Ayodhya Ram Mandir Pujari Satyandra das: 22 जनवरी का हर किसी को इंतजार है। यह इंतजार जल्द ही खत्म हो जाएगा और Ayodhya Ram Mandir में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होते ही उन लोगों का सपना पूरा हो जाएगा, जिन्होंने अपना पूरा जीवन रामलला की सेवा में बिता दिया। आचार्य सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं। 28 साल से वे राममंदिर में रामलला की सेवा कर रहे हैं। इस बातचीत में आचार्य ने 6 दिसंबर के उस दिन का पूरा घटनाक्रम बताया, जब राम जन्मभूमि से विवादित ढांचे को गिराया गया था।
28 साल से रामलला की पूजा कर रहें
आचार्य सत्येंद्र दास राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी हैं और बीते करीब 28 सालों से यही रामलला की पूजा करते आ रहे हैं।
आचार्य सत्येंद्र दास ने बताया कि उन्होंने रामलला को वहां से ले जाकर नीम के पेड़ के नीचे रख दिया ताकि उन्हें कोई नुकसान ना पहुंचे। जब विवादित ढांचा गिर गया तो कारसेवकों ने शाम सात बजे तक वहां पर टेंट और मंडप बना दिया, जिसके बाद रामलला को सिंहासन समेत वहां स्थापित कर दिया गया।
इस तरह विवादित ढांचा ढहाए जाने वाले दिन करीब आठ घंटे तक रामलला नीम के पेड़ के नीचे रहे थे। अगले दिन सरकार ने कर्फ्यू का एलान कर दिया। इस पर प्रशासन से रामलला की पूजा की मांग की गई तो प्रशासन ने पूजा करने वाले सभी पुजारियों का पास बना दिया और फिर रामलला की पूजा शुरू हो गई। तब से उसी जगह रामलला की पूजा हो रही है।
यह भी पढ़ें: Ram Mandir के लिए पंजाबी भाषा में गाया ऐसा भजन
धूप- दिया जलाने की थी मनाही
6 दिसंबर 1992 को विवादित ढांचा गिराए जाने के बाद से करीब 28 सालों तक रामलला ने भी काफी परेशानी झेली। कोर्ट के आदेश से रामलला के लिए एक अस्थायी टेंट का निर्माण किया गया था लेकिन वहां धूप-दिया जलाने की मनाही थी। साथ ही बरसात में रामलला के स्थान पर पानी भी भर जाता था इस दौरान भगवान के भोग आदि की भी परेशानी रही।पहले रामलला के कपड़े भी रामनवमी के समय ही बदले जाते थे, जो एक साल तक चलते थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हालात बदले और पूरे विधि-विधान से भगवान की पूजा की जा रही है। अब बस रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का इंतजार है।