Swami Prasad Maurya Resigns: स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद विधान परिषद सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए। स्वामी ने कहा कि 22 फरवरी को कार्यकर्ताओं के साथ दिल्ली के तालकटोरी स्टेडियम में चर्चा के बाद नई पार्टी का गठन करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने के बारे में कुछ दिन बात सोचेंगे।
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अखिलेश यादव को भेजा इस्तीफा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अखिलेश यादव को अपना इस्तीफा भेजा। उन्होंने लिखा कि आपके नेतृत्व में सौहार्दपूर्ण वातावरण में कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ, लेकिन 12 फरवरी को हुई बातचीत एवं 13 फरवरी को भेजे गए पत्र पर किसी भी प्रकार की वार्ता की पहल आपने नहीं की। इसलिए मैं समाजवादी पार्टी की प्रारंभिक सदस्यता से इस्तीफा देता हूं। वहीं, प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव पर भी जमकर हमला बोला।
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‘नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देता हूं’
स्वामी प्रसाद मौर्य ने विधान परिषद के सभापति को भी पत्र लिखकर इस्तीफा देने की जानकारी दी। उन्होंने लिखा- मैं सपा प्रत्याशी के रूप में विधान परिषद सदस्य निर्वाचित हुआ हूं। मैंने सपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। इसलिए नैतिकता के आधार पर मैं विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफा देता हूं।
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‘नुकसान के सिवा कुछ नहीं किया’
सपा नेता व पूर्व मंत्री आईपी सिंह ने इस्तीफा देने पर स्वामी प्रसाद मौर्य पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि इसे कहते हैं देर हुई, पर अच्छा हुआ। अपना पाप और पुण्य लेकर दो वर्ष में स्वामी प्रसाद मौर्या पार्टी का साथ छोड़ गए। वे बसपा से भाजपा में मंत्री बने, फिर 2022 में सपा में शामिल हुए। उन्होंने नुकसान के सिवा कुछ नहीं किया।
‘कथनी और करनी में जमीन आसमान का फर्क’
आई पी सिंह ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य हिन्दू देवी देवताओं को निशाना बनाते रहे। वहीं, उनकी बेटी बीजेपी सांसद सनातन धर्म के अनुसार, सार्वजनिक रूप से पूजा पाठ करती रहीं। इनकी करनी और कथनी में जमीन आसमान का फर्क रहा। अब ये मोदी और बीजेपी की सरकार बनवाने में अपना योगदान देंगे।
13फरवरी को सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से दिया इस्तीफा
स्वामी प्रसाद मौर्य ने 13 फरवरी को सपा के राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया था। उन्होंने इस बात पर दुख जताया था कि उनके बयान को ‘निजी बयान’ बताकर पार्टी पल्ला झाड़ लेती थी, जबकि अन्य महासचिवों के बयान पार्टी का पक्ष होता था।
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