मानस श्रीवास्तव की रिपोर्ट: यूपी की सियासत मे बडा बवाल मचा हुआ है। ये घमासान इसलिये है क्योकि हर सियासी दल यूपी के उस 40 फीसदी वोटबैंक को खुश करना चाहता है। जिसके दम से यूपी मे कोई सरकार बनती है। चुनाव चाहे स्थानीय निकाय के हो या फिर विधानसभा या लोकसभा के 40 फीसदी पिछडे वर्ग की आबादी पर सबकुछ निर्भर करता है कि वो किसके साथ है तो जैसे ही यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद निकाय चुनाव में पिछडों को आरक्षण के लिये पिछडा वर्ग आयोग का गठन किया। एक साथ तमाम विपक्षी दल बीजेपी पर टूट पड़े। खास बात ये है कि ये दल जब तक आयोग का गठन नहीं हुआ था तब तक योगी सरकार का विरोध इसलिये कर रहे थे क्योकि ओबीसी वर्ग के लिये निकाय चुनाव में जो आरक्षण प्रस्तावित था उससे समाजवादी पार्टी समेत तमाम विपक्षी दल सहमत नही थे। जब योगी सरकार ने निकाय चुनाव में ओबीसी की भागीदारी परखने के लिये एक अलग आयोग का गठन कर दिया तो भी विरोध हो रहा है।
अखिलेश हुये हमलावार– कहा पिछड़ों का हक छीना अब दलितों की बारी
आयोग का गठन कर योगी सरकार ने पिछड़ों मे ये संदेश देने की कोशिश की कि पिछड़ों के लिये बीजेपी सरकार सबसे ज्यादा फिक्रमंद है। केशव मौर्या, स्वतंत्र देव सिंह जैसे पिछड़ें वर्ग के बड़ें नेताओं के सहारे बीजेपी हमेशा से इस 40 फीसदी वोट बैंक पर अपना अधिकार बनाये हुये है। ऐसे मे पिछड़ों के सहारे ही यूपी की सियासत मे पली बढी समाजवादी पार्टी अपने लगातार कम हो रहे इस खास वोट बैंक को लेकर चिंता मे रहती है। इसलिये उसने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया संविधान बचाओ पिछडा वर्ग आरक्षण बचाओ यात्रा निकालने की घोषणा भी की। लेकिन आयोग का गठन करके योगी सरकार ने उसकी मंशा पर पानी फेरने की कोशिश की। जवाब में अखिलेश यादव ने कहा बीजेपी हमेशा से पिछड़ों के साथ सौतेला व्यवहार करती है। आज पिछड़ों का आरक्षण छीना है कल दलितों की बारी है। बीजेपी पिछडों का वोट तो चाहती है लेकिन उन्हे भागीदारी नही देना चाहती है। उसने केंद्र औऱ यूपी दोनों जगह पिछडों के दम पर सरकार बनाई लेकिन अब उन्हें गुलाम बनाना चाहती है।
मायवती का बीजेपी पर हमला –कहा बीएसपी मे सुरक्षित है दलितों पिछड़ों का हित
सपा के बाद बसपा भी मैदान में उतर आई उसने बीजेपी, और कांग्रेस के साथ समाजवादी पार्टी को भी निशाने पर लिया बसपा सुप्रीमों मायावाती ने एक के बाद एक तीन ट्वीट किये। उन्होंने पहले ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस ने केन्द्र में अपनी सरकार के चलते पिछड़ों के आरक्षण सम्बन्धी मण्डल कमीशन की रिपोर्ट को लागू नहीं होने दिया। साथ ही एससी एसटी आरक्षण को भी निष्प्रभावी बना दिया। बीजेपी भी, इस मामले में कांग्रेस के पदचिन्हों पर ही चल रही है। दूसरे ट्वीट में लिखा कि सपा सरकार ने भी खासकर अति पिछड़ों को पूरा हक नहीं दिया। एससी एसटी का पदोन्नति में आरक्षण खत्म कर दिया। तीसरे ट्वीट में मायावती ने लिखा कि बी.एस.पी. सरकार में एससी एसटी के साथ-साथ अति पिछड़ों व पिछड़ों को भी आरक्षण का पूरा हक दिया गया। अतः अब आरक्षण पर बड़ी-बड़ी बातें करने से सपा व अन्य पार्टियों को भी कोई लाभ मिलने वाला नहीं। ये सभी वर्ग इन दोगले चेहरों से भी सतर्क रहें।
राजभर और संजय निषाद अखिलेश पर बिगड़े
एक तरफ सपा औऱ बसपा योगी सरकार पर ओबीसी आरक्षण को लेकर हमले कर रही थी तो दूसरी तरफ कुछ सियासी दल अखिलेश को घेर रहे थे। इनमे सबसे चर्चित नाम है सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर का। बीते कुछ दिनों से वो अखिलेश पर हमलावर और बीजेपी के नजदीक आ रहे है। आज एक प्रेस कांफ्रेस कर राजभर ने बीजेपी को घेरा जरुर लेकिन उसके निशाने पर अखिलेश यादव थे। राजभर बोले कि प्रमोशन में आरक्षण अखिलेश सरकार ने खत्म किया। अपनी सरकार मे 38 फीसदी वाले अति पिछड़ें वर्ग के लिये कुछ नही किया। वहीं, योगी सरकार मे सहयोगी निषाद पार्टी कोटे से कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने योगी सरकार का बचाव किया औऱ कहा कि ओबीसी आयोग का गठन कर सीएम योगी ने पिछडा वर्ग के हित मे काम किया है उनकी सरकार पिछड़ें वर्ग के हितो का पूरा ख्याल रख रही है।
ये है पूरा मामला
ये पूरा सियासी बवाल यूपी निकाय चुनाव मे आरक्षण को लेकर मचा हुआ है। 5 दिसंबर को योगी सरकार ने आरक्षण की सूची जारी कर ओबीसी और एससी एसटी के लिये सीटे आरक्षित कर दी जिसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच मे वाद दायर किया गया। विपक्षी दल सरकार पर ओबीसी आरक्षण खत्म करने की साजिश रचने का आरोप लगाने लगे। कोर्ट ने निकाय चुनाव पर स्टे लगा दिया। बाद में फैसला सुनाते हुये कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के लिये ट्रिपल टेस्ट को जरुरी बताया और चुनाव पर लगी रोक हटा दी। लेकिन योगी सरकार ने तत्काल चुनाव की घोषणा न करते हुये पिछडे वर्ग के हितों को सुरक्षित रखने के लिये निकाय चुनाव मे पिछडा वर्ग आयोग का गठन कर आबादी के हिसाब से सर्वे रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है।