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Uniform Civil Code: उत्तराखंड में कब लागू होगा UCC? जानें मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने क्या दिया जवाब

Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि देश के सभी राज्यों को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू करना चाहिए। देश को एक समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है। देशभर के लोगों की हमेशा से यह अपेक्षा रही है कि इसे लागू किया जाए। उन्होंने कहा […]

Edited By : Naresh Chaudhary | Updated: Jun 19, 2023 13:15
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Uniform Civil Code: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को कहा कि देश के सभी राज्यों को समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लागू करना चाहिए। देश को एक समान नागरिक संहिता की आवश्यकता है। देशभर के लोगों की हमेशा से यह अपेक्षा रही है कि इसे लागू किया जाए।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 के विधानसभा चुनावों में यह तय किया गया था कि सरकार बनने के बाद यूसीसी के लिए एक समिति बनाई जाएगी। सरकार बनने के बाद सबसे पहला फैसला यूसीसी के लिए एक समिति बनाने का था। समान नागरिक संहिता को लागू करना पहाड़ी राज्य में पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा द्वारा किए गए प्रमुख वादों में से एक था। सत्ता में आने के कुछ दिनों बाद धामी ने यूसीसी के लिए पांच सदस्यीय समिति का गठन किया।

समिति ने सभी समुदायों से लिए सुझाव

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यूसीसी (समान नागरिक संहिता) को उत्तराखंड में लागू करने के लिए हमने एक समिति बनाई थी और उन्होंने हितधारकों और विभिन्न समुदायों के लोगों से बात की है। सभी के सुझाव सुने। वे इसके आधार पर एक मसौदा बना रहे हैं और जैसे ही हम ये मसौदा मिलेगा, वैसे ही हम राज्य में यूसीसी के कार्यान्वयन के साथ आगे बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि आज पूरे देश में यूसीसी पर चर्चा हो रही है, हालांकि कुछ लोग इसके खिलाफ भी हैं। हालांकि हमारा निष्कर्ष है कि यूसीसी सभी के फायदेमंद है। उत्तराखंड सरकार द्वारा पिछले साल 27 मई को राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करने के अपने फैसले के बाद अब तैयारी पूरी हो चुकी है। सरकार द्वारा गठित समिति 30 जून तक अपने प्रस्ताव पेश करेगी।

समिति में ये लोग हैं शामिल

राज्य सरकार ने मसौदा तैयार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति का गठन किया, जिसमें न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त), सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौर, पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की कुलपति सुरेखा डंगवाल शामिल हैं। यूसीसी के कार्यान्वयन का प्रस्ताव, व्यापक रूप से नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों से संबंधित है जो सभी पर लागू होते हैं।

उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के व्यक्तिगत कानूनों को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है, जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग, लिंग और यौन अभिविन्यास की परवाह किए बिना समान रूप से लागू होगा। वर्तमान में विभिन्न समुदायों के व्यक्तिगत कानून उनके धार्मिक शास्त्रों द्वारा शासित होते हैं।

आखिर क्या है यूनिफार्म सिविल कोड?

  • संविधान के अनुच्छेद 44 के भाग 4 में ‘यूनिफॉर्म सिविल कोड’ शब्द का उल्लेख है। इसमें कहा गया है कि भारत में हर नागरिक के लिए एक समान नागरिक संहिता को लागू करने का प्रयास होना चाहिए। संविधान निर्माता डॉक्टर बीआर अंबेडकर ने संविधान को बनाते समय कहा था कि यूनिफॉर्म सिविल कोड जरूरी है।

क्यों जरूरी है यूनिफॉर्म सिविल कोड?

  • भारत में जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून और मैरिज एक्ट हैं। अलग-अलग कानूनों के कारण न्यायिक प्रणाली पर भी असर पड़ता है। दुनिया में कोई भी ऐसा देश नहीं है, जहां जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग कानून हों।
  • इसे ऐसे समझें कि भारत में हिंदुओं के लिए हिंदू मैरिज एक्ट है, मुसलमानों के लिए पर्सनल लॉ बोर्ड है। शादी, तलाक, संपत्ति विवाद, गोद लेने और उत्तराधिकार आदि के मामलों में हिंदुओं के लिए अलग कानून हैं, जबकि मुसलमानों के लिए अलग।

क्या होगा अगर यूनिफार्म सिविल कोड लागू हो तो?

  • UCC लागू हो गया तो हिंदू कोड बिल, शरीयत कानून, पर्सनल लॉ बोर्ड समाप्त हो जाएंगे। धार्मिक स्थलों पर किसका अधिकार हो? जैसे प्रश्नों का उत्तर भी मिलेगा।
  • उदाहरण के लिए अगर मंदिरों का प्रबंधन सरकार के हाथो में हैं, तो फिर मस्जिद, गिरिजाघर, गुरुद्वारा आदि का प्रबंधन भी सरकार के हाथों में होगा। लेकिन अगर मस्जिद, गुरुद्वारा और गिरिजाघर का प्रबंधन उनके अपनी-अपनी धार्मिक संस्थाएं करती हैं तो फिर मंदिर का प्रबंधन भी धार्मिक संस्थाओं को ही देना होगा।
  • बहुविवाह पर रोक लगेगी। लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें। लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। माता-पिता को सूचना जाएगी।
  • उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों का बराबर का हिस्सा मिलेगा, चाहे वो किसी भी जाति या धर्म के हों। एडॉप्शन सभी के लिए मान्य होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी बच्चा गोद लेने का अधिकार मिलेगा। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।
  • हलाला और इद्दत (भरण पोषण) पर रोक लगेगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
  • पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान आधार होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। नौकरीशुदा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।

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Written By

Naresh Chaudhary

First published on: Jun 19, 2023 01:15 PM

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