ने प्रारंभिक आपत्ति उठाई कि मौर्य की ओर से हाईकोर्ट के सामने उठाए गए आधार को न तो ट्रायल कोर्ट के समक्ष उठाया गया था और न ही इसे रिवीजन कोर्ट के सामने उठाया गया था। हालांकि स्वामी प्रसाद मौर्य के वकील जेएस कश्यप ने भी कोर्ट में अपना तर्क रहा है। उन्होंने कहा है कि बताया जा रहा कथित बयान उस वक्त का है जब स्वामी प्रसाद मौर्य विधानसभा में नेता विपक्ष थे। बिना अभियोजन की स्वीकृति के मामला नहीं बना। लिहाजा याचिका को खारिज किया जाए।

उत्तर प्रदेश की खबरों के लिए यहां क्लिक करेंः-

HISTORY

Edited By

Naresh Chaudhary

First published on: May 19, 2023 01:23 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें