UP News: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) की ओर से एक बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य में प्रमुख पुलों का निरीक्षण अब साल में दो बार (मई और नवंबर) होगा। ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि पुल वाहनों की आवाजाही के लिए फिट हैं या नहीं। राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के अधिकारियों ने नए और पुराने पुलों के रखरखाव के संबंध में यह जानकारी साझा की है।
निगम के पास है पुलों के रखरखाव की जिम्मेदारी
एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपी पीडब्ल्यूडी की ओर से नियमित तौर पर पुलों का रखरखाव किया जाता है। 60 मीटर से ज्यादा लंबाई वाले पुलों के निर्माण और रखरखाव जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश राज्य पुल निगम लिमिटेड के पास है। यह एजेंसी वर्ष 1970 के दशक की शुरुआत में केवल महत्वपूर्ण पुलों से संबंधित सिविल कार्यों के लिए जवाबदेय थी।
पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद ने दी ये जानकारी
यूपी के पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि राज्य से मानसून की शुरुआत और वापसी से ठीक पहले गहन निरीक्षण के लिए मई और नवंबर माह को रणनीतिक रूप से चुना गया है। अधिकारी ने बताया कि पुलों का निरीक्षण अमूमन शिकायतों के बाद निगम द्वारा किया जाता है।
ताकि बारिश के दिनों में सुचारू रहे सड़क परिवहन
लेकिन अब मानसून के दौरान सड़क नेटवर्क को सुचारू रखने के लिए राज्य सरकार ने निगरानी प्रक्रिया को मजबूत किया है। इसके लिए एक नई नीति लाने का फैसला किया गया। राज्य सेतू निगम ने अयोध्या में सोहावल शहर को जोड़ने के लिए सरयू नदी पर गोंडा में धेमवा घाट पर एक पुल का निर्माण किया।
बारिश में तटबंद के साथ बहा था पुल
लेकिन 2016-17 के दौरान बनाए गए 1133 मीटर लंबे पुल में तीन साल के भीतर कैरिजवे पर कुछ खराबी आ गई।पिछले साल सितंबर-अक्टूबर में भारी बारिश के बाद एक छोटे पुल के साथ पुल से जुड़ा तटबंध भी बह गया था।
इन मानकों पर होगा निरीक्षण
निगम के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे मानसून से पहले पुलों के तटबंधों, खंभे और सड़क नेटवर्क की स्थिति के साथ-साथ पुलों के सबस्ट्रक्चर और सुपरस्ट्रक्चर की जांच करें। कमी पाए जाने पर तत्काल मरम्मत कार्य शुरू किया जाए।